मेरा बेटा, भाई, मित्र, सहयोगी दुर्गेश नन्दन शुक्ल एडवोकेट इस दुनिया को छोड़़कर न जाने कहाँ चला गया, हम तो आखिरी बार उसे देख भी नहीं पाये, भगवन किस अपराध की सजा मुझे दी है, पूरी दुनिया जानती और मानती है कि आप जो कुछ भी करते है, अच्छा करते है, अच्छे के लिए करते है लेकिन हम सब नहीं जानते और जान भी नहीं पा रहे है कि अनन्या के जीवन से पिता और अंजली के जीवन से उसके पति की छाया हट जाने से क्या अच्छा होने वाला है, भगवन जो हुआ सो हुआ लेकिन अब अंजली, अनन्या उनके पिता, भाई, भाभी और अंजली के पिता को इस दारुण दुख को सहने की शक्ति दो, हम सब आपके बच्चे है हम सबसे जो कुछ भी अपराध हो गया हो उसके लिए क्षमा कर दो, भगवन और अब सुनिश्चित करो कि अनन्या को पिता का अभाव उसे उसके सपनों को साकार करने में बाधक न बनने पाये, भगवन हम सबकी इस विनती को मान लो, मान लो, मान लो..........।
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