Tuesday, 19 June 2018

कानपुर को उजाड़ने का द्वितीय चरण शुरू


कानपुर को उजाड़ने का द्वितीय चरण भी शुरू
मोदी सरकार ने सम्पूर्ण भारत मे सर्वाधिक प्रतिष्ठित ऊलेन मिल " लाल इमली " को बन्द करने का निर्णय ले लिया है और अब श्रमिकों को वी आर एस का झुनझुना पकडाकर बेरोजगार बना दिया जायेगा । इस मिल मे उत्पादन बन्द करके श्रमिकों से बिना काम कराये वेतन देने का आत्मघाती निर्णय मनमोहन सिंह की सरकार ने लिया था । इसके पूर्व मनमोहन सिंह के वित्त मंत्रितव काल मे एन टी सी की पाॅचो मिलो लक्ष्मी रतन काटन मिल , अथरटन वेस्ट मिल , स्वदेशी काटन मिल , मयोर मिल और विक्टोरिया मिल मे भी उत्पादन बन्द करके श्रमिकों से बिना काम कराये वेतन देने का आत्मघाती निर्णय निर्णय लिया गया और माननीय अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रितव काल मे इन मिलों को बन्द किया गया । मनमोहन सिंह ने अपने वित्त मंत्रितव काल मे विश्व व्यापार संगठन की नीतियों को अपनाकर आम लोगों के लिए सबसिडी बन्द करने की शुरूआत की थी । उस समय स्वदेशी जागरण मंच के बैनर तले इन नीतियों का विरोध किया गया था । आशा की गई थी कि अटल जी की सरकार विश्व व्यापार संगठन के दबाव मे काम नहीं करेगी परन्तु ऐसा नही हुआ और मनमोहन सिंह की नीतियों को अपनाकर अटल जी की सरकार ने कानपुर सहित सम्पूर्ण भारत की सभी सरकारी कपडा मिलो को बन्द कर दिया हलाॅकि उस समय कहा गया था कि बन्द की जा रही मिलो की जमीन बेचकर शहर से बाहर नयी मिले स्थापित की जायेंगी परन्तु आज तक एक भी नयी मिल स्थापित नही की गई है । अब लाल इमली बन्द होगी और इसके साथ इलगिन मिल नम्बर एक और दो भी अर्थात तीन मिले मोदी सरकार बन्द करेगी ।
अपने कानपुर मे लोहिया स्कूटर के बाद पिछले 40 वर्षो मे एक भी नया कारखाना स्थापित नही हुआ जबकि इन वर्षो में कम से कम चौदह बडे कारखाने बन्द हुये है । मेरी बात कुछ लोगों को बुरी लगेगी लेकिन सच तो यही है कि कानपुर और उसके निवासियों के साथ मनमोहन सिंह, अटल बिहारी बाजपेयी और अब नरेन्द्र मोदी ने एक जैसा अन्याय किया है । सभी ने औद्योगिक दृष्टि से कानपुर को उजाड़ा है , बनाया कुछ नही ।
मै निजी तौर पर श्रीमती इन्दिरा गाँधी का समर्थक नहीं हूँ लेकिन घटनाये बताती है कि उनहोंने ही श्रमिकों को बेरोजगार होने से बचाने और कानपुर के औद्योगिक स्वरूप को बरकरार बनाये रखने के लिए कपडा मिलो को सरकारी नियंत्रण मे लेकर चलाया ।संसद द्वारा पारित अधिग्रहण अधिनियम मे कहा गया था कि सैन्य बलों के लिए कपडे की आपूर्ति निर्बाध बनाये रखने और आम जनता को पहनने लायक सस्ता कपडा उपलबध कराने के लिए इन मिलों का अधिग्रहण आवश्यक है ।वे विश्व व्यापार संगठन के दबाव मे नही थी इसलिये आम जनता को सस्ता कपड़ा उपलब्ध कराना उनकी प्राथमिकता मे था ।