Monday, 17 September 2018

माल्या खुद मेरा चश्मा मुम्बई से दिल्ली लाये थे


माल्या खुद मेरा चश्मा मुम्बई से दिल्ली लाये थे
अपने एक सांसद दोस्त के साथ मै विजय माल्या से उनके मुम्बई स्थित घर पर मिला हूँ । उनके घर की फिल्मी चकाचौंध देखकर मै हतप्रभ था और खुली आँखों से मै उनके घर का इंटीरियर देख लेना चाहता था इसलिए अपना चश्मा उतार कर वहीं रख दिया और चलते समय उसे वहीं छोड आया । एक सप्ताह बाद मेरा चश्मा खुद माल्या जी दिल्ली लेकर आये और उसे मुझ तक पहुँचाया । यह बहुत छोटी बात है लेकिन इससे उनकी संवेदनशीलता का परिचय मिलता है । बेशक वे डिफाल्टर है लेकिन उन्हें अपराधी मानना न्यायसंगत नहीं है । हम सब जानते है , अपने अमिताभ बच्चन दिवालिया होने की स्थिति मे आ गये थे , उनका बॅगला नीलाम होने ही वाला था लेकिन तत्कालीन बैंक अधिकारियों ने उन्हे बकाया राशि अदा करने के अवसर दिये और उनहोंने बैक की बकाया राशि अदा कर दी । मैने कई बडी फायनेंस कम्पनियों के लिए काम किया है । एक डिफाल्टर की गाडी रिपजेस कर ली गई और उसे बेचने की तैयारी की जा रही थी । इसी बीच डिफाल्टर की पत्नी अपनी दो अबोध बेटियों के साथ मैनेजर के पास आयी और गाडी छोड देने का अनुरोध किया । उसकी मौखिक गारंटी पर गाडी छोड दी गई । मै नही जानता , उस महिला ने क्या किया? लेकिन उसने पुराना डिफाल्ट क्लियर कराया और बाद की भी सभी किश्तें अदा कराई ।इस घटना को बताकर मै कहना चाहता हूँ कि माल्या हों या अन्य कोई डिफाल्टर , उसे बकाया राशि अदा करने के अवसर दिये ही जाने चाहिए । अपराधी बताकर उसे बदनाम करने से लोन फॅस जाता है ।
टिप्पणियाँ
Prateek Vaish I fully agree with you, Sir. No wilful defaulter will ever mortgage his personal assets for a loan taken by a company where his liabilities are limited.
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जवाब देंअनुवाद देखें1 दिन
Kamlesh Singh ये आपकी बात ठीक है कि मौका दिया जाय लेकिन एक माल्या नही है लगभग एक लाख के करीब है फिर कुछ ही लोगो को चर्चा मे रखना क्या न्यायसंगत है।
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जवाब दें1 दिन
Sk Yadav आपकी बात व्यावहारिक रूप से उचित जान पड़ती है, लेकिन सबसे पहले तहसील के अंदर बने बंदीगृह समाप्त कर दिए जाएं जिसमें मामूली रकम के बकाए पर निरीह किसानों और गरीबों को बंद कर दिया जाता है।मौका तो उन्हें भी मिलना चाहिए।
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जवाब दें1 दिनसंपादित
Kaushal Sharma आपने एकदम सही बात कही है । छोटे बकायेदारों को तहसील की हवालात मे अमानवीय यातनायें दी जाती हैं । छोटे बकायेदारों की समस्याओं के मानवीय पहलू पर बात नहीं की जाती ।बडे बकायेदार तो बच जाते है लेकिन छोटे बकायेदारों को बहुत कुछ झेलना पडता है ।
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जवाब दें1 दिनसंपादित
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जवाब दें1 दिन
Ambuj Agarwal Loan restructure ka banko के पास अधिकार होते है सामान्य अर्थशास्त्र में 1x 1 मतलब 1 रुपये का लोन ओर 1 रुपये की एसेट ओर एक बार लोन हो जाने के बाद बैलेन्स शीट के आधार पर हर साल लोन का नावनिकरण होता है बस यही से सुरु होता है खेल आपसी साठगांठ का बहुत सी ऐसी कंपनियों के बैंकों का लिण है कि 1 रुपये के एसेट ओर 10 से 15 रुपये तक लोन
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जवाब दें1 दिन
Tarunendu Bajpai इसमे क्या बैंक प्रसाशन जिम्मेदार है? यदि हां तो 
