संविधान का अनुच्छेद 21 गारण्टी देता है कि किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन या उसकी वैयक्तिक स्वतन्त्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है परन्तु अपने उत्तर प्रदेश की पुलिस के लिए किसी की भी वैयक्तिक स्वतन्त्रता का कोई महत्व नहीं है और किसी भी कानून की मनमानी व्याख्या उसका एकाधिकार है और इसी कारण थाना घाटमपुर कानपुर नगर मंे पंजीकृत मुकदमा अपराध संख्या 220 सन् 2016 धारा 363, 366, 120बी. भारतीय दण्ड संहिता की प्रथम सूचना रिपोर्ट को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सी.एम.डब्ल्यू.पी. संख्या 17271 सन् 2016 एवं सी.एम.डब्ल्यू.पी. 21627 सन् 2016 में क्वैश कर दिये जाने के बावजूद ग्राम बरौर, थाना घाटमपुर निवासी गरीब किसान बलबीर दिनांक 23.04.2016 से जेल में है। माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की अभियोजन इकाई ने प्रथम सूचना रिपोर्ट को क्वैश करने का विरोध किया था। उनकी उपस्थिति में उच्च न्यायालय ने प्रथम सूचना रिपोर्ट क्वैश की है परन्तु एक गरीब किसान जेल में था इसलिए अभियोजन इकाई ने उच्च न्यायालय के आदेश से कानपुर नगर के एस.एस.पी. या घाटमपुर थाने को आदेश से अवगत नहीं कराया गया था जबकि यह उनका विधिक दायित्व है। अभियोजन इकाई के संज्ञान में है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने लता सिंह बनाम स्टेट आॅफ यू0पी0 एण्ड अदर्स (2006-5-एस.सी.सी.-पेज 475) में प्रतिपादित किया है कि बालिग लड़की अपनी इच्छा से किसी के भी साथ विवाह करने के लिए स्वतन्त्र है और ऐसे मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं लिखी जानी चाहिए। इस विधि के प्रभावी रहते हुए अभियोजन इकाई ने प्रथम सूचना रिपोर्ट को क्वैश करने का अकारण विरोध किया और थाना घाटमपुर पुलिस ने मुकदमावादी राम सेवक की पुत्री दामिनी को भगा ले जाने का मुकदमा पंजीकृत कर लिया और उसके बाद लड़के के पिता को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जबकि लड़की दामिनी बालिग थी और उसने बलबीर के पुत्र रणवीर के साथ स्वेच्छा से विवाह किया है। इस पूरे मामले में घाटमपुर थाने में तैनात विवेचक श्री महेश कुमार यादव और उच्च न्यायालय की अभियोजन इकाई ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित विधि की मनमानी व्याख्या करके जानबूझकर सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की है। इस मामले में रिमाण्ड मजिस्ट्रेट ने भी अपनी विवेकीय शक्तियों का न्यायिक प्रयोग नही किया है और इस सब के कारण एक गरीब किसान की वैयक्तिक स्वतन्त्रता का हनन हुआ है लेकिन इस अपराध के लिए जिम्मेदारी चिन्हित करके दोषी के खिलाफ कार्यवाही करने की किसी को चिन्ता नहीं है।
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