हम सब जानते है कि टेफको का जूता, इलगिन मिल की चादर , मयोर मिल का तिरपाल , लक्ष्मी रतन काटन मिल की कैनवास , स्वदेशी की जनता धोती , लाल इमली की लोई, ऊलेन कपड़े की माॅग आज भी कम नही हुई है। अभी भी अपने देश मे करोडों लोगों के लिए सस्ता कपड़ा बुनियादी जरूरत है और इसकी पूर्ति कल्याणकारी राज्य की संवैधानिक प्रतिबद्धता है परन्तु अब संसद मे सरकार को उसकी इस प्रतिबद्धता की याद दिलाने वाले लोगों का अकाल हो गया है इसीलिए अब संसद मे बुनियादी मुद्दों पर चर्चा नही , बहिष्कार होता है ।याद करें, संसद मे बहिष्कार की शुरूआत भी मनमोहन सिंह के वित्त मंत्रितव काल की देन है । उस समय के संचार मंत्री चौधरी सुखराम के किसी घोटाले के विरोध मे भाजपा ने कई दिनों तक संसद ठप रखी थी ।दोषी हम सब भी है जिन्होंने अब बुनियादी मुद्दों पर किसी दल की नीति के आधार पर नही केवल जाति धर्म के आधार पर वोट देने आदत बना ली है । हम विश्व व्यापार संगठन की जन विरोधी नीतियों को बदलवा नहीं सकते लेकिन अगर हम जाति धर्म के आधार पर वोट देने की अपनी आदत बदल ले तो फिर कोई भी सरकार मिल बन्द करके उसकी जमीन किसी बिलडर को बेचने का दुससाहस नही कर सकेगी । आप क्या चाहते है ? खुद तय करिये ।
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16 टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
Ashish Dixit सिर्फ लाल इमली में ही मज़दूर है और इतनी मिले बन्द हुई उनके मज़दूरों का क्या अभी तक हिसाब नही हुआ है.....
J. K jute mills... etc
उसके बारे मैं विचार कर लीजिए क्योकि वहां भी जो मज़दूर काम करते है वो भी इंसान है लेकिन सरकारी मज़दूर नही है

इस बारे में आपका क्या विचार है
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Chandra Shekhar Singh मजदूर की मौत हो जाती है मिल बन्दी के बाद , चाहे कहीं भी हो
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Arvind Gupta · 3 आपसी मित्र
मिले बन्द होने से सब मजदूरों की ग्रेजुटी,फन्ड इत्यादि भी JK Jute मिल मालिक डकार रहे हैं।
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Ashish Dixit जी अरविंदजी.....ओर सब मज़दूरों के पास court के अलावा कोई रास्ता नही बचा है....
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Chandra Shekhar Singh Ashish Dixit 
केस करना चाहिए नहीं तो बहुत अफसोस होगा यदि कोई वकील दानी हो तो मजदूर का जीवन रक्षा करे
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Chandra Shekhar Singh JK jute Mill के मालिक के बारे में सबको पता है गूगल सर्च से गोविंद शारदा नाम से बहुत कुछ जानकारी मिलेगी
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Ashish Dixit अरविंदजी मैं कई बार पोस्ट पर लिख चुका हूं मैं मदद करने को तैयार हूं वो भी निसुल्क.....
