सोचा है कभी? वकील बीमार भी होते है ?
परन्तु सरकार के स्तर पर उनके इलाज की कोई ब्यवस्था नही है और उसके कारण बीमारी की स्थिति मे उन्हे भयावह परिस्थितियों का सामना करना पडता है । अपने कई साथी समय पर समुचित इलाज न मिल पाने के कारण मृत्यु का शिकार हुये है । हम सब जानते है कि काम के बोझ और विभिन्न प्रकार की कामकाजी चिंताओं के कारण एक सामान्य वकील भी ब्लड प्रेशर और शुगर आदि का शिकार हो जाता है परन्तु आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण वह अपना नियमित चिकित्सकीय परीक्षण नहीं कराता और अपनी ब्यथा किसी से कह भी नही पाता ।
हम विद्वान कहे जाते है लेकिन सत्यता यह है कि हम सब मेहनतकश लोग है । समाज के अन्य किसी मेहनतकश वर्ग से कहीं ज्यादा मेहनत एक वकील करता है । हमारी सरकारो ने संघटित क्षेत्र के मेहनतकश लोगों के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम, सी जी एच एस आदि बनाकर इलाज का प्रबन्ध किया है परन्तु मेहनतकश वकीलों के इलाज का कोई प्रबन्ध नही किया है । हमको बेसहारा भगवान् भरोसे छोड दिया गया है । ह्रदय रोग, कैंसर , किडनी की बीमारी का इलाज हमारे जैसे एक सामान्य वकील के वश मे नही है ।
बार काउंसिल आफ इंडिया या राज्य बार काउंसिल ने इस मुद्दे पर गम्भीरता से विचार भी नहीं किया है जो चिन्ता का विषय है । हो सकता है किसी जमाने मे वकीलों को निशुल्क इलाज की ज़रूरत न रही हो लेकिन अब इसकी जरूरत है और हम सब लोग इस ज़रूरत को महसूस भी करते है इसलिये अपने आपको मेहनतकश मानकर हम सब केन्द्र और राज्य सरकार पर अपनी एसोसिएशन के माध्यम से दबाव बनायें और कहे कि हम वकीलों के इलाज के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम या सी जी एच एस की तर्ज पर कोई नियमित ब्यवस्था बनाई जाये ।
परन्तु सरकार के स्तर पर उनके इलाज की कोई ब्यवस्था नही है और उसके कारण बीमारी की स्थिति मे उन्हे भयावह परिस्थितियों का सामना करना पडता है । अपने कई साथी समय पर समुचित इलाज न मिल पाने के कारण मृत्यु का शिकार हुये है । हम सब जानते है कि काम के बोझ और विभिन्न प्रकार की कामकाजी चिंताओं के कारण एक सामान्य वकील भी ब्लड प्रेशर और शुगर आदि का शिकार हो जाता है परन्तु आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण वह अपना नियमित चिकित्सकीय परीक्षण नहीं कराता और अपनी ब्यथा किसी से कह भी नही पाता ।
हम विद्वान कहे जाते है लेकिन सत्यता यह है कि हम सब मेहनतकश लोग है । समाज के अन्य किसी मेहनतकश वर्ग से कहीं ज्यादा मेहनत एक वकील करता है । हमारी सरकारो ने संघटित क्षेत्र के मेहनतकश लोगों के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम, सी जी एच एस आदि बनाकर इलाज का प्रबन्ध किया है परन्तु मेहनतकश वकीलों के इलाज का कोई प्रबन्ध नही किया है । हमको बेसहारा भगवान् भरोसे छोड दिया गया है । ह्रदय रोग, कैंसर , किडनी की बीमारी का इलाज हमारे जैसे एक सामान्य वकील के वश मे नही है ।
बार काउंसिल आफ इंडिया या राज्य बार काउंसिल ने इस मुद्दे पर गम्भीरता से विचार भी नहीं किया है जो चिन्ता का विषय है । हो सकता है किसी जमाने मे वकीलों को निशुल्क इलाज की ज़रूरत न रही हो लेकिन अब इसकी जरूरत है और हम सब लोग इस ज़रूरत को महसूस भी करते है इसलिये अपने आपको मेहनतकश मानकर हम सब केन्द्र और राज्य सरकार पर अपनी एसोसिएशन के माध्यम से दबाव बनायें और कहे कि हम वकीलों के इलाज के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम या सी जी एच एस की तर्ज पर कोई नियमित ब्यवस्था बनाई जाये ।
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