जो कायर हैं वे कायर ही रहेंगे
गाँधी की हत्या एक सोची समझी साजिश थी और उसके साथ नये नये आजाद हुये देश मे गाँधी हत्या के बहाने बडे पैमाने पर हिन्दू-मुस्लिम दंगे की भी योजना थी ताकि आजाद भारत की सरकार को अक्षम सिद्ध किया जा सके इसीलिए गोडसे ने खतना करवा लिया था, ताकि उसे मुसलमान समझा जाये ।गोली चलाने के बाद उसने भागने की कोशिश की, लेकिन बिडला हाउस के रघु नायक नामक माली ने उसे दबोच लिया. गोडसे ख़ुद को मुसलमान कह रहा था, लेकिन जल्द ही उसकी असलियत सामने आ गई । इसी बीच पर्चे बांटे जाने लगे थे जिसमे लिखा था कि एक मुसलमान नें बापू की हत्या कर दी है. कई जगह मुसलमानों पर हमले भी हुए लेकिन देश सजग था और तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने घोषणा की कि महात्मा गाँधी की हत्या एक हिन्दू ने की है और उसके बाद बडे पैमाने पर दंगों की साजिश धरी की धरी रह गई । प्रज्ञा ठाकुर , अनंत हेगडे, और भाजपा सांसद नवीन कटील के बयानों को पढने से समझ मे आता है कि आजादी के सर्वोच्च नायक महात्मा गाँधी के प्रति नफरत फैलाने का अभियान आज भी जारी है। इन सबने हम देशवासियों को धोखा देने के लिए माफी माँगने का स्वांग रचा है। इन सब पर विश्वास किया ही नहीं जा सकता है। इन सबमें आजादी की लडाई के नायकों के प्रति घृणा कूट कूट कर भरी है । पहले घृणा और नफरत फैलाना और फिर उसके लिए माफी माॅग लेना , इनकी आदत है , सोची समझी साजिश है । वास्तव मे इनका कायरता का इतिहास है । सबके सब कायर थे , कायर है और कायर ही रहेंगे ।
गाँधी की हत्या एक सोची समझी साजिश थी और उसके साथ नये नये आजाद हुये देश मे गाँधी हत्या के बहाने बडे पैमाने पर हिन्दू-मुस्लिम दंगे की भी योजना थी ताकि आजाद भारत की सरकार को अक्षम सिद्ध किया जा सके इसीलिए गोडसे ने खतना करवा लिया था, ताकि उसे मुसलमान समझा जाये ।गोली चलाने के बाद उसने भागने की कोशिश की, लेकिन बिडला हाउस के रघु नायक नामक माली ने उसे दबोच लिया. गोडसे ख़ुद को मुसलमान कह रहा था, लेकिन जल्द ही उसकी असलियत सामने आ गई । इसी बीच पर्चे बांटे जाने लगे थे जिसमे लिखा था कि एक मुसलमान नें बापू की हत्या कर दी है. कई जगह मुसलमानों पर हमले भी हुए लेकिन देश सजग था और तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने घोषणा की कि महात्मा गाँधी की हत्या एक हिन्दू ने की है और उसके बाद बडे पैमाने पर दंगों की साजिश धरी की धरी रह गई । प्रज्ञा ठाकुर , अनंत हेगडे, और भाजपा सांसद नवीन कटील के बयानों को पढने से समझ मे आता है कि आजादी के सर्वोच्च नायक महात्मा गाँधी के प्रति नफरत फैलाने का अभियान आज भी जारी है। इन सबने हम देशवासियों को धोखा देने के लिए माफी माँगने का स्वांग रचा है। इन सब पर विश्वास किया ही नहीं जा सकता है। इन सबमें आजादी की लडाई के नायकों के प्रति घृणा कूट कूट कर भरी है । पहले घृणा और नफरत फैलाना और फिर उसके लिए माफी माॅग लेना , इनकी आदत है , सोची समझी साजिश है । वास्तव मे इनका कायरता का इतिहास है । सबके सब कायर थे , कायर है और कायर ही रहेंगे ।
Gandhijee ki mahanta ke bare men alag se kya likha jaye.. uski height batane ke liye itna hi dekhna kafi hai ki jis aadmi ne unki hatya ki, wo bhi amar ho gaya.. warna godse jaise lakhon log her saal paida hote aur unnoticed hi mar jate hain..
