Tuesday, 24 April 2018

आदरणीय सम्पादक जी


आदरणीय सम्पादक जी
आपने सम्पादक के नाते हम सबके अखबार " दैनिक जागरण " मे " कड़ुवा मे बलात्कार नहीं " समाचार को प्रमुखता से छापकर अपने बाबा पूर्ण चन्द्र गुप्त सहित अपने सभी पाठकों के विश्वास के साथ बेईमानी की है । संदीप जी आप अखबार के मालिक सम्पादक है , किसी दल विशेष या बयकति विशेष की प्रशंसा मे समाचार के रूप मे विज्ञापन प्रकाशित करना आपके अधिकार क्षेत्र मे आता है लेकिन विज्ञापन और समाचार का अंतर आपका पाठक जानता है इसलिये अब किसी को खुश करने के लिए विज्ञापन को समाचार के रूप मे छापना बन्द कर दीजिये। अच्छी तरह समझ लीजिये, " जागरण " पढना हम पाठकों की मजबूरी नहीं है ।
हम पाठकों को प्रतीत हो रहा है कि आपको शायद अब याद नही है कि आपके बाबा और पिता ने जेल जाने का खतरा मोल लेकर सर्व शक्तिमान इन्दिरा गाँधी द्वारा थोपी गई इमरजेन्सी के विरोध मे अपना सम्पादकीय पृष्ठ खाली छोड़ कर आम जनमानस की भावनाओं की अभिव्यक्ति की थी । मै नही समझ पा रहा हूँ, ऐसी कौन सी मजबूरी है जो आप " जागरण " की दशकों पुरानी परम्परा का परित्याग करके " जागरण " को किसी दल विशेष का मुखपत्र बना देने के लिए अमादा है ।सम्पादक जी अभी समय है , सुधर जाओ, अन्यथा इसी शहर मे " जागरण " से ज्यादा लोकप्रिय " विश्वामित्र " जैसे हश्र के लिए तैयार हो जाओ।
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48 टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
Sandeep Shukla घोर निराशाजनक कृत्य रहा है ये दैनिक जागरण का,इससे न सिर्फ विश्वसनीयता खत्म हुई है जागरण की बल्कि इनकी खबरें संदेह के घेरे में आ गयी हैं
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Ashutosh Teenu Shukla भाई साब कैसे पता चला आपको की ख़बर गलत छपी??
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Sachin Shukla *लड़ाई धर्म की है ही नहीं लड़ाई तो बाजार की है।*

एक अखबार है दैनिक जागरण वह हिन्दी में खबर प्रकाशित करता है कि कठुआ में दुष्कर्म नही हुआ, उसी अखबार का उर्दू संस्करण इंक्लाब उर्दू में कठुआ की वह रिपोर्ट प्रकाशित करता है जो फारेंसिक लैब ने सौंपी है।


हिन्दी अखबार अपने ‘हिन्दू’ बाजार पर काबिज होने के लिये झूठी खबर प्रकाशित करता है, और उसी का उर्दू अखबार अपने ‘मुस्लिम’ बाजार पर काबिज होने के लिये वह रिपोर्ट देता है जो लैब ने भेजी थी। व्यापारी शातिर है, वह दोनों को खुश कर रहा है। 

उसे समाज से कोई सरोकार नही है बाजार से सरोकार है, उसे मालूम है कि अगर मुसलमान उसका दैनिक जागरण नहीं खरीदेंगे तो इंक्लाब खरीदेंगे।

ऐसे ही जैसे जी न्यूज रात दिन मुसलमानों को गलियाता है और उसी का उर्दू चैनल जी सलाम रात दिन मुसलमानों के ‘हितों’ की बात करता है। 

कठुआ मामले पर दैनिक जागरण की रिपोर्ट देखिये, फिर इंक्लाब की रिपोर्ट देखिये। थोड़ी देर के लिये जी न्यूज देखिये और फिर जी सलाम देखिये।

एक ही छत के नीचे से प्रसारित प्रकाशित होने वाले ये मीडिया माध्यम किस तरह बाजार पर काबिज हो जाते हैं यह आपको बखूबी समझ आ जायेगा।

बिल्कुल उसी तरह जिस तरह न्यूज 18 इंडिया के कई एंकर हर रोज मुसलमानों को गालियां देते हैं, और उन्हीं का उर्दू ब्रांड ईटीवी मुस्लिम मसायल की बात करता है। मामला बाजार का है। 