क्योकि मुझ से ज्यादा इसकी पीड़ा किसी ने सहन नही की होगी
क्योकि अगर कुछ बिगड़ा है तो वो है मज़दूरों के बच्चो का भविस्य
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Arun Mishra · 60 आपसी मित्र
मिलों की दुर्दशा का जिम्मेदार प्रबन्धन एवं श्रमिक नेता है।यह भ्रष्टाचार में लिप्त रहे।श्रमिक कामचोरी करता रहा।घाटा बढ़ता रहा तब यह निर्णय हुआ कि उत्पादन बन्द करके श्रमिकों को वेतन दिया जाय जिससे घाटा कम हो जायेगा। बिना काम के वेतन दिलाने का दावा नेता गेट मीटिंग में करते रहे और श्रेय लेते रहे।जिसके कारण श्रमिकों को यह दिन देखने पड़े।
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Chandra Shekhar Singh ये लोग हमेशा मिल बन्द करते हैं
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Anita Misra कनपुर ने इतना राजस्व दिया पर कनपुर की फिक्र किसी को नही हुई
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Ashish Pandey चार साल मे 1रू भी वेतन मद मे नही दिया मोदी सरकार ने ,दूसरे हेड से निकल कर 8_8 और 10 महीने बाद वेतन मिला 2014 से 40 मजदूर वेतन के अभाव मे मर गये, आज भी 13 महीने का वेतन बकाया है 40मौतो की ये हत्यारी है मोदी सरकार है
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Chandra Shekhar Singh सब कुछ व्यापार है तो चलाने से रोका किसने है मजदूर तो मजदूरी के लिए तैयार हैं,
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Prashant Shukla कानपुर नगर के निवासियों को सभी प्रकार के केंद्र एवं राज्य कर देना बंद कर देना चाहिए और तब तक अनशन जारी रखना चाहिए जब तक कानपुर के श्रमिकों को आर्थिक हित एवं रोजगार प्रदान नहीं कर दिया जाता।
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जवाब दें3 दिनसंपादित
Chandra Shekhar Singh अब सरकार के पास मिल बेचने बन्द करने के सिवा दूसरा ऊपाय नहीं है यह कानपुर का दुर्भाग्य है मजदूर इतने कुशल है सारे साधन होने के बन्दी करना अनुचित ही नहीं जीवन से खिलवाड़ भी है
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Prashant Shukla चंदशेखर जी आपने उचित बिंदु उठाया है समस्या इस बात की नहीं है कि आज के परिवेश में श्रम ,भूमि और पूंजी के साथ-साथ प्रौद्योगिकी की कमी है किंतु कमी राजनीतिक इच्छा पूर्ति की है जिसके कारण आज हमारे कानपुर के श्रमिकों का उत्थान नहीं हो पाया है । भाई साहब ने बहुत ही उचित बिंदु के माध्यम से हम सभी को अवगत कराया कि इंदिरा गांधी के शासन काल में जिस प्रकार श्रमिकों के हितों के लिए इन मीलों का उत्थान किया गया था ,वही आज इन मिलो की जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। 1991 की उदारीकरण के बाद आज की वर्तमान भारत की प्रौद्योगिकी वैश्विक स्तर पर सर्वोच्च है किंतु इस सर्वोच्चता का आधार श्रमिक, मजदूर और किसान है जिनको आज भी वर्तमान आर्थिक संरक्षण नहीं दिया जा रहा है इसलिए एक बड़े अभियान के माध्यम से हम सभी को मिलकर संसद के पटल पर अपनी बात को रखना होगा और कानपुर सहित भारत के सभी मजदूरों ,किसानों और श्रमिकों को उनका आर्थिक हित दिलाना होगा।
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जवाब दें3 दिनसंपादित
Chandra Shekhar Singh Prashant Shukla 
आज के नेता अपना उदारीकरण करते है वो पे को 400% भी आराम से बढ़ा लेते हैं कोई हंगामा नहीं।
जब मजदूर की बाते आए तो सब लोग मजदूर के खिलाफ इक्तता हो जाते हैं कारण मिल कि जमीन है

नजर लागे राजा तोरी बनग्ले पर.
.... चाहे तू मर या जीव
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Anurag Mishra हमारे जनप्रतिनिधियों ने क्या किया है, जो जनहित के लिए बड़े बड़े वेतन भत्ते पाते हैं, कानपुर के दो विधायक उद्योग एवम अन्य मंत्रालय धारण किए हैं।ये उद्योग एवम मजदूरों के लिये क्या कर रहे हैं?