ReplyDeleteCourt men usne jo daleel di thi, wo bus khud ko sahi sabit karne ki koshish bhar thi, jaisa ki her apradhi apne kaam ko justified thahrane ki koshish karta hai..
क्या इसका कोई सोर्स साझा कर सकते हैं?
ReplyDeleteकायरता न अहिंसा न हिंसा की निशानी है, यह दोनो अपने अपने परिवेश में अगर सही मूल्यांकन करते हैं तो दोनो अच्छे है वरना कोई भी नहीं।
ReplyDeleteउदाहरण से समझे: अगर किसी का बलात्कार हो रहा हो और आप अहिंसा की बांसुरी बजाते रहें तो आपका अहिंसात्मक होना कायरता है, ढकोसला है क्योंकि वहां प्रतिकार की जरूरत है।
अगर हिंसा किसी को दबाने की लिए की जा रही हो तो वो हिंसात्मक कारवाई निंदनीय हैं।
महात्मा गांधी जी पूजनीय है क्योंकि उन्होंने देश को एकसूत्र में बंधा, और आजीवन अहिंसा का पालन करते रहे। परंतु कुछ प्रश्नचिन्हन जो समझने की जरूरत है
1) जब गांधी जी अपने अहिंसा pe itne arig the phir veh भारतीयों को अंग्रेजो के तरफ से करने के लिए स्वीकृति देते हैं मतलब जिस देश ने लूट खाया उसको मदद देते हैं और कई भारतीयों को मरने भेज देते हैं।शायद कुछ जानो से भारत को आजादी मिल जाती।
2) अंग्रेजो की ऐसी konsi bhakti thi ki keval adha swaraj hi kaafi tha Gandhi ji ke liye, agar क्रांतिकारियों ने आवाज नहीं उठाई होती तो पूर्ण स्वराज का सपना सपना ही रह जाता।
३) भारत जब विभाजन का दंश झेल रहा था तो आमरण अनशन पर क्यों नहीं बैठे, क्यों पंजाब प्रांत जाकर लोगो को समझाया की बिना हिंसा के भी आवागामन हो सकता है। शायद वहां की हिंसा से डर लगता होगा।परंतु पाकिस्तान के लिए पैसे देने में अनशन पर बैठ गए।
४) भगत सिंह राजगुरु को फांसी से बचाया जा सकता था पर उनकी हिंसा इन्हे पसंद नहीं थी, वह भी अपना काम ही कर रहे थे, आहुति दे रहे थे।
५) जिसकी हर बात हर कोई मानता था वह नेहरू और जिन्ना को नहीं समझा सके यह भी संदेह उत्पन्न करता है और अखंड भारत का सपना टूट जाता है।
६ आज भी us विभाजन की वजह से कितनी हिंसा होती है आप जानते ही हैं।
७) जब अंबेडकर जी ने जात प्रथा को खत्म करने का प्रस्ताव रखा तो उसे सिरे से नकार दिया गया, क्यों उसपे विचार विमर्श नहीं हुआ।
पर इन गलतियों की वजह से कोई ऐसी पुण्यात्मा को मार सकता है, नहीं कोई सिरफिरा जो देख न सका की पंजाब प्रांत में बहनों के साथ क्या हो रहा है, किसकी वजह से हो रहा है और मारने की पृष्ठभूमि रच दी गई, दोनो पक्षों में कौन सही था कौन गलत यह आप और हम नहीं सोच सकते, नाथूराम को फांसी हुई यह सही था, पर क्या बापू के हाथ खून से सने नहीं थी यह भी सोचने का विषय है।
देश को सक्षम होने की जरूरत है, सबल होने की जरूरत है, गलतियों से सिख ले आगे बढ़ने की जरूरत है। इतिहास को सिर्फ इस नजर से देखना चाहिए।