Saturday, 25 May 2019

जो कायर हैं वे कायर ही रहेंगे


जो कायर हैं वे कायर ही रहेंगे
गाँधी की हत्या एक सोची समझी साजिश थी और उसके साथ नये नये आजाद हुये देश मे गाँधी हत्या के बहाने बडे पैमाने पर हिन्दू-मुस्लिम दंगे की भी योजना थी ताकि आजाद भारत की सरकार को अक्षम सिद्ध किया जा सके इसीलिए गोडसे ने खतना करवा लिया था, ताकि उसे मुसलमान समझा जाये ।गोली चलाने के बाद उसने भागने की कोशिश की, लेकिन बिडला हाउस के रघु नायक नामक माली ने उसे दबोच लिया. गोडसे ख़ुद को मुसलमान कह रहा था, लेकिन जल्द ही उसकी असलियत सामने आ गई । इसी बीच पर्चे बांटे जाने लगे थे जिसमे लिखा था कि एक मुसलमान नें बापू की हत्या कर दी है. कई जगह मुसलमानों पर हमले भी हुए लेकिन देश सजग था और तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने घोषणा की कि महात्मा गाँधी की हत्या एक हिन्दू ने की है और उसके बाद बडे पैमाने पर दंगों की साजिश धरी की धरी रह गई । प्रज्ञा ठाकुर , अनंत हेगडे, और भाजपा सांसद नवीन कटील के बयानों को पढने से समझ मे आता है कि आजादी के सर्वोच्च नायक महात्मा गाँधी के प्रति नफरत फैलाने का अभियान आज भी जारी है। इन सबने हम देशवासियों को धोखा देने के लिए माफी माँगने का स्वांग रचा है। इन सब पर विश्वास किया ही नहीं जा सकता है। इन सबमें आजादी की लडाई के नायकों के प्रति घृणा कूट कूट कर भरी है । पहले घृणा और नफरत फैलाना और फिर उसके लिए माफी माॅग लेना , इनकी आदत है , सोची समझी साजिश है । वास्तव मे इनका कायरता का इतिहास है । सबके सब कायर थे , कायर है और कायर ही रहेंगे ।
टिप्पणियाँ
  • Suresh Yadav खतना वाली बात हम लोगो जैसे बहुत सारे लोगो को मालूम नहीं है।
    4
    • Akhtar Ali Farooqui Suresh Yadav सबकुछ पूर्व नियोजित था। अपने को मुसलमान सिद्ध करने के लिए गोडसे ने ऐसा किया ताकि एक मुसलमान द्वारा गाँधीजी की हत्या की अफ़वाह फैलाकर मुसलमानों को टारगेट किया जाता तथा हिंदू महासभा/ आरएसएस पर कोई इल्ज़ाम भी नहीं आता ।
      1
    • Suresh Yadav Akhtar Ali Farooqui मुस्लिम कम्युनिटी को बदनाम करने लिए इस तरह का खेल तो अभी भी सुनने को मिलता है। लेकिन नाथूराम गोडसे वाली बात पहले कभी नहीं सुना था।
      3
    • Akhtar Ali Farooqui Suresh Yadav जीहाँ, बिल्कुल अभी भी होता है..
      1
    कोई जवाब लिखें...

  • Sushil Kumar Tiwari सर् आप अधिवक्ता हैं कृपया ये बताये की परम पूज्य बापू की हत्या के पीछे नाथूराम गोडसे कामोटिव(हेतुक) क्या था?
    1
    कोई जवाब लिखें...

  • Sushil Kumar Tiwari सर् इस जानकारी का स्रोत क्या है?
    • Kaushal Sharma Sushil Kumar Tiwari जी
      हमे हमारे गुरूजनों ने सिखाया था कि घटना पर नही , घटना के पीछे के कारणों पर विचार करो , उनका विशलेषण करो , और फिर उस सबको अपने अनुभव से जोड़कर उस पर अपनी राय बनाओ । मैने देश विभाजन पर डाकटर राम मनोहर लोहिया , भाजपा नेता जसवंत सि
      ंह , प्रख्यात साहित्यकार कमलेशवर की किताबें पढी और उस सबके आधार पर मै कह सकता हूँ कि प्रज्ञा ठाकुर और अन्य लोगों का बयान गाँधी के प्रति नफरत फैलाने की साजिश का हिस्सा है जो आजादी के पहले से जारी है और आज भी जिंदा है ।
      3
    • Akhtar Ali Farooqui बिल्कुल सही विश्लेषण है आपका।
      गाँधीजी की हत्या के पीछे सबसे मुख्य कारण था, बड़े पैमाने पर हिंसा भड़काकर गाँधीजी और देश के मुसलमानों के प्रति नफ़रत फ़ैलाना। 
      आज भी प्रज्ञा व अन्य अनेक लोगों द्वारा जो गोडसे का महिमामंडन किया जा रहा है वह गाँधीजी के प्रति नफ़रत फैलाने की रणनीति का हिस्सा है जो आज़ादी के पूर्व से चल रहा है और अभी भी जारी है..
      2
    • Ashu Patel Sushil Kumar Tiwari rss का देश की आज़ादी में योगदान था इसका क्या स्रोत है।
      मोदी ने चाय बेची इसका का स्रोत है मोदी graduate ही इसका क्या स्रोत है। बताओ।
    • Sushil Kumar Tiwari भाई ये स्वच्छ वार्तालाप हो रहा है इसमें कुतर्क मत करो
    • Sushil Kumar Tiwari भाई गुरूकुल कांगड़ी हरिद्वार के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी श्रद्धा नन्द कीहत्या एक मुस्लिम ने की थी जबकि उनका योगदान भी गांधी जी से कम नही था समाज के लिए
    • Sushil Kumar Tiwari Akhtar Ali Farooqui क्या गाँधी जी भगत सिंह को बचा सकते थे?
    • Akhtar Ali Farooqui Sushil Kumar Tiwari इस बारे में कोई स्पष्ट मत नहीं है अतः इस बिंदु पर टिप्पणी करना उचित नहीं है।
    कोई जवाब लिखें...