क्या कठोर कार्यवाही नही
होनी चाहिये? यदि कार्य वाही
...और देखें
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जवाब दें1 दिन
Mahesh Sharma मैं सहमत नहीं हूँ। चश्मे की घटना आपका नज़रिया ही बदल दिया। यह नोबत आई क्यों? सरकार ने माल्या को भागने दिया इसके प्रमाण हैं। हर व्यक्ति में कोई न कोई क्वालिटी होती हैं सो उनमे भी हो सकती है।
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जवाब दें1 दिन
Tarunendu Bajpai देश हित से ऊपर कोई नही है।
देश को हानि पहुचाने वाले की
क्वालिटी नहीं देश के प्रति ल्वायालिटी होनी चाहिये।
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जवाब दें1 दिन
Deepak Sootha बैंकों मे लोन देने के मापदंड भी हैँ क्या? यदि हाँ तो इनका पालन होता है क्या? छोटे छोटे लोन लेने के लिए कोलेट्रल गारंटी, मॉर्गेज आदि का प्रावधान है. बड़े लोन्स में भी जरूर होता होगा. इन प्रावधानों और नियमों की अवहेलना कौन और कैसे करता है. वही असली अपराधी hai, पर साफ़ बच निकलता है. कागज़ी लिखा पढ़ी पूरी करने के बाद ही तो बैंकें ऋण देती हैं, कोई जोर जबर्दस्ती या डाकाजनी तो नहीं करता !इस लिहाज़ से तो माल्या अकेले दोषी नहीं. यदि ऐसा होता तो एयर पोर्ट पर उन्हें बिदा करने गुलदस्ता लेकर मंत्री /सांसद न पहुंचते. जो व्यक्ति बंगलौर एयर पोर्ट तक सम्मानित था, लंदन पहुंचते ही अचानक अपराधी हो जाता है. तंत्र का ये कैसा मंत्र है?
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जवाब दें1 दिनसंपादित
Prabhat K. Tiwari अगर लोन अदा करने का इरादा था तो भगा ही keo
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जवाब दें1 दिन
Ashok Pandey मौका अवश्य मिलना चाहिए
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जवाब दें1 दिन
Narendra Kumar Yadav कौशल भाई दुबारा न कहना नही भगाने वालो मे तुम्हारा भी नाम आजयेगा।
खामखां हमे जमानत कराने मे मेहनत करनी पडेगी।
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जवाब दें1 दिन
Vivek Mehrotra ये सब छोड़िए साहब ,, वकीलो के लिये भी लोन की कुछ पैरवी कर दीजिए ,,, माल या तो माल लेकर उड़ गया ,,,, हा हा
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जवाब दें1 दिन
Sandip Kumar Singh मौका देना चाहिए ये तो उचित है ,पर आपका चश्मा देने आए इस प्रसंग का उल्लेख करने का उद्देश्य क्या है आप तो कानपुर रहते है भाई
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जवाब दें1 दिन
Sandip Kumar Singh और एक भगोड़े को माल्या जी कहना उचित नही भाई।
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जवाब दें1 दिन
Anurag Tripathi जहाँ तक मेरा अनुभव है तो मैं तो चश्मा उतार कर ठीक से देख नही पाता हूँ और आप चश्मा उतार कर एक सप्ताह तक साफ देखते रहे।
शायद इसीलिए माल्या जी एक भले आदमी है और उनको एक मौका दिया जाना चाहिए।
आखिर एक हफ्ते तक आपकी नयन ज्योति बढ़ी रही।
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जवाब दें1 दिन
Ambrish Tandon Yesterday I visited for a home loan in Central Bank of India, Inspite of complete documents, Manager refused the loan worth RS.3 Lakhs only. Where is Equality, A man is Absconded with 11000 Crs. And a person is struggling for little amount with Security of Fixed Asset.
Thanks
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जवाब देंअनुवाद देखें23 मिनट

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