पत्रकारिता का जनाजा तो पहले उठ चुका है, अब तो शायद उसकी हड्डियां भी गल गई होंगी। अब पत्रकारिता नाम की कोई चीज नही है सिर्फ बाजार है, धंधा है। और धंधे के लिये वह सबकुछ किया जा रहा है जो नहीं करना चाहिये। फिर चाहे वह झूठ हो या सच इससे क्या मतलब नोटों का रंग और साईज तो एक जैसा ही है। चाहे मुसलमान की जेब से निकलकर अखबार के मालिक की जेब में आये या हिन्दू की जेब से निकलकर चैनल के मालिक की जेब में आये। और आप (जिसमें मैं भी शामिल हूं) दैनिक जागरण के खिलाफ ये जो क्रान्ति कर रहे हैं। आपको क्या लगता है कि इससे उस संस्थान की बेगैरती को कुछ लिहाज आयेगी ?...

बिल्कुल नहीं बल्कि इस देश का वह वर्ग जो 14 प्रतिशत आबादी से ‘डर’ जाता है, वह वर्ग उसी रिपोर्ट को सच मानेगा जो झूठी है, लेकिन प्रकाशित हो गई है। *क्योंकि लोग गुलाम हैं, जंजीरों में नहीं बल्कि मानसिक रूप से गुलाम हैं, ये लोग जेहनी तौर पर अपाहिज हो चुके हैं।*
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Suresh Yadav This is the trend every where. See a similar example from US
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Ashutosh Teenu Shukla Sandeep Shukla जी बताए तो कैसे पता चली के ख़बर गलत छपी
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Sachin Shukla *लड़ाई धर्म की है ही नहीं लड़ाई तो बाजार की है।*

एक अखबार है दैनिक जागरण वह हिन्दी में खबर प्रकाशित करता है कि कठुआ में दुष्कर्म नही हुआ, उसी अखबार का उर्दू संस्करण इंक्लाब उर्दू में कठुआ की वह रिपोर्ट प्रकाशित करता है जो फारेंसिक लैब ने सौंपी है।


हिन्दी अखबार अपने ‘हिन्दू’ बाजार पर काबिज होने के लिये झूठी खबर प्रकाशित करता है, और उसी का उर्दू अखबार अपने ‘मुस्लिम’ बाजार पर काबिज होने के लिये वह रिपोर्ट देता है जो लैब ने भेजी थी। व्यापारी शातिर है, वह दोनों को खुश कर रहा है। 

उसे समाज से कोई सरोकार नही है बाजार से सरोकार है, उसे मालूम है कि अगर मुसलमान उसका दैनिक जागरण नहीं खरीदेंगे तो इंक्लाब खरीदेंगे।

ऐसे ही जैसे जी न्यूज रात दिन मुसलमानों को गलियाता है और उसी का उर्दू चैनल जी सलाम रात दिन मुसलमानों के ‘हितों’ की बात करता है। 

कठुआ मामले पर दैनिक जागरण की रिपोर्ट देखिये, फिर इंक्लाब की रिपोर्ट देखिये। थोड़ी देर के लिये जी न्यूज देखिये और फिर जी सलाम देखिये।

एक ही छत के नीचे से प्रसारित प्रकाशित होने वाले ये मीडिया माध्यम किस तरह बाजार पर काबिज हो जाते हैं यह आपको बखूबी समझ आ जायेगा।

बिल्कुल उसी तरह जिस तरह न्यूज 18 इंडिया के कई एंकर हर रोज मुसलमानों को गालियां देते हैं, और उन्हीं का उर्दू ब्रांड ईटीवी मुस्लिम मसायल की बात करता है। मामला बाजार का है। 

पत्रकारिता का जनाजा तो पहले उठ चुका है, अब तो शायद उसकी हड्डियां भी गल गई होंगी। अब पत्रकारिता नाम की कोई चीज नही है सिर्फ बाजार है, धंधा है। और धंधे के लिये वह सबकुछ किया जा रहा है जो नहीं करना चाहिये। फिर चाहे वह झूठ हो या सच इससे क्या मतलब नोटों का रंग और साईज तो एक जैसा ही है। चाहे मुसलमान की जेब से निकलकर अखबार के मालिक की जेब में आये या हिन्दू की जेब से निकलकर चैनल के मालिक की जेब में आये। और आप (जिसमें मैं भी शामिल हूं) दैनिक जागरण के खिलाफ ये जो क्रान्ति कर रहे हैं। आपको क्या लगता है कि इससे उस संस्थान की बेगैरती को कुछ लिहाज आयेगी ?...