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Chandra Shekhar Singh क्या कर रहे हैं वह सबको पता है दुबारा समुद्र में मालवाहक जहाज आएगा और कोई दूसरी फैक्ट्री बन्द कर चला जाएगा
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Satyavan Singh · 2 आपसी मित्र
har bat ko nakarne ki aadat si ban gayi hai nazariya badlne ki zaroorat hai kisi ki bhi achhi bat ko samarthan diya jay jati dharm ke chasme ko todna hoga desh ke logo ki va desh ki khushhali ki bat karni hogi
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Kaushal Sharma कारखानों को बन्द करने से खुशहाली नहीं आ सकती । खुशहाली के लिए रोजगार के नये नये अवसर बढाने होगे। नये नये कारखाने खोलने के प्रयास कहीं दिखते नही इसलिये मै खुशहाली की कल्पना करने से डरता हूँ।
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Chandra Shekhar Singh लोग कारखाने की जमीन को ऐसे देखते हैं जैसे कि वैश्य आ की कोठी हो, मजदूर मौत पर एक भी नेता की संवेदना नहीं आती है
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Robby Sharma अगर मिलों के भू उपयोग परिवर्तन पर तत्काल रोक लग जाये तो बिल्डर माफीया नेता और अधिकारी गठजोड़ समाप्त हो सकता है और यदि एक मिल बंद भी होती है तो दूसरी वहीं खुल कर मजदूरों को काम मिल सकता है। हजारों कारखाने रिहायशी इलाकों मे चल रहे हैं उन्हें वहां shift किया जा सकता है।
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Chandra Shekhar Singh कैसे लगेगा रोक पूराने नेता के लड़के भी इसमें शामिल हैं पता करे
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अपने आप अनुवाद किया गया
3 दिन
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Chandra Shekhar Singh Satyendra Shukla Ranu 
अभी मैं मदद नहीं कर सकता हूं सरकार ने अभी कोई विभाग नहीं जारी किया है
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Dhani Ram Gupta Bina kam dam lene se bhi vo khushal nahi ho sakata
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Suresh Sachan कानपुर में बड़े उद्योग जरूर बन्द हो गए लेकिन मजदूरों की संख्या कम नहीं हुई। आज भी लाखों मजदूर छोटे छोटे कारखानों व अन्य असंगठित उद्योग धंधों में कार्यरत हैं। लेकिन मजदूर भी जाति, धर्म में बट कर वोट दे रहा है और ट्रेड यूनियने कमजोर हो गई, मजदूरों की आवाज कमजोर हो गई। जनप्रतिनिधियों का मजदूरों से सरोकार न के बराबर है। इसीलिए कानपुर के एक के बाद एक उद्योग बन्द हो रहे हैं लेकिन सशक्त मजदूर आंदोलन कंही नजर नहीं आता।
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Satyendra Shukla Ranu I m agree with u sir, but kewal sarkaar ko bandi ka dosh nhi lagaya ja sakta.....akhir yeh naubat ayi kiu is pr bhi vichar kiya jana chahiye..
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Malay Pandey White elephant bum chuki mill,s ko kitne din janta ke paisr per jinda rakh sakte hai...Majdooro ka punarwaas kar mil bund kar di jaye...Unka bakaya...Sub de diya jaye...
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Deepak Vasant Deshpande सपा बसपा व कॉँग्रेस जैसी भविष्य की सत्ता की भूखी पार्टीओ क्या कर रही है?
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Santosh Dixit · Kamal Musaddi और 4 अन्य लोगों के मित्र
जूट मिल कामगारों का बकाया भुगतान न करके उनके परिवार को गत 15 वरसो से भूखा मारने के सिवाय कुछ न करना और षम वि भाग का मौन रहना यहां तन उनका भविष्य निध का तथा पेशन नदेना उनकी पूरी उपेछा दरशा ता है
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