  • Adv Rahul Kanojiya ये साज़िश इनकी आज तक चल रही हैं
    हमेशा हिन्दू और मुसलमानों को लड़ाते रहते हैं
    कायर है
    1
  • Indrapal Singh Chauhan शर्मा जी मैं आपसे निवेदन शील हूँ कि कृपया इस प्रकरण की धारा313 के मुल्जिम वयान के बारे में देश को अवगत कराएं जिससे उस कातिल गोडसे की मानसिकता का पता चल सके तथा उन साजिस कर्ताओ का भी पर्दा फ़ाश करे जो इस जधन्य हत्या में शामिल शरीक थे।
    2
  • Vishnu Shukla कई सारी बातों से असहमत होते हुए भी लेख की मूल भावना के पक्ष में हूँ
    4
  • Ravindra Tripathi घटना के पीछे का आपने विचार नही किया, केवल आरोप लगा रहे है,हम हत्या की निंदा करते हैं, परंतु दूसरे पक्ष को भी पढ़ना चाहिए, आखिर गांधी जी की हत्या के समय देश की क्या हालत थी
    1
    • Kaushal Sharma Ravindra Tripathi जी
      आपका कुछ भी तर्क हो लेकिन हत्या अर्थात हिंसा का समर्थन नही किया जाना चाहिए । गोडसे को देशभक्त बताना , हिंसा का समर्थन नहीं तो और क्या है ?
    • Ravindra Tripathi गांधी जी की हत्या एक जघन्य अपराध था,उसकी निंदा होनी चाहिए,परंतु आपके ऐसे विद्वान ब्यक्ति द्वारा यह भी बताना चाहिए कि गोडसे ने क्यो हत्या की ईस बारे में कोर्ट मे उसने क्या बयान दिया था,
    • Kaushal Sharma अभियुक्त ने अपने बचाव के लिए कई तरह के दोषारोपण किये है परन्तु उसकी।शिकायतों को केवल बहस के लिए सही भी मान लिया जाये , तब भी हत्या अर्थात हिंसा का समर्थन नही किया जा सकता । लोकतंत्र मे मतभेद बातचीत से हल किये जाते है , हिंसा से नही ।
      1
    कोई जवाब लिखें...

  • Ravindra Tripathi आदरणीय गोडसे के कोर्ट में दिये गए बयान को भी बताये, की उसने ऐसा क्यों किया
  • S.k. Singh चौहान साहब, मैं कुछ समय से शर्मा जी के ब्लॉग पढ रहा हूँ। मुझे लगता है कि एक बिचारधारा के बिरोध में ये इतना अधिक गहरे चले गये हैं या यह कहिए कि नीचे गिर गए हैं कि वहां इन्हें प्रकाश की अनुभूति नहीं रह गयी है जिसके कारण कदाचित् कुण्ठाग्रस्त भी है। वही कुण्ठा इनकी अभिव्यक्ति में प्रकट होती है। इनके प्रकरण की तुलना राहुल गांधी से की जा सकती है। आप इनसे सहानुभूति रखे और इन्हें इगनोर करें।
    1
    • Kaushal Sharma आदरणीय एस के सिंह साहब मै नीचे गिर गया हूँ या आप खुद अपनी गरिमा भूल गये हो । हत्या अर्थात हिंसा का समर्थन करके अपनी युवा पीढी को क्या संदेश देना चाहते हो? अच्छी तरह समझ लो , हिंसा और नफरत किसी समस्या का समाधान नहीं है । हिंसा पर विश्वास करने वाले , कायर होते है , उनके पास तर्क नही होते , केवल बन्दूक होती है ।
      1
    कोई जवाब लिखें...