बिल्कुल नहीं बल्कि इस देश का वह वर्ग जो 14 प्रतिशत आबादी से ‘डर’ जाता है, वह वर्ग उसी रिपोर्ट को सच मानेगा जो झूठी है, लेकिन प्रकाशित हो गई है। *क्योंकि लोग गुलाम हैं, जंजीरों में नहीं बल्कि मानसिक रूप से गुलाम हैं, ये लोग जेहनी तौर पर अपाहिज हो चुके हैं।*
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Ashutosh Teenu Shukla एबीपी न्यूज़ कोई राजा हरिश्चन्द्र है
उनकी खबर को क्कयू सही मानें
पूरा वीडियो देखें dr बोल रहा जो pm रिपोर्ट आपने दी

खुद एंकर बोल रहा 2 pm रिपोर्ट बनी है
Dr ही बोल रहा बेहोशी की दवा फिट्स जैसे रोगों में दी जाती है
पीड़िता के वकील का ही बयान दिखा रहे
बचाव पछ के वकील का बयान क्कयू नही लिया
अदालत मैं भी दोनों पछ apnni बात रखेंगे
ये तो एक पछ की ही बात कर रहे
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जवाब दें1 दिन
Pradeep Shukla अब शायद मीडिया समझ चुकी है कि अब भारी रकम लेकर जनता को गुमराह करना,मीडिया के लिये स्वयं को सोसाइट करने जैसा होगा, ए.बी.पी.न्यूज़ ने यह मर्म जान लिया है,लेकिन दैनिक जागरण जैसा अखबार शायद भ्रमित है...
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Sandeep Shukla ये बात हमारे प्यारे भाई Ashutosh Teenu Shukla अभी नही जान पा रहे हैं
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Upendra Awasthi टीनू भाई जागरण ने वो खबर अपने पोर्टल से हटा दी ।

आप पोर्टल देखो । फिर आपको भी सब पता चल जाएगा
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Ashutosh Teenu Shukla अरे भाई लोग खंडन छापने से खेद पढ़े होंगे
अगर झूठी होगी तो खंडन छापेंगे और खेद भी.....
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जवाब दें1 दिन
Narendra Kumar Singh हमें लग रहा है सभी लोग जांच एजेंसी हो गए और सभी लोग निर्णय लेने की क्षमता रखने लगे संजय की दृष्टि रखने लगे महाभारत की सभी आंखों देखा हाल उनके दिमाग में और आंखों में पूरा दृश्य है उन्होंने जो दिमाग में बना लिया वही सही है बाकी सब गलत है अखबार पढ़ना छोड़ दो TV सुनना बंद कर दो कुछ कुछ लोगों ने हरीश चंद्र और सत्यवादी का पूरा ठेका ले रखा है
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Sachin Shukla *लड़ाई धर्म की है ही नहीं लड़ाई तो बाजार की है।*

एक अखबार है दैनिक जागरण वह हिन्दी में खबर प्रकाशित करता है कि कठुआ में दुष्कर्म नही हुआ, उसी अखबार का उर्दू संस्करण इंक्लाब उर्दू में कठुआ की वह रिपोर्ट प्रकाशित करता है जो फारेंसिक लैब ने सौंपी है।


हिन्दी अखबार अपने ‘हिन्दू’ बाजार पर काबिज होने के लिये झूठी खबर प्रकाशित करता है, और उसी का उर्दू अखबार अपने ‘मुस्लिम’ बाजार पर काबिज होने के लिये वह रिपोर्ट देता है जो लैब ने भेजी थी। व्यापारी शातिर है, वह दोनों को खुश कर रहा है। 

उसे समाज से कोई सरोकार नही है बाजार से सरोकार है, उसे मालूम है कि अगर मुसलमान उसका दैनिक जागरण नहीं खरीदेंगे तो इंक्लाब खरीदेंगे।

