भ्रष्टाचार के आरोप मे जिला जज निलम्बित
जज साहब भ्रष्टाचार आपने किया , शर्मिन्दा हम हो रहे हैं। खुली अदालत मे हम आपको अपना भगवान् कहकर सम्बोधित करते है ।हमारा , हमारे देश के लोकतंत्र का वजूद आप पर निर्भर है । आप जानते है , देश का आम आदमी अब अपने विधायकों सांसदों और नौकरशाहों से ज्यादा आप पर विश्वास करता है । आप सबने अपने निजी लोभ मे इस विश्वास को दरका दिया है । दबी जुबान से ही सही , अब गली मुहल्लो मे चर्चा होने लगी है कि जज साहब उन्ही फाइलों पर ध्यान लगाते है जिनमे अतिरिक्त वजन होता है । अभी कुछ दिन पहले एक जज साहब निलम्बित हुये थे , हमारे कानपुर मे तैनात रहे एक जज साहब पर बालातकार का आरोप एक महिला ने चीफ साहब के सामने कानपुर मे ही लगाया था , वे दोनो कहा करते थे , उन्हें षडयंत्र के तहत फँसा दिया गया है । आप भी यही कह रहे होंगे लेकिन हम सब जानते है कि कोई हाई कोर्ट अपने न्यायिक अधिकारी के खिलाफ पुख्ता सबूतों के बिना निलंबन जैसी कठोर कार्यवाही नहीं कर सकता क्योकि इससे उसकी अपनी साख पर भी बट्टा लगता है । जज साहब समय है , सुधर जाओ, पर्याप्त वेतन मिलता है , उसी ज्ञात आय पर गुजारा करो और यदि वेतन कम लगता है तो नौकरी छोड़ कर कोई व्यापार करो । अपनी अतिरिक्त आय के लिए अपनी पदीय निष्ठा, ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ समझौता करके आप अपने प्रति हम भारतीयों के विश्वास को तोडना बन्द कर दो ।समझो यदि देश के आम आदमी का विश्वास न्याय पालिका से उठ गया , तो देश को उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी और आपके नाती पोते भी आपको घृणा से देखेंगे।
जज साहब भ्रष्टाचार आपने किया , शर्मिन्दा हम हो रहे हैं। खुली अदालत मे हम आपको अपना भगवान् कहकर सम्बोधित करते है ।हमारा , हमारे देश के लोकतंत्र का वजूद आप पर निर्भर है । आप जानते है , देश का आम आदमी अब अपने विधायकों सांसदों और नौकरशाहों से ज्यादा आप पर विश्वास करता है । आप सबने अपने निजी लोभ मे इस विश्वास को दरका दिया है । दबी जुबान से ही सही , अब गली मुहल्लो मे चर्चा होने लगी है कि जज साहब उन्ही फाइलों पर ध्यान लगाते है जिनमे अतिरिक्त वजन होता है । अभी कुछ दिन पहले एक जज साहब निलम्बित हुये थे , हमारे कानपुर मे तैनात रहे एक जज साहब पर बालातकार का आरोप एक महिला ने चीफ साहब के सामने कानपुर मे ही लगाया था , वे दोनो कहा करते थे , उन्हें षडयंत्र के तहत फँसा दिया गया है । आप भी यही कह रहे होंगे लेकिन हम सब जानते है कि कोई हाई कोर्ट अपने न्यायिक अधिकारी के खिलाफ पुख्ता सबूतों के बिना निलंबन जैसी कठोर कार्यवाही नहीं कर सकता क्योकि इससे उसकी अपनी साख पर भी बट्टा लगता है । जज साहब समय है , सुधर जाओ, पर्याप्त वेतन मिलता है , उसी ज्ञात आय पर गुजारा करो और यदि वेतन कम लगता है तो नौकरी छोड़ कर कोई व्यापार करो । अपनी अतिरिक्त आय के लिए अपनी पदीय निष्ठा, ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ समझौता करके आप अपने प्रति हम भारतीयों के विश्वास को तोडना बन्द कर दो ।समझो यदि देश के आम आदमी का विश्वास न्याय पालिका से उठ गया , तो देश को उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी और आपके नाती पोते भी आपको घृणा से देखेंगे।
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