Saturday, 11 May 2019

इस तरह के भाईचारे की हमे जरूरत है

इस तरह के भाईचारे की हमे जरूरत है
कल कचहरी मे अपने मित्र नरेश तिवारी ने हमसे साझा मित्र ( नाम लिखना शायद ठीक नही ) के चैंबर मे चलकर उनके साथ चाय पीने के लिए कहा । मै आम तौर पर 11बजे से 03 बजे के बीच किसी के चैंबर मे नही जाता लेकिन नरेश जी के आग्रह पर इंकार नही किया जा सकता था । मै उनके साथ गया । साझा मित्र ने हम दोनो का गर्म जोशी से स्वागत किया और फिर फेसबुक पर मेरी एक पोस्ट को लेकर बातचीत शुरू हो गई । हमने कहा कि विदेशी शासन के खिलाफ हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी ने आपस के भेद मिटाकर साझा संघर्ष किया है और जो लोग जिन्ना के आवाह्न पर पाकिस्तान नही गये , उन्हे भारत से उतना ही प्यार था जितना हम हिन्दुओं को है । कल 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 163 वी वर्षगाँठ भी थी । मैने याद दिलाया कि 1857 का आन्दोलन बहादुरशाह जफर के नेतृत्व मे लडा गया था । इस देश पर जितना हिन्दुओं का अधिकार है , उतना मुस्लिमों का भी है ।मेरी बातों पर टोका टाकी जारी थी ,मुझे हिन्दू विरोधी बताया जा रहा था। यहाँ तक तो ठीक था परन्तु इसी बीच वहीं बैठे अपने एक युवा साथी ने हम सबका ज्ञानवर्धन किया और बताया कि आजादी की लडाई धोखा थी और उसमे सब चोर उचक्के शामिल थे । किसी मुसलमान ने आजादी के लिए कोई बलिदान नही दिया । नरेश जी ने उन्हें अशफाक उल्ला खान का नाम याद दिलाया परन्तु अपना विद्वान युवा साथी उत्तेजित हो गया । नरेश ने धैर्य का परिचय दिया । मै भी चुप हो गया। लेकिन कल से मै परेशान हूँ । सोच नही पा रहा हूँ कि आजादी की लडाई के महत्व को कमतर सिद्ध करने से देश को क्या लाभ होगा ? रोज रोज मुसलमानों को देशद्रोही बताते रहकर देश की एकता-अखंडता कैसे अक्षुण्ण रहेगी ? मित्रों मै एक कपडा मिल मे मजदूरी करता था , वहाँ बडी संख्या मे मुस्लिम भी मजदूरी करते थे और मुझे याद नही आता कि किसी कारखाने मे कभी हिन्दू मुस्लिम के नाम पर कोई विवाद हुआ हो । मकबूल अहमद खाॅ की हिन्द मजदूर पंचायत मे बहुमत सदस्य हिन्दू थे । जार्ज फर्नांडीज हिन्द मजदूर पंचायत के राष्ट्रीय नेता थे ।कामरेड राम आसरे की सूती मिल मजदूर सभा मे कई महत्व पूर्ण नेता मुस्लिम थे और उनमे साम्प्रदायिक आधार पर कोई विभाजन नही था । कचहरी मे हम सबने संविधान पढा है ।किसी धर्म के आधार पर नही , संविधान के आधार पर देश को नियंत्रित एवं संचालित रखना अन्य किसी की तुलना मे हमारी ज्यादा जिम्मेदारी है । आजादी की लडाई हम वकीलों ने भी लडी है । हमको पता होना चाहिए कि संविधान मे " सेकुलर " शब्द मूल संविधान का भाग नही है। इसे आपातकाल के दौरान 42वें संविधान संशोधन के द्वारा जोडा गया था और फिर 1977 मे जनता पार्टी की सरकार के दौरान इस शब्द को हटाने की माँग उठी थी , तब अटल बिहारी बाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने संविधान मे इस शब्द को बनाये रखने की वकालत की । आज किसी को गाली देने के लिए सेकुलर शब्द का प्रयोग किया जाता है । समझ मे नही आता , सामान्य बातचीत मे भी आक्रामक हो जाने का औचित्य क्या है ? अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि किसी के भी प्रति नफरत या हिंसा फैलाकर समाज मे स्थायी सुख शांति स्थापित नही की जा सकती । हम अधिवक्ता है , असहमति का सम्मान करना हमारे पेशे की विशेषता है और यदि हम लोगों ने तेज स्वर मे गाली गलौज करके सामने वाले के सुसंगत तर्को का जवाब देना शुरू कर दिया तो फिर लोकतंत्र नही बचेगा और एक बार फिर जंगल का कानून वापस आयेगा ।