ऐसे ही जैसे जी न्यूज रात दिन मुसलमानों को गलियाता है और उसी का उर्दू चैनल जी सलाम रात दिन मुसलमानों के ‘हितों’ की बात करता है। 

कठुआ मामले पर दैनिक जागरण की रिपोर्ट देखिये, फिर इंक्लाब की रिपोर्ट देखिये। थोड़ी देर के लिये जी न्यूज देखिये और फिर जी सलाम देखिये।

एक ही छत के नीचे से प्रसारित प्रकाशित होने वाले ये मीडिया माध्यम किस तरह बाजार पर काबिज हो जाते हैं यह आपको बखूबी समझ आ जायेगा।

बिल्कुल उसी तरह जिस तरह न्यूज 18 इंडिया के कई एंकर हर रोज मुसलमानों को गालियां देते हैं, और उन्हीं का उर्दू ब्रांड ईटीवी मुस्लिम मसायल की बात करता है। मामला बाजार का है। 

पत्रकारिता का जनाजा तो पहले उठ चुका है, अब तो शायद उसकी हड्डियां भी गल गई होंगी। अब पत्रकारिता नाम की कोई चीज नही है सिर्फ बाजार है, धंधा है। और धंधे के लिये वह सबकुछ किया जा रहा है जो नहीं करना चाहिये। फिर चाहे वह झूठ हो या सच इससे क्या मतलब नोटों का रंग और साईज तो एक जैसा ही है। चाहे मुसलमान की जेब से निकलकर अखबार के मालिक की जेब में आये या हिन्दू की जेब से निकलकर चैनल के मालिक की जेब में आये। और आप (जिसमें मैं भी शामिल हूं) दैनिक जागरण के खिलाफ ये जो क्रान्ति कर रहे हैं। आपको क्या लगता है कि इससे उस संस्थान की बेगैरती को कुछ लिहाज आयेगी ?...

बिल्कुल नहीं बल्कि इस देश का वह वर्ग जो 14 प्रतिशत आबादी से ‘डर’ जाता है, वह वर्ग उसी रिपोर्ट को सच मानेगा जो झूठी है, लेकिन प्रकाशित हो गई है। *क्योंकि लोग गुलाम हैं, जंजीरों में नहीं बल्कि मानसिक रूप से गुलाम हैं, ये लोग जेहनी तौर पर अपाहिज हो चुके हैं।*
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Prakash Sharma एक चिट्ठी zee न्यूज को भी लिखिए उसने तो ग्राउंड जीरो से सब सच दिखा दिया, या उससे भी ज्यादा उपयुक्त होगा कठुआ के केस में मामले का संज्ञान लेते हुए एक पत्र सम्बंधित अदालत ,उच्च न्यायलय, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी लिखिए की आपने अपने अपने अंतर्निहित विशेष शक्तियों से मंदिर में वो बलात्कार होते हुए देखा है और आप गवाही देना चाहते है, मान्यवर दैनिक जागरण ने साहस दिखा कर सच छापने का प्रयास किया है, लेकिन ख़बरांगना गैंग और उसके समर्थको द्वारा जागरण का मनोबल गिराने का प्रयास किया जा रहा है,जागरण प्रतिदिन उससे सम्बंधित सच प्रमाण सहित दे रहा है, आप या आपके समविचारक कितना जागरण कम करवा पाएंगे मैं नही जानता लेकिन सच छापने से उसकी पढ़ने वालों की संख्या बढ़ेगी ही,और यदि आप पूरी ईमानदारी के सात भगवान को हाजिर नाजिर जानकर निकटस्थ दो बलात्कार की घटनाओं पर सही निर्णय करवाना चाहते है तो कठुआ मामले की सीबीआई जांच आए उन्नाव में पीड़िता के नार्को टेस्ट करवाने के लिए कुछ करे
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जवाब दें1 दिनसंपादित
Sachin Shukla *लड़ाई धर्म की है ही नहीं लड़ाई तो बाजार की है।*

एक अखबार है दैनिक जागरण वह हिन्दी में खबर प्रकाशित करता है कि कठुआ में दुष्कर्म नही हुआ, उसी अखबार का उर्दू संस्करण इंक्लाब उर्दू में कठुआ की वह रिपोर्ट प्रकाशित करता है जो फारेंसिक लैब ने सौंपी है।


