
बीच मैं विधि स्नातक हो गया और वे वर्ष 2003 में भारत के विधि मन्त्री हो गये। श्री राजीव शुक्ल के साथ मुझे संसद भवन स्थित कार्यालय में मिलने का अवसर मिला, उन्होंने मुझे पहचाना और कानपुर में भारत सरकार का अपर स्थायी शासकीय अधिवक्ता नियुक्त कर दिया। मेरी मजदूर पृष्ठभूमि थी इसलिए उस समय के कई दिग्गजों को मेरी नियुक्ति अखरने लगी। इनमें से एक दिग्गज ने आदरणीय मणिशंकर अय्यर जी से सम्पर्क किया और उन्होंने आग्रहपूर्वक आदरणीय जेटली जी से मुझे हटाने के लिए कहा परन्तु जेटली जी ने उन्हें दो टूक इन्कार किया और बताया कि कौशल हमारा दशकों पुराना कार्यकर्ता है, उसे नही हटाया जा सकता। अपने प्रति जेटली जी के अनुग्रह के कारण उस दिन पहली बार हमें महत्वपूर्ण होने का अहसास हुआ था। अपने सामान्य कार्यकर्ताओं को पहचानने और आवश्यकता पड़ने पर उनके मान सम्मान की रक्षा करना जेटली जी की आदत थी। उन्होंने हमारे जैसे सैकड़ों कार्यकर्ताओं को विभिन्न जनपद न्यायालयों में शासकीय अधिवक्ता नियुक्त करके एक नई परम्परा शुरु की। उस समय तक सभी जनपदों में जिला शासकीय अधिवक्ता दीवानी ही भारत सरकार का काम देखते थें। आदरणीय जेटली जी की कृपा के बल पर आज मैं भारत सरकार का स्थायी शासकीय अधिवक्ता हूँ और न्यायालय के समक्ष उन विभागों का प्रतिनिधित्व करता हूँ, जहाँ मुझे चपरासी की नौकरी भी नही मिल सकती थी। आदरणीय जेटली जी जैसे लोग सदियों में एक बार पैदा होते है और अनन्तकाल के लिए अपनी खुशबू बिखेर जाते हैं। उनका निधन मेरी अपनी निजी क्षति है मैं उनके चरणों में अपनी अश्रुपूर्ण श्रद्धाँजली अर्पित करता हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि उन्हें अपने चरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को इस दारुण दुख को सहने की ताकत प्रदान करें।
जेटली जी अमर रहें अमर रहें अमर रहें।
ऊँ शान्ति शान्ति शान्ति
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