Friday, 15 June 2018

जरा गौर कीजिए



जरा गौर कीजिए
साल 2016-2017 मेअवसरो की कमी के चलते 1,90,000 हिन्दुस्तानी छात्रों ने अमेरिकी कालेजों मे 44000 करोड़ की रकम खर्च की और उस साल अपने देश मे उच्च शिक्षा के लिए केंद्र सरकार का बजट 30,000रूपये से भी कम था ।
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6 टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
Anand Pratap Singh जब आरक्षण से प्रोफेसर चुने जायेंगे तो पैसों वाले अपने बच्चों को यहाँ क्यू शिक्षा दिलाएंगे और नौकरी क्यू करना चाहेंगे??
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जवाब दें3 दिन
Anjali Singh 70 साल में गुलामी नोकर बनने की शिक्षा दी जाती रही है तब अंधे थे अब आखं खुल रही मोदी सरकार है तो कल कांग्रेस आयेगी तो ये फिर पोस्ट के बजाय तलवे चाटना शुरू कर देंगे
गुलाम चमचे
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जवाब दें2 दिन
Dhani Ram Gupta Kya isase pahale shichha ka bazat 300000/ caroro tha jo ab 30000/ caror ka bazat darshaya ja raha hai.
Kaushal Sharma पहले की सरकार सही तरीके से काम नहीं कर रही थी इसलिये जनता ने वर्तमान सरकार को चुना है । पुरानी सरकार बुरी थी इसलिये आपको बुरा करने की अनुमति प्राप्त नहीं हो गई है और यदि अपने धतकरमो को सही बताने के लिए पुरानी सरकारो के धतकरमो की याद दिलाना सरासर आम जनता के साथ धोखा है ।
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जवाब दें2 दिन
Davishankar Mishra · DrHarendra Singh के मित्र
Kaushal Sharma aap ke hisab se budget kitna hona chahiye tha? Kya aap ko hi shikshamantri bena diya jaay jisase log America vagairh padhne jaana chhod denge .
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जवाब दें1 दिन
Kaushal Sharma आदरणीय दिवाकर जी 
आप मूलतः शिक्षक है और आपने किसी की कृपा पर नही, संघर्ष के बल पर अपने लिए राजनीति मे स्पेश बनाया है इसलिये आपकी टिप्पणी का जवाब देना आवश्यक है । मित्र कांग्रेस भाजपा का चश्मा उतार कर बताइये कि 2014 से पहले और उसके बाद अपने सरकारी स्कू
लों या कालेजों मे छात्रों के ड्राप आउट परसेंटेज मे कोई अन्तर आया है क्या? और यदि अन्तर नहीं आया तो अब उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? आप हम साथ साथ कुल बजट का दस प्रतिशत शिक्षा पर ब्यय करने की बात करते रहे है और यदि हम आज इस पुरानी सदाबहार आवश्यकता की याद दिलाते है तो उसमे आपको मोदी सरकार का विरोध क्यो दिखता है ? आप जानते है कि केन्द्र सरकार ने 67 प्रमुख शैक्षिक संस्थानों को स्वायत्त किये जाने का निर्णय लिया है । मतलब अब इन शैक्षिक संस्थानों के दरवाजे हमारे जैसे कम आय वाले परिवारों के बच्चो के लिए बन्द हो जायेंगे। आप याद कीजिए कि यदि बी एन एस डी जैसे इंटर कालेज नही होते तो क्या हमारे जैसे आम लोग इंटर पास कर पाये होते । समुचित बजटीय सपोर्ट न होने के कारण अधिकांश इंटर कालेजों मे गणित विज्ञान और अंग्रेजी के अध्यापकों के सेवानिवृत्त होने के बाद नई नियुक्तियाॅ नही हो पा रही है इसलिये गरीब छात्र इन कालेजों से मुँह मोड़ने को बाध्य हुआ है । आज हर प्रबन्धक वित्त विहीन कालेज चलाना चाहता है ताकि ज्यादा से ज्यादा कमाई होती रहे । मैने अभी कुछ ही दिन पूर्व अपने नगर के एक इंटर कॉलेज को विज्ञान और बायोलोजी लैब बनाने के लिए पचास लाख रूपये अनुदान देने की पेशकश की थी परन्तु कालेज प्रबन्धक ने रूपये लेने से इंकार कर दिया। इसके पीछे का कारण केवल इतना है कि प्रबन्ध तंत्र कालेज चलाना ही नही चाहता , कालेज की जमीन बेचना चाहता है । दिवाकर जी यदि शिक्षा का बजट बढ़ेगा, तभी भारत पढ सकेगा। आप सब जानते हो लेकिन दलीय अनुशाशन आपको सच कहने से रोकता है।
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जवाब दें1 दिन
Asit Kumar Singh जब व्यवस्था ही चौपट हो तो हर चीज पलायन होगी।
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जवाब दें2 दिन
Sharad Dwivedi KAUSHAL JI AAJ.AAP PURANI SARKARO SE TULNA KAR RAHE HO AAP TO BUDHJIVI MANE JAATE HAI KYA AAJ KE PAHLE SHIKSHA ITNE PRATESPARSHA THI JO AAJ HAI AAP KA RAJNITIK CHASHMA BADAL GAYA HAI AARASHAN KO KHATEM KARNE KI BAAT KARE KYOKI JAB GEN. Ko admission nauk ri nahi milegi to VO America nahi to naukri AUR padhene Pakistan jaye ga iski baat aap utha nahi sakte AUR NA vartman SARKAR uthayegi KYO social Medea me kis liye mukhiya ke tote ki tarah baat kar RAHE hai aap seu umeed hai ki aap SE umeed hai ki apne udgar aaraksan hatane ke liye vyakt katenge bager kisi man boori ke
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जवाब दें2 दिन
Ambuj Agarwal क्या 1990 के पहले इतने छात्र विदेश जाते थे पहले foreign return engineer हो समाज मे सम्मान की बात होती थी
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जवाब दें2 दिन






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