हिन्दी अखबार अपने ‘हिन्दू’ बाजार पर काबिज होने के लिये झूठी खबर प्रकाशित करता है, और उसी का उर्दू अखबार अपने ‘मुस्लिम’ बाजार पर काबिज होने के लिये वह रिपोर्ट देता है जो लैब ने भेजी थी। व्यापारी शातिर है, वह दोनों को खुश कर रहा है। 

उसे समाज से कोई सरोकार नही है बाजार से सरोकार है, उसे मालूम है कि अगर मुसलमान उसका दैनिक जागरण नहीं खरीदेंगे तो इंक्लाब खरीदेंगे।

ऐसे ही जैसे जी न्यूज रात दिन मुसलमानों को गलियाता है और उसी का उर्दू चैनल जी सलाम रात दिन मुसलमानों के ‘हितों’ की बात करता है। 

कठुआ मामले पर दैनिक जागरण की रिपोर्ट देखिये, फिर इंक्लाब की रिपोर्ट देखिये। थोड़ी देर के लिये जी न्यूज देखिये और फिर जी सलाम देखिये।

एक ही छत के नीचे से प्रसारित प्रकाशित होने वाले ये मीडिया माध्यम किस तरह बाजार पर काबिज हो जाते हैं यह आपको बखूबी समझ आ जायेगा।

बिल्कुल उसी तरह जिस तरह न्यूज 18 इंडिया के कई एंकर हर रोज मुसलमानों को गालियां देते हैं, और उन्हीं का उर्दू ब्रांड ईटीवी मुस्लिम मसायल की बात करता है। मामला बाजार का है। 

पत्रकारिता का जनाजा तो पहले उठ चुका है, अब तो शायद उसकी हड्डियां भी गल गई होंगी। अब पत्रकारिता नाम की कोई चीज नही है सिर्फ बाजार है, धंधा है। और धंधे के लिये वह सबकुछ किया जा रहा है जो नहीं करना चाहिये। फिर चाहे वह झूठ हो या सच इससे क्या मतलब नोटों का रंग और साईज तो एक जैसा ही है। चाहे मुसलमान की जेब से निकलकर अखबार के मालिक की जेब में आये या हिन्दू की जेब से निकलकर चैनल के मालिक की जेब में आये। और आप (जिसमें मैं भी शामिल हूं) दैनिक जागरण के खिलाफ ये जो क्रान्ति कर रहे हैं। आपको क्या लगता है कि इससे उस संस्थान की बेगैरती को कुछ लिहाज आयेगी ?...

बिल्कुल नहीं बल्कि इस देश का वह वर्ग जो 14 प्रतिशत आबादी से ‘डर’ जाता है, वह वर्ग उसी रिपोर्ट को सच मानेगा जो झूठी है, लेकिन प्रकाशित हो गई है। *क्योंकि लोग गुलाम हैं, जंजीरों में नहीं बल्कि मानसिक रूप से गुलाम हैं, ये लोग जेहनी तौर पर अपाहिज हो चुके हैं।*
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Sachin Shukla एक तो हमारे उपरोक्त कमेंट (एक ही समूह के हिंदी मीडिया व उर्दू मीडिया में भिन्न समाचार) के बिन्दुओं पर कोई उत्तर नहीं मिला। बहरहाल दूसरी बात, "जागरण" ने अपना वह समाचार कि कठुआ काण्ड में रेप नहीं हुआ था, अपने वेब पोर्टल से क्यों हटाया था?
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Prakash Sharma Sachin Shukla वेब पोर्टल ही सबकुछ नही है आखिर समाचार पात्र की लाखो प्रतिया छपी हैं,आज भी उसे सम्बन्धित दो समाचार है ,वैसे आप जागरण पर वाद दाखिल कीजिये
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Sachin Shukla Prakash Sharma जी, जागरण का कुछ नहीं होगा, क्योंकि उस पर आपकी सरकार का वरदहस्त है। और हम यूँ कहें कि डैमेज कंट्रोल के साथ ही मामला रफा-दफा करने के लिए सरकार ने खुद यह निकलवाया हो। अब इस अख़बार की रीच अधिक होने के कारण ज़्यादातर लोगों तक यह ख़बर चली गयी, सोशल मीडिया पर यह ख़बर प्रचारित-प्रसारित हो गयी, बस जो चाहिए था वो हो गया! वेब पोर्टल सब कुछ नहीं होता, बल्कि बहुत कुछ होता है। और वेब पोर्टल के समाचार अपडेट किये जाते हैं, हटाये नहीं जाते। अब रही कार्रवाई की बात तो "जागरण" पर कोई कार्रवाई नहीं होगी, शिकायत-केस आदि करने पर भी नहीं, क्योंकि ऊपर से अभयदान है। बल्कि हो सकता है आगे भाजपाई देखते ही रह जाएं और संजय गुप्ता राज्यसभा पहुँच जाएं। बीजेपी वाले जागरण जैसों से ही सही रहते हैं। वे लोग हर सरकार में उनके हो जाते हैं और भाजपाइयों को ठेंगा दिखाने लगते हैं।
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Prakash Sharma Sachin Shukla आपकी कुंठा बीजेपी से है,सरकार से है या दैनिक जागरण से, आप कानपुर में एक वाद दाखिल कीजिये न उसमे सरकारी हाथ क्या कर लेगा यदि आपके द्वारा प्रस्तुत वाद और साक्ष्य सही होंगे तो जागरण मुर्गा बन जायेगा, क्या आपको न्यायालय पर भी भरोसा नही है,वैसे मैने एक लिंक पांचजन्य का भी डाला है, उसे भी पढ़ लिनिये
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जवाब दें1 दिनसंपादित
Sanjay Jha Kaushal ji ye to parakashtha hai. Aap to Indira Gandhi se bhi age nikalana chahate hai
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Sachin Shukla *लड़ाई धर्म की है ही नहीं लड़ाई तो बाजार की है।*