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टिप्पणियाँ
  • Adv Manharan Gopal Awasthi कौशल जी, असहिष्णुता से ग्रस्त है देश मत भिन्नता वर्दास्त नहीं है
  • Arun Pal I am agree with you
  • Adv Rahul Kanojiya ह से हिन्दू 
    म से मुसलमान
    हम से बना ये सारा हिंदुस्तान
  • Prem Kumar Tripathi कौशल जी जो लोग आजादी की लड़ाई में भाग नहीं लिए हैं वह तो इस आंदोलन की महत्ता को कमतर ही बताएंगे कि मनुष्य का स्वभाव है कि वह अपने कार्यों की महानता को बढ़-चढ़कर बताता है और जिन कार्यों को करने से वंचित रहता है उनकी महाता को बताने में बगले झांकता है जो लोग अपने जीवन काल में हुई महत्वपूर्ण लड़ाइयां में शिरकत नहीं कर पाते हैं वह नेता बनने के लिए शॉर्टकट ढूंढा करते हैं आज जो देश में हिंदू मुस्लिम को अलग कर राजनीति करने का काम किया जा रहा है वह इसका ही एक उदाहरण है
  • Shikha Singh अंकल हद्द तो तब हो गई जब बनारस के अधिवक्ताओं ने प्रियंका गांधी के महादेव के पूजन और काशी यात्रा का विरोध करने के लिए डीएम को ज्ञापन सौंपा था। आजकल अधिवक्ता भी कानून को कहां समझते हैं!
  • Sudha Sharma Jativad hamare samaj ki thopi hui manyta matr hai . Aadikal me jab thode se manushya the jo junglon me rahte the , tab jati kahan thi ?
    Ek hindu ka navjat balak kisi musalman ke yahan jakar pal jaay to musalman sanskriti ko apna lega .
    Dusri baat kisi 
    hindu ka sahas hai ki kisi musalman ko matadhikar se vanchit kar de ? Arthat koi musalman utna hi desh ka nagarik hai , jitna hindu .
    Azadi ki ladai me ashfaq hi nahi , tamam musalman lage the . 
    Virodh karnewale mitr tarkik nahi hain , purvagrahi hain . Kadachit tulsi ke ramayan ki kisi chaupayi ka arth bata n payen .
    Puchhna - Din dayal virad sambhari - ka kya arth hua .
  • Kailash Shukla मैं सामान्य रूप से सहमत होते हुए कहता हूँ मुस्लिम समुदाय आतंकवाद व शरीयत कुरीतियों के विरोध मैं क्यों नही बोलते हम हिन्दू ही है जो हर धर्म का सम्मान करते है
  • Ramji Upadhyay बाबूजी जिस दिन हम सभी अधिवक्ता लोगो को ये समझाने में कामयाब हो गए कि 26 जनवरी 1950 के बाद भारत का राष्ट्रीय धर्मग्रंथ भारतीय संविधान है ,और धर्म सिर्फ भारतीय है,उसी दिन से जाति धर्म का विवाद ही समाप्त हो जाएगा ।
  • Sanjay Kumar Singh आप जिस शालीनता,ज्ञान व गूढ अनुभव से अपनी बात रखते हैं,बेशक! वह तारिफ़ ए काबिल है किंतु कभी कभी मैं भी एहसास करता हुँ कि आपका बेबाकीपन चतुर्दिक दिशाओं में अकिंचन ही नज़र आता है...
  • Vishnu Shukla मुझे लगता है आखिरी लाइन की editing की जरूरत है।

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