  • Arvind Raj Tripathi आपने अच्छा लिखा अगर आप स्पष्ट कर देते कि यह कायर कौन लोग हैं हिंदू हैं यह हिंदू महासभा के लोग या किसी अन्य विचारधारा से जुड़े हुए लोग तो बेहतर होता आपकी पोस्ट पढ़ने से लग रहा या आप समस्त हिंदुओं को कायर कह रहे हैं कृपया स्पष्ट करें
    • Kaushal Sharma Arvind Raj Tripathi जी
      मै मानता हूँ कि किसी भी धर्म या जाति का अनुयायी कायर नही होता । सभी धर्म अपने अनुयायियों को सत्य का अनुगमन करने की शिक्षा देते है परन्तु कई बार धर्मांधता या अन्य किसी तात्कालिक लाभ के लिए हम खुद अपने धर्म की आधारभूत मर्यादाओं का उल्लंघन करते है ।हमारे अपने इस आचरण के लिए हमारे धर्म का कोई दोष या दायित्व नहीं है । हिंसा पर विश्वास करने वाले सदैव कायर होते है ।
    कोई जवाब लिखें...

कोई टिप्पणी लिखें…

3 comments:

  1. Gandhijee ki mahanta ke bare men alag se kya likha jaye.. uski height batane ke liye itna hi dekhna kafi hai ki jis aadmi ne unki hatya ki, wo bhi amar ho gaya.. warna godse jaise lakhon log her saal paida hote aur unnoticed hi mar jate hain..
    Court men usne jo daleel di thi, wo bus khud ko sahi sabit karne ki koshish bhar thi, jaisa ki her apradhi apne kaam ko justified thahrane ki koshish karta hai..


    ReplyDelete
  2. क्या इसका कोई सोर्स साझा कर सकते हैं?

    ReplyDelete
  3. कायरता न अहिंसा न हिंसा की निशानी है, यह दोनो अपने अपने परिवेश में अगर सही मूल्यांकन करते हैं तो दोनो अच्छे है वरना कोई भी नहीं।
    उदाहरण से समझे: अगर किसी का बलात्कार हो रहा हो और आप अहिंसा की बांसुरी बजाते रहें तो आपका अहिंसात्मक होना कायरता है, ढकोसला है क्योंकि वहां प्रतिकार की जरूरत है।
    अगर हिंसा किसी को दबाने की लिए की जा रही हो तो वो हिंसात्मक कारवाई निंदनीय हैं।
    महात्मा गांधी जी पूजनीय है क्योंकि उन्होंने देश को एकसूत्र में बंधा, और आजीवन अहिंसा का पालन करते रहे। परंतु कुछ प्रश्नचिन्हन जो समझने की जरूरत है
    1) जब गांधी जी अपने अहिंसा pe itne arig the phir veh भारतीयों को अंग्रेजो के तरफ से करने के लिए स्वीकृति देते हैं मतलब जिस देश ने लूट खाया उसको मदद देते हैं और कई भारतीयों को मरने भेज देते हैं।शायद कुछ जानो से भारत को आजादी मिल जाती।
    2) अंग्रेजो की ऐसी konsi bhakti thi ki keval adha swaraj hi kaafi tha Gandhi ji ke liye, agar क्रांतिकारियों ने आवाज नहीं उठाई होती तो पूर्ण स्वराज का सपना सपना ही रह जाता।
    ३) भारत जब विभाजन का दंश झेल रहा था तो आमरण अनशन पर क्यों नहीं बैठे, क्यों पंजाब प्रांत जाकर लोगो को समझाया की बिना हिंसा के भी आवागामन हो सकता है। शायद वहां की हिंसा से डर लगता होगा।परंतु पाकिस्तान के लिए पैसे देने में अनशन पर बैठ गए।
    ४) भगत सिंह राजगुरु को फांसी से बचाया जा सकता था पर उनकी हिंसा इन्हे पसंद नहीं थी, वह भी अपना काम ही कर रहे थे, आहुति दे रहे थे।
    ५) जिसकी हर बात हर कोई मानता था वह नेहरू और जिन्ना को नहीं समझा सके यह भी संदेह उत्पन्न करता है और अखंड भारत का सपना टूट जाता है।
    ६ आज भी us विभाजन की वजह से कितनी हिंसा होती है आप जानते ही हैं।
    ७) जब अंबेडकर जी ने जात प्रथा को खत्म करने का प्रस्ताव रखा तो उसे सिरे से नकार दिया गया, क्यों उसपे विचार विमर्श नहीं हुआ।
    पर इन गलतियों की वजह से कोई ऐसी पुण्यात्मा को मार सकता है, नहीं कोई सिरफिरा जो देख न सका की पंजाब प्रांत में बहनों के साथ क्या हो रहा है, किसकी वजह से हो रहा है और मारने की पृष्ठभूमि रच दी गई, दोनो पक्षों में कौन सही था कौन गलत यह आप और हम नहीं सोच सकते, नाथूराम को फांसी हुई यह सही था, पर क्या बापू के हाथ खून से सने नहीं थी यह भी सोचने का विषय है।
    देश को सक्षम होने की जरूरत है, सबल होने की जरूरत है, गलतियों से सिख ले आगे बढ़ने की जरूरत है। इतिहास को सिर्फ इस नजर से देखना चाहिए।


    ReplyDelete