महात्मा गाँधी के संदेश_____3
भारत मे विभिन्न धर्मो के लोग रहते है इसलिये एक राष्ट्र नही हो सकता, का तर्क एकदम गलत है ।विदेशियों के समावेश से जरूरी नही कि राष्ट्र नष्ट हो जाये , वे तो उनमे घुल मिल जाते है । कोई देश एक राष्ट्र तभी हो सकता है जब उसमे ऐसी स्थिति विद्यमान हो । भारत सदा से ऐसा ही देश रहा है । वास्तव मे जितने बयकति होते है , उतने ही उनके धर्म होते है परन्तु जिनमे राष्ट्रीयता की भावना होती है , वे एक दूसरे के धर्म मे हस्तक्षेप नहीं करते। यदि हिन्दूओ की यह धारणा है कि भारत मे केवल हिन्दुओं को ही रहना चाहिए तो वे स्वप्न लोक मे है । हिन्दू मुस्लिम पारसी तथा ईसाई जिन्होंने भारत को अपना देश बना लिया है , वे सब इस एक ही देश के वासी हैं
हिन्दू और मुसलमान दोनो भारत की संतान है। वे सब लोग जो इस देश मे जन्मे है और जो इसे अपनी मातृभूमि मानते है , वे चाहे हिन्दू हों या मुसलमान या पारसी या ईसाई, जैन या सिख, वे सबके सब समान रूप से भारत की संतान हैं और इसलिए वे भाई भाई है और खून से भी ज्यादा मजबूत बंधन से एक-दूसरे से बॅधे हुये है ।स्वतंत्र भारत हिन्दू राज नही , बल्कि भारतीय राज होगा जो किसी एक धार्मिक संप्रदाय के बहुमत पर नही बल्कि बिना किसी धार्मिक भेद-भाव के समस्त जनता के प्रतिनिधिओ पर आधारित होगा । धर्म एक बयकतिगत मामला है जिसका राजनीति मे कोई स्थान नही होना चाहिए । दूसरे देशों के लोग हमे गुजराती, मराठी , तमिल आदि के रूप मे नही बल्कि केवल भारतीयों के रूप मे जानते है इसलिये हमे समस्त विघटनकारी प्रवृत्तिओं को दृढ़तापूर्वक दबाने चाहिए और अपने को भारतीय समझना चाहिए और उसी के अनुरूप आचरण करना चाहिए।
भारत मे विभिन्न धर्मो के लोग रहते है इसलिये एक राष्ट्र नही हो सकता, का तर्क एकदम गलत है ।विदेशियों के समावेश से जरूरी नही कि राष्ट्र नष्ट हो जाये , वे तो उनमे घुल मिल जाते है । कोई देश एक राष्ट्र तभी हो सकता है जब उसमे ऐसी स्थिति विद्यमान हो । भारत सदा से ऐसा ही देश रहा है । वास्तव मे जितने बयकति होते है , उतने ही उनके धर्म होते है परन्तु जिनमे राष्ट्रीयता की भावना होती है , वे एक दूसरे के धर्म मे हस्तक्षेप नहीं करते। यदि हिन्दूओ की यह धारणा है कि भारत मे केवल हिन्दुओं को ही रहना चाहिए तो वे स्वप्न लोक मे है । हिन्दू मुस्लिम पारसी तथा ईसाई जिन्होंने भारत को अपना देश बना लिया है , वे सब इस एक ही देश के वासी हैं
हिन्दू और मुसलमान दोनो भारत की संतान है। वे सब लोग जो इस देश मे जन्मे है और जो इसे अपनी मातृभूमि मानते है , वे चाहे हिन्दू हों या मुसलमान या पारसी या ईसाई, जैन या सिख, वे सबके सब समान रूप से भारत की संतान हैं और इसलिए वे भाई भाई है और खून से भी ज्यादा मजबूत बंधन से एक-दूसरे से बॅधे हुये है ।स्वतंत्र भारत हिन्दू राज नही , बल्कि भारतीय राज होगा जो किसी एक धार्मिक संप्रदाय के बहुमत पर नही बल्कि बिना किसी धार्मिक भेद-भाव के समस्त जनता के प्रतिनिधिओ पर आधारित होगा । धर्म एक बयकतिगत मामला है जिसका राजनीति मे कोई स्थान नही होना चाहिए । दूसरे देशों के लोग हमे गुजराती, मराठी , तमिल आदि के रूप मे नही बल्कि केवल भारतीयों के रूप मे जानते है इसलिये हमे समस्त विघटनकारी प्रवृत्तिओं को दृढ़तापूर्वक दबाने चाहिए और अपने को भारतीय समझना चाहिए और उसी के अनुरूप आचरण करना चाहिए।
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