Saturday, 31 March 2018

कई मतदाताओं ने बेचे अपने वोट


कई मतदाताओं ने बेचे अपने वोट
दिनांक 25 मार्च 2018 को स्थानीय हिन्दी अखबार " दैनिक जागरण " के पृष्ठ 10 मे प्रकाशित समाचार की उक्त हेडिंग ने हम सभी को झकझोरा है लेकिन छोटे छोटे मुद्दों पर सारगर्भित टिप्पणी करने वाले मित्रों ने इस गम्भीर मुद्दे पर मौन अख्तियार करके बार काउंसिल के चुनाव मे वोट बेचने वाले लोगों का मनोबल बढाया है जो समस्त अधिवक्ता बिरादरी के लिए चिन्ता का विषय है ।
अपने देश का आम आदमी आज भी समाज मे दूरगामी ब्यापक परिवर्तन के लिए अधिवक्ताओं की तरफ आशा भरी नजरों से दखता है।सभी मानते है कि अधिवक्ता लोकतंत्र की रीढ़ है और केवल वही सत्ता से निरपेक्ष रहकर सत्ता को संविधान के अनुरूप काम करने के लिए विवश कर सकते है लेकिन शायद हम खुद अपने आपमे कहीं खो गये है । अब हमे अपनी श्रेष्ठ परम्पराएं आकर्षित नहीं करतीं। इसीलिए अब अपने बीच किताब की जगह कट्टे दिखने लगे है और अब हमने वोट के बदले नोट की एक नई परम्परा शुरूकर दी । मित्रो क्या आपको नहीं लगता कि वोट के बदले नोट लेने की घटना से हम सबका अपमान हुआ है ? फिर क्यों नहीं ऐसे लोगों को चिन्हित करके उनको अपनी बिरादरी से बाहर करने की प्रक्रिया शुरू की गई है ? अपनी एसोसिएशनस का मौन हमे क्या संदेश देना चाहता है ?
न्यायालय और न्यायालय परिसर को न्याय का मंदिर बनाये रखना हम सबकी निजी और सामूहिक जिम्मेदारी है । अधिवक्ता व्यापारी नहीं है , न्यायालय मे उसकी भूमिका एक योद्धा की होती है। राजनेताओं के बीच खत्म हो गया होगा लेकिन हम सब आज भी साध्य से ज्यादा साधनों की पवित्रता पर विश्वास करते है इसलिये किताबों पर हमारी निर्भरता कभी कम नहीं हुई। मित्रो वकालती जीवन की विशेषता , हमारी-आपकी निष्ठा ईमानदारी और पारदर्शिता को खरीदकर हम सबकी गरिमा को दाॅव पर लगाने वाले " गैर अधिवक्ता, पेशेवर पदाधिकारियों " को पहचानने की जरूरत आ पडी है , इन्हे पहचान कर इनका बहिष्कार करो नही तो " खोटा सिक्का सही सिक्के को चलन से बाहर कर देता है " की कहावत का वीभत्स रूप झेलने के लिए तैयार हो जाओ ।
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टिप्पणियाँ
Narendra Kumar Yadav कौशल भाई ये अच्छे और प्रेकटिशनरो की उदासीनता और अर्कमणयता की वजह से खोटा सिक्का ही कचेहरी में चल रहा है ये सही है कि वोट बेचे गये है ।
सही बात कहने पर गोली चलाई जाती हैं जुडिशियल अफसर, जिला प्रशासन इन खोटे सिक्के को ही तरजीह देता है।
लेकिन जाति धर्म पैसों की हनक में यही प्रतिष्ठित हैं।असली वकील की प्रजाति विलुप्त हो रही है।

