माननीय सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों के सुस्पष्ट आदेशों के बावजूद अपनी अदालतों में सम्मन की तामीली हुए बिना मनमाने तरीके से जमानती/गैर जमानती वारण्ट जारी करना आम बात हो गयी है और इसके द्वारा स्थानीय पुलिस को आम आदमी के मौलिक अधिकारों के हनन की छूट मिल जाती है और भ्रष्टाचार के अवसर बढ़ते हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों ने कई बार दिशा निर्देश जारी करके अधीनस्थ न्यायालयों को चेताया है कि सम्मन तामील हो जाने की सन्तुष्टि किये बिना जमानती/गैर जमानती वारण्ट जारी नही किया जाना चाहिए। सम्मन की तामीली हो जाने की सन्तुष्टि के बाद ही जमानती वारण्ट जारी किया जाना चाहिए। सम्मन तामीली की सन्तुष्टि हुए बिना जमानती/गैर जमानती वारण्ट जारी करना किसी भी दशा मेें न्यायसंगत नही है। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने दो दशक पूर्व अपने सर्कुलर लेटर C.L. No. 42/98 dated: 20.08.1998 के द्वारा आपराधिक मामलोें में सम्मन सर्व कराने की प्रक्रिया निर्धारित की थी परन्तु अधीनस्थ न्यायालयों ने इस प्रक्रिया का कभी पालन नही किया जिसके कारण माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने श्रीमती ऊषा जैन एण्ड एनादर बनाम स्टेट आफ यू0पी. एण्ड एनादर (APPLICATION U/S 482 No. 19037 of 2018) में पारित अपने आदेश दिनांकित 29.05.2018 के द्वारा पुनः इसके अनुपालन का निर्देश जारी किया है।
1. Old practice of fixing one sessions trial for three days in continuation is received. No other sessions trial except ay formal party-heard trial in which one or two formal witnesses are to be examined should be fixed on the that day.
2. The process register as mentioned in rule 12 of chapter III of G.R. Criminal be strictly maintained by all Courts. A police official who is receiving the summons must state his name and number in clear block letters in columns no.5 so that the responsibility be fastened upon him.
3. Public prosecutor and D.G.C.(Criminal), as the case may be, should be asked to apply to the court for issue of summons but giving complete particulars of the witness. The summons should, thereafter, be prepared and served upon the witnesses.
4. If the police personnel are not complying with the directions of the court then appropriate action under the provision of the contempt of courts Act be initiated against them."
माननीय उच्च न्यायायल ने अपने नये आदेश दिनांकित 29.05.2018 के द्वारा सभी न्यायिक अधिकारियों को इस सर्कुलर का अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है और स्पष्ट किया है कि जमानती/गैर जमानती वारण्ट जारी करने के पूर्व सम्मन की तामीली बाबत अपनी सन्तुष्टि के कारण पत्रावली में अंकित करें परन्तु मुझे नही लगता कि हम अधिवक्ताओं के सक्रिय दबाव के बिना इन निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित हो सकेगा।