Sunday, 17 February 2013

ONLINE FIR


vkWuykbu ,Q-vkbZ-vkj- vHkh dkslksa nwj


 संज्ञेय अपराधों में भी पुलिस थाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की जाती जिसके कारण प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए बड़ी संख्या मंे दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत प्रार्थनापत्र अदालतों के समक्ष प्रस्तुत किये जाते है और उसके कारण अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष अभियुक्तों के विचारण का काम कुप्रभावित होता है।

    पुलिस अधिनियम और दंण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत संज्ञेय अपराधों की सूचना को लेखबद्व करना और उसके बाद उसकी विवेचना पुलिस थाने के भार साधक अधिकारी का विधिक दायित्व है परन्तु प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए न्यायालयो के समक्ष बढ़ते प्रार्थनापत्रों से सिद्व होता है कि थानो के भार साधक अधिकारी अपने इस दायित्व का पालन नहीं कर रहें है। प्रायः पदभार ग्रहण करते समय पुलिस कमिश्नर या पुलिस महानिदेशक अपनी पहली प्रेस कान्फ्रेन्स में प्रत्येक अपराध की सूचना दर्ज करने का फरमान जारी करना कभी नहीं भूलते परन्तु पुलिस थाने के स्तर पर अभी तक किसी प्रदेश में इस फरमान को अमली जामा पहनानें में किसी की कोई रूचि नहीं रहती और स्थितियाँ ज्यों की त्यों बनी हुई है।

    यह सच है कि कई बार कुछ निहित स्वार्थी तत्व किसी को प्रताडि़त करने या किसी व्यवसायिक विवाद में अनुचित दबाव बनाने के लिए फर्जी कथानक बनाकर प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत करा देते है परन्तु थानो में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न करना इस समस्या का समाधान नहीं है। इस समस्या के सार्थक एवं दीर्घकालिक समाधान के लिए आवष्यक है कि प्रत्येक अपराध की सूचना थाने में दर्ज की जाये और दर्ज सूचना फर्जी पायी जाये तो इनफार्मेन्ट के विरूद्व भारतीय दण्ड संहिता की धारा 182 के तहत कार्यवाही संस्थित करना सुनिश्चित कराया जाये। इस प्रकार की कार्यवाही से निहित स्वार्थी तत्व हतोत्साहित होगें और फर्जी सूचना देने का सिलसिला रूकेगा।

    पुलिस थानो में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न होने से आम लोगों में पुलिस के प्रति अविश्वास बढता है जो समाज की स्थायी षान्ति एवं कानून व्यवस्था के लिए किसी भी दशा में हितकर नहीं है। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न होने की बढती शिकायतों को दृष्टिगत रखकर केन्द्र सरकार ने आन लाइन पंजीकरण की व्यवस्था का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट तैयार किया है जो अभी तक जमीनी हकीकत अख्त्यिार नहीं कर सका है। केन्द्रीय गृह मन्त्रालय ने प्रथम सूचना रिपोर्ट के आन लाइन पंजीयन के लिए क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एण्ड सिस्ट्म लागू करने का निर्णय लिया है और इसके लिए दो हजार करोड़ रूपयें स्वीकृत भी किये है। इस प्रोजेक्ट के तहत चैदह हजार पुलिस स्टेशन और पुलिस उच्चाधिकारियों के 6 हजार कार्यालयों को आधुनिक संसाधनों से लैस करने की योजना है। क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्ट्म के तहत कानून व्यवस्था में लगी सभी एजेन्सियों को अपराधियों की पहचान सुनिश्चित करने और अपराधो की विवेचना की गुणवत्ता निरन्तर बनायें रखने के लिए साझा मंच उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य किया जाना है। संयुक्त सचिव स्तर के 20 अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट को मानीटर करने का दायित्व सौपा गया है। अपने देश में कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और राज्य सरकारे इस विषय पर केन्द्र सरकार के साथ स्वस्थ तालमेल बनाये रखने की दिशा में कोई रूचि नहीं ले रहीं है जिसके कारण समुचित संसाधन होने के बावजूद अभी तक कामन एप्लीकेशन साफ्टवेयर तक तैयार नहीं किया जा सका है और पूरा प्रोजेक्ट विचार के स्तर से आगे नहीं बड़ा है।

    श्री पी चिदम्बरम ने गृह मन्त्री के रूप मंे अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2012 में राज्य सभा को सूचित किया था कि प्रथम सूचना रिपोर्ट के आन लाइन पंजीकरण की व्यवस्था वर्ष 2012 की समाप्ति तक लागू कर दी जायेगी परन्तु अभी तक इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की जा सकी है जबकि इस प्रोजेक्ट के लिए केन्द्र सरकार ने विभिन्न राज्य सरकारो और केन्द्र शासित प्रदेषो को 418 करोड़ रूपये की राशि प्रदान भी कर दी है परन्तु आपसी तालमेल के अभाव के कारण केन्द्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को लागू करने की अवधि मार्च 2015 तक बढा दी है जबकि मूल योजना के तहत इसे दिसम्बर 2012 तक क्रियान्वित करना आवश्यक था। इस सबको देखकर लगता है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट के आन लाइन पंजीयन के लिए दो हजार करोड़ की यह महत्वाकांक्षी योजना भी आम लोगों तक पहुँचने के पहले ही दम तोड़ देगी।

No comments:

Post a Comment