खुल कर मोर्चा गहना पड़ेगा तभी संभव है मुझे तो धमकियां मिल ही रही है. हमला बाकी है।
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जवाब दें6 दिन
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जवाब देंअनुवाद देखें5 दिन
Nadeem Rauf Khan Kuch sudhar karne ki niyat se hi prtyashi bna apne bhaio ka khoob sat b mila chun gya to puri taqat lga donga sudhar k lie sath sabka chae
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जवाब दें6 दिन
Chandra Shekhar Singh पैसा दो न्याय पाओ हर आदमी जानता है चाहे अच्छा लगें या बुरा
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जवाब दें6 दिन
Chandra Shekhar Singh क्या ऐसा भी कोई अधिवक्ता है जो फीस के अलावा कुछ नहीं चार्ज करता हो।
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Devpriya Awasthi आपकी चिंता वाजिब है.
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जवाब दें6 दिन
Rakesh Bajpai संवैधानिक गरिमा को ठेस पहुँची है।अगर एैसा हुआा है।अधिवक्ताओ के लिये चिन्तनीय है। सारे अधिवक्ता एैसे नही है ।
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दिनेश दुबे आ• बडे भाई,
सही तो यही है असली वकील प्रजाति लुप्त हो रही है क्योंकि-
"वकील व्यापारी नही बल्कि व्यापारी ही वकील है !

वकील गुंडे नही बल्कि गुंडे ही वकील हैं !!"
इस प्रकार के विषयों पर जिम्मेदारी की बजाय सिर्फ चर्चा (बातों) की ही उम्मीद रख्खे । 
पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
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Narendra Kumar Yadav चंद्रशेखर जी कुछ नहीं का मतलब नहीं समझ पा रहा हूं।
जहां तक फीस की बात है पचास प्रतिशत मुकदमें बिना फीस के लडता हूं।
गरीब, और राजनैतिक लोगों से आज तक फीस नहीं लिया है।
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जवाब दें6 दिन
Narendra Kumar Yadav दुबे जी अच्छे भी वकील हैं।सभी आशाराम, और राम रहीम, रामपाल नहीं है।वकील बदनाम जरूर है लेकिन अमानवीय डाकटरो, नर्सिग होमो की अराजकता लूट से ज्यादा खराब नहीं है।
लेकिन उनके खिलाफ आक्रामक आक्रोश नहीं है जबकि वो ज्यादा लूटेरे है।
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जवाब दें6 दिन
Kamlesh Singh एक दौर था जब सत्य को कहने का साहस आमजन बडी निरभीकता करता और कहता था कि हमारे बाल बच्चे है हम झूठ नही बोलेगे पर आज मान्यताये बहुत बदली है भय मुक्त समाज का ढोल पीटने वाली सरकारे ने समाज को किस छेत्र मे भय मुक्त किया सभी की तरह हमारे भाई भी अर्थ के शिकार है जीव की मजबूरी बहुत बडा सत्य है।
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जवाब दें5 दिनसंपादित
Adv Rajeev Nigam Sir हमारे बीच अभी बहुत से ऐसे अधिवक्ता है जिनका वकालत के पेशे से दूर तक कोई वास्ता नही है हमारे बीच कुछ भाइयो की कृपा से वो लोग अपना cop भरने में कामयाब हो गए, वही लोग ऐसा कृत्य कर रहे है। अब हमें सावधान रहना होगा कि भविष्य में ऐसे लोगो को COP भरने से दूर रखा जाए तभी हमारे पेशे की गरिमा बनी रहेगी
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जवाब दें6 दिन
Laxmi Kant Sharma अधिवक्ता समाज को बदनाम करने की साजिस है ये ...जिस अखबार मे ये छपा है ये उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिये .....
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जवाब दें6 दिन
Indrapal Singh Chauhan हम सब आम अधिवक्ताओ की निष्ठा ईमानदारी गोपिनीयता एवं पारदर्शिता पर एक लंबे अर्से से प्रश्न चिन्ह लगते चले आ रहे है।इस सम्बन्ध में हम सब एवं हमारी संस्थाये मौन है।हमारे कुछ भाई सोशल मीडिया के द्वारा अपना आक्रोश व्यक्त करते रहते है पर नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही रहता है।इस ओर हम कुछ कर भी नही सकते।क्योंकि बिकाऊ एवं कदाचार में लिप्त लोगो के खिलाफ कोई साक्ष्य एवं साक्षी हमारे पास नही।
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जवाब दें5 दिनसंपादित
Narendra Kumar Yadav शर्मा जी आप जैसे व्यक्तियों द्वारा प्रोत्साहन गलत कामों का किया जा रहा है जो, सही है वो छपा है जो छपा है वो सही है।
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जवाब देंअनुवाद देखें5 दिन
Anil Chauhan Very shocking and shameful candidates buying vote are liable to be disqualified matter is serious and highly considerable bHai saheb
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जवाब देंअनुवाद देखें5 दिन