एक अखबार है दैनिक जागरण वह हिन्दी में खबर प्रकाशित करता है कि कठुआ में दुष्कर्म नही हुआ, उसी अखबार का उर्दू संस्करण इंक्लाब उर्दू में कठुआ की वह रिपोर्ट प्रकाशित करता है जो फारेंसिक लैब ने सौंपी है।


हिन्दी अखबार अपने ‘हिन्दू’ बाजार पर काबिज होने के लिये झूठी खबर प्रकाशित करता है, और उसी का उर्दू अखबार अपने ‘मुस्लिम’ बाजार पर काबिज होने के लिये वह रिपोर्ट देता है जो लैब ने भेजी थी। व्यापारी शातिर है, वह दोनों को खुश कर रहा है। 

उसे समाज से कोई सरोकार नही है बाजार से सरोकार है, उसे मालूम है कि अगर मुसलमान उसका दैनिक जागरण नहीं खरीदेंगे तो इंक्लाब खरीदेंगे।

ऐसे ही जैसे जी न्यूज रात दिन मुसलमानों को गलियाता है और उसी का उर्दू चैनल जी सलाम रात दिन मुसलमानों के ‘हितों’ की बात करता है। 

कठुआ मामले पर दैनिक जागरण की रिपोर्ट देखिये, फिर इंक्लाब की रिपोर्ट देखिये। थोड़ी देर के लिये जी न्यूज देखिये और फिर जी सलाम देखिये।

एक ही छत के नीचे से प्रसारित प्रकाशित होने वाले ये मीडिया माध्यम किस तरह बाजार पर काबिज हो जाते हैं यह आपको बखूबी समझ आ जायेगा।

बिल्कुल उसी तरह जिस तरह न्यूज 18 इंडिया के कई एंकर हर रोज मुसलमानों को गालियां देते हैं, और उन्हीं का उर्दू ब्रांड ईटीवी मुस्लिम मसायल की बात करता है। मामला बाजार का है। 

पत्रकारिता का जनाजा तो पहले उठ चुका है, अब तो शायद उसकी हड्डियां भी गल गई होंगी। अब पत्रकारिता नाम की कोई चीज नही है सिर्फ बाजार है, धंधा है। और धंधे के लिये वह सबकुछ किया जा रहा है जो नहीं करना चाहिये। फिर चाहे वह झूठ हो या सच इससे क्या मतलब नोटों का रंग और साईज तो एक जैसा ही है। चाहे मुसलमान की जेब से निकलकर अखबार के मालिक की जेब में आये या हिन्दू की जेब से निकलकर चैनल के मालिक की जेब में आये। और आप (जिसमें मैं भी शामिल हूं) दैनिक जागरण के खिलाफ ये जो क्रान्ति कर रहे हैं। आपको क्या लगता है कि इससे उस संस्थान की बेगैरती को कुछ लिहाज आयेगी ?...

बिल्कुल नहीं बल्कि इस देश का वह वर्ग जो 14 प्रतिशत आबादी से ‘डर’ जाता है, वह वर्ग उसी रिपोर्ट को सच मानेगा जो झूठी है, लेकिन प्रकाशित हो गई है। *क्योंकि लोग गुलाम हैं, जंजीरों में नहीं बल्कि मानसिक रूप से गुलाम हैं, ये लोग जेहनी तौर पर अपाहिज हो चुके हैं।*
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Shayra Savita Aseem Sachin ji aapke is kadve sach ko padkar achha laga
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Ashutosh Teenu Shukla कोई बताया नही कैसे पता चला के जागरण की छपी खबर ग़लत है????
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Sachin Shukla *लड़ाई धर्म की है ही नहीं लड़ाई तो बाजार की है।*

एक अखबार है दैनिक जागरण वह हिन्दी में खबर प्रकाशित करता है कि कठुआ में दुष्कर्म नही हुआ, उसी अखबार का उर्दू संस्करण इंक्लाब उर्दू में कठुआ की वह रिपोर्ट प्रकाशित करता है जो फारेंसिक लैब ने सौंपी है।


हिन्दी अखबार अपने ‘हिन्दू’ बाजार पर काबिज होने के लिये झूठी खबर प्रकाशित करता है, और उसी का उर्दू अखबार अपने ‘मुस्लिम’ बाजार पर काबिज होने के लिये वह रिपोर्ट देता है जो लैब ने भेजी थी। व्यापारी शातिर है, वह दोनों को खुश कर रहा है। 

उसे समाज से कोई सरोकार नही है बाजार से सरोकार है, उसे मालूम है कि अगर मुसलमान उसका दैनिक जागरण नहीं खरीदेंगे तो इंक्लाब खरीदेंगे।

ऐसे ही जैसे जी न्यूज रात दिन मुसलमानों को गलियाता है और उसी का उर्दू चैनल जी सलाम रात दिन मुसलमानों के ‘हितों’ की बात करता है। 

कठुआ मामले पर दैनिक जागरण की रिपोर्ट देखिये, फिर इंक्लाब की रिपोर्ट देखिये। थोड़ी देर के लिये जी न्यूज देखिये और फिर जी सलाम देखिये।

एक ही छत के नीचे से प्रसारित प्रकाशित होने वाले ये मीडिया माध्यम किस तरह बाजार पर काबिज हो जाते हैं यह आपको बखूबी समझ आ जायेगा।

बिल्कुल उसी तरह जिस तरह न्यूज 18 इंडिया के कई एंकर हर रोज मुसलमानों को गालियां देते हैं, और उन्हीं का उर्दू ब्रांड ईटीवी मुस्लिम मसायल की बात करता है। मामला बाजार का है। 

पत्रकारिता का जनाजा तो पहले उठ चुका है, अब तो शायद उसकी हड्डियां भी गल गई होंगी। अब पत्रकारिता नाम की कोई चीज नही है सिर्फ बाजार है, धंधा है। और धंधे के लिये वह सबकुछ किया जा रहा है जो नहीं करना चाहिये। फिर चाहे वह झूठ हो या सच इससे क्या मतलब नोटों का रंग और साईज तो एक जैसा ही है। चाहे मुसलमान की जेब से निकलकर अखबार के मालिक की जेब में आये या हिन्दू की जेब से निकलकर चैनल के मालिक की जेब में आये। और आप (जिसमें मैं भी शामिल हूं) दैनिक जागरण के खिलाफ ये जो क्रान्ति कर रहे हैं। आपको क्या लगता है कि इससे उस संस्थान की बेगैरती को कुछ लिहाज आयेगी ?...

बिल्कुल नहीं बल्कि इस देश का वह वर्ग जो 14 प्रतिशत आबादी से ‘डर’ जाता है, वह वर्ग उसी रिपोर्ट को सच मानेगा जो झूठी है, लेकिन प्रकाशित हो गई है। *क्योंकि लोग गुलाम हैं, जंजीरों में नहीं बल्कि मानसिक रूप से गुलाम हैं, ये लोग जेहनी तौर पर अपाहिज हो चुके हैं।*
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Kaushal Sharma दैनिक जागरण कानपुर के पृष्ठ 23 पर छ्पी खबर " कठुवा मामले मे एक और आरोप पत्र दायर करेगी अपराध शाखा " मे जम्मू कश्मीर सरकार की अधिकारिक विज्ञप्ति से ।आप भी उसे पढें, फिर टिप्पणी करें तो हम दोनों को अच्छा लगेगा।
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Ashutosh Teenu Shukla आप खुद सोचे आप हमको भी बताए
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ज़्यादा ज़रूरी है के लैब रिपोर्ट
जब पोस्टमार्टम रेपोरी कह रही रेप नही हुआ तो अब क्या बचा

बाकी पुलिस कुछ भी करे कहे
कितनी देर तक कोर्ट में झूठ saza पाएगी...
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Bharat Puri मुसाहिबी की होड़ लगी है ईमान बेच चुके हैं ऐसे असमाजिक कृत्य करने वालों का वहिष्कार करना चाहिए।
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Prakash Sharma Bharat Puri जी जरूर बहिष्कृत कीजिये, लेकिन उन्नाव की जांच सीबीआई से करने की बहुत मांग की आप सब ने कृपया एक बार कठुआ मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग भी उठाइये हम आपके साथ हैं
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Sanjay Shukla 1991 की घटना जब मुलायम सिंह यादव की सरकार ने अयोध्या बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद में गोलीबारी करायी थी उसी दिन सायं कालीन स्पेशल अखबार प्रकाशित कराया और 50 हजार कार्य सेवकों की मौत का समाचार प्रकाशित कराया। उसी का परिणाम था कि स्व नरेन्द्र मोहन जी को राज्यसभा भेजा गया। अब फिर कोई मिशन चल रहा होगा जिसके लिए कडुवा के बलात्कार की घटना को गलत बता रहे हैं
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Ashutosh Teenu Shukla कैसे पता चला आपको के खबर ग़लत है जो जागरण ने छापी है....
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Sanjay Shukla कल्याण सिंह सरकार ने 13 लोगों की मौत की पुष्टि की थी
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Ashutosh Teenu Shukla वर्तमान की बात करें भूत तो भूत है
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Kaushal Sharma दैनिक जागरण कानपुर के पृष्ठ 23 मे छपी खबर " कठुवा मामले मे एक और आरोप पत्र दायर करेगी अपराध शाखा " पढें। इसमे जम्मू कश्मीर पुलिस की अधिकारिक विज्ञप्ति के हवाले से बताया गया है कि " बच्ची के साथ आरोपियों ने दुष्कर्म किया था और उसका हाइमन भी बरकरार नहीं था " यह सच है कि जाॅ च जारी है और जाॅच के दौरान प्रश्नगत घटना पर किसी अखबार को अपनी निजी राय समाचार के रूप मे छापने का अधिकार नहीं है ।जागरण ने इस स्वघोषित आचार संहिता का उल्लंघन किया है इसलिये एक पाठक के नाते मैने अखबार के सम्पादक के नाम पत्र लिखा है । मैने आप मित्रों पर कोई टिप्पणी नहीं की है , आप सब क्यों नाराज हो रहे हो ? मुझ पर सीमायें लाॅघने की पराकाष्ठा का आरोप क्यों? क्या एक पाठक के नाते मुझे अपने अखबार के सम्पादक से शिकायत करने का अधिकार नही है ?
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Ashutosh Teenu Shukla भाई साब जागरण ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का ज़िक्र किया है
बाकी सभी न्यूज़ चैनल हो या पुलिस सब लैब रिपोर्ट की बात कर रहे है
बाकी आपको मुझसे ज़्यादा अनुभव है के कोर्ट में पहले और लास्ट तक केस में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का क्या कैसा कितना महत्व है

जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के रही के रेप नही हुआ तो आगे की हर बात फालतू है???हाइमन का क्या और कई तरह से टूट सकती है ??
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Sanjay Shukla यह मेडि रिपोर्ट आप कहा से ले आये मेडिकल रिपोर्ट में साफ साफ बलात्कार की पुष्टि की गयी हैं
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Ashