झोला छाप डॉक्टर आम लोगों की जरूरत
उन्नाव की घटना के बाद कथित झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ उनकी क्लिनिक बन्द कराने का अभियान शुरू हो गया है और उसके कारण आम लोगों की स्वास्थय सेवायें बुरी तरह कुप्रभावित हो रहीं है । सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी सेवाएं कहीं उपलब्ध नहीं है इलाज के लिए इन्हीं झोला छाप डॉक्टरों पर पूरी ब्यवस्था निर्भर है।1977 मे जनता पार्टी की सरकार के दौरान तबके सेहत मंत्री राज नारायण ने कथित झोला छाप डॉक्टरों की अनिवार्यता को महसूस करके ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थय सेवकों की नियुक्ति की थी और बडे पैमाने पर उससे आमलोगो को राहत मिली थी परन्तु बाद की कांग्रेसी सरकारों ने कोई वैकल्पिक ब्यवस्था किये बिना उसे बन्द कर दिया । यह सच है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थय सेवायें उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले गये है परन्तु सबको पता है , वहाँ कोई इलाज नहीं मिलता । निजी क्षेत्र के अस्पताल अपने मॅहगेपनऔर सरकारी अस्पताल अपने भ्रष्टाचार के कारण आम लोगों की पहुँच से बाहर है ।मै कई ऐसे डाक्टरों से परिचित हूँ जिनके पास मेडिकल कॉलेज की डिग्री नही है लेकिन अपने चिकित्सकीय अनुभव के बल पर वे किसी डिग्री धारक से बेहतर परिणाम देते है । हमारी सरकारें बडी बडी बातें करती रहतीं है लेकिन आम लोगों की सेहत को दुरूस्त रखना उनकी प्राथमिकता मे नही है इसलिये आम लोगों के पास इन्हीं लोगों से इलाज कराने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं है । झोला छाप डॉक्टर हमारी जरूरत है । कोई वैकल्पिक ब्यवस्था किये बिना उनकी सेवाओं को बन्द कराने का निर्णय किसी भी दशा मे उचित नहीं है ।
उन्नाव की घटना के बाद कथित झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ उनकी क्लिनिक बन्द कराने का अभियान शुरू हो गया है और उसके कारण आम लोगों की स्वास्थय सेवायें बुरी तरह कुप्रभावित हो रहीं है । सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी सेवाएं कहीं उपलब्ध नहीं है इलाज के लिए इन्हीं झोला छाप डॉक्टरों पर पूरी ब्यवस्था निर्भर है।1977 मे जनता पार्टी की सरकार के दौरान तबके सेहत मंत्री राज नारायण ने कथित झोला छाप डॉक्टरों की अनिवार्यता को महसूस करके ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थय सेवकों की नियुक्ति की थी और बडे पैमाने पर उससे आमलोगो को राहत मिली थी परन्तु बाद की कांग्रेसी सरकारों ने कोई वैकल्पिक ब्यवस्था किये बिना उसे बन्द कर दिया । यह सच है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थय सेवायें उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले गये है परन्तु सबको पता है , वहाँ कोई इलाज नहीं मिलता । निजी क्षेत्र के अस्पताल अपने मॅहगेपनऔर सरकारी अस्पताल अपने भ्रष्टाचार के कारण आम लोगों की पहुँच से बाहर है ।मै कई ऐसे डाक्टरों से परिचित हूँ जिनके पास मेडिकल कॉलेज की डिग्री नही है लेकिन अपने चिकित्सकीय अनुभव के बल पर वे किसी डिग्री धारक से बेहतर परिणाम देते है । हमारी सरकारें बडी बडी बातें करती रहतीं है लेकिन आम लोगों की सेहत को दुरूस्त रखना उनकी प्राथमिकता मे नही है इसलिये आम लोगों के पास इन्हीं लोगों से इलाज कराने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं है । झोला छाप डॉक्टर हमारी जरूरत है । कोई वैकल्पिक ब्यवस्था किये बिना उनकी सेवाओं को बन्द कराने का निर्णय किसी भी दशा मे उचित नहीं है ।
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