Saturday, 31 March 2018

सोचा है कभी ? वकील बीमार भी होते है।


सोचा है कभी? वकील बीमार भी होते है ?
परन्तु सरकार के स्तर पर उनके इलाज की कोई ब्यवस्था नही है और उसके कारण बीमारी की स्थिति मे उन्हे भयावह परिस्थितियों का सामना करना पडता है । अपने कई साथी समय पर समुचित इलाज न मिल पाने के कारण मृत्यु का शिकार हुये है । हम सब जानते है कि काम के बोझ और विभिन्न प्रकार की कामकाजी चिंताओं के कारण एक सामान्य वकील भी ब्लड प्रेशर और शुगर आदि का शिकार हो जाता है परन्तु आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण वह अपना नियमित चिकित्सकीय परीक्षण नहीं कराता और अपनी ब्यथा किसी से कह भी नही पाता ।
हम विद्वान कहे जाते है लेकिन सत्यता यह है कि हम सब मेहनतकश लोग है । समाज के अन्य किसी मेहनतकश वर्ग से कहीं ज्यादा मेहनत एक वकील करता है । हमारी सरकारो ने संघटित क्षेत्र के मेहनतकश लोगों के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम, सी जी एच एस आदि बनाकर इलाज का प्रबन्ध किया है परन्तु मेहनतकश वकीलों के इलाज का कोई प्रबन्ध नही किया है । हमको बेसहारा भगवान् भरोसे छोड दिया गया है । ह्रदय रोग, कैंसर , किडनी की बीमारी का इलाज हमारे जैसे एक सामान्य वकील के वश मे नही है ।
बार काउंसिल आफ इंडिया या राज्य बार काउंसिल ने इस मुद्दे पर गम्भीरता से विचार भी नहीं किया है जो चिन्ता का विषय है । हो सकता है किसी जमाने मे वकीलों को निशुल्क इलाज की ज़रूरत न रही हो लेकिन अब इसकी जरूरत है और हम सब लोग इस ज़रूरत को महसूस भी करते है इसलिये अपने आपको मेहनतकश मानकर हम सब केन्द्र और राज्य सरकार पर अपनी एसोसिएशन के माध्यम से दबाव बनायें और कहे कि हम वकीलों के इलाज के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम या सी जी एच एस की तर्ज पर कोई नियमित ब्यवस्था बनाई जाये ।
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23 टिप्पणियाँ
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Raju Sharma बहुत गम्भीर व अतिआवश्यक मुद्दा उठाया है बाबूजी आपने
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Rajiv Batia Very Valid Demand.
A lawyer also holds destiny of his Clients who also suffer alongwith him.
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Rakesh Chaurasia आपने सम्मानित वकीलो के प्रति अपनी पोस्ट में जो भाव प्रकट किये है वो उचित है और बार और सरकार को स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करनी चाहिए ।आगे भारत सरकार भी इस क्षेत्र में ५० करोड़ भारतीयों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना ला रही है ।उस योजना मे सभी को अपना रजिस्टे्सन कराना चाहिए ।
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Narendra Kumar Yadav कौशल भाई मैं तो बार बार ये कहता हूं कि देश के चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री तक बीमित है यहां तक की प्राईवेट प्रतिषठानो में काम करने वाले भी बीमित हैं लेकिन अधिवक्ता जो भारी रेवनयू देता है न'२कापैसा सरकार को रोज दिलाता है जैसे १'५०की टिकट की जगह दो रूपये...और देखें
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Anil Chauhan Very serious matter for our leaders and bar council some initiatives should be drawn by our the same well-wishers bhai saheb
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Prabhat K. Tiwari Aap ne bahot jaruri aor uchit maang uthai h.
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Prabhat K. Tiwari Musibat ke samay sabhi ko Vakeel ki yaad aati h.
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Rekha Sharma एक वकील की माँ होने के नाते मैं भी आपकी बात से सहमत हूं।
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Somdutt Bajpai सत्य बात है ,जिन बातों पर विचार करना चाहिए, उन बातों पर कोई धायण नही देता है
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Dharmendra Singh Bhadauria बहुत ही गंभीर मुद्दा है भाई साहब।लेकिन अगर स्थानीय स्तर पर भी प्रयास किये जायें तो सामूहिक बीमा योजना काफी सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सकती है।मैं उम्मीद करता हूँ हमारे पदाधिकारी इन मुद्दे पर पहल करेंगे।
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Shyam Dixit Satya baat, vichar karna jaroori hai
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S. K Tripathi Yes .. Time has come... To consider n implement.. this
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Ambuj Agarwal कौशल जी का कथन बिल्कुल सत्य है कि वकील जो कि जिमेदार है दिन भर कोर्ट में 10 से 5 मतलब 7 घंटे सुबह ओर देर रात तक मुकदमे का उसकी लिखा पड़ी आदि करना उनके स्वस्थ जीवनशैली पर बहुत ही खराब प्रभाव डालता है तत्कालिक इस का समाधान है बार एसोसिएशन के माध्यम से समुह स्वास्थ बीमा करना जो कि अन्य प्रचलित स्वस्थ्य बीमा से सस्ता पड़ेगा और सरकार को भी इसमें अपना अंशदान करना चाहिए। जयहिन्द
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Adv Shree Prakash Tiwari अधिवक्ताओं की मूलभूत सुविधा की चिंता करने के लिए साधुवाद
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Sharad Dwivedi Kaushal ji wakil to ho aap se jayda mai nahi jaanta per wakil -2 ho falls nahi kyoki aaj me daur me wakil nahi unke netao ki sunk jaati hai merit nahi dalaali per
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Jaya Sharma Hamare padadhikario ko itne kaha samajh
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Shambhu Thakurai · 2 आपसी मित्र
आवाज उठाने वाली हमारी सर्बोच्च संस्था बार काउंसिल है,एक बार चुने जाने पर वे लोग ए सी कमरों में बैठ कर हमारी समस्याओ को भूल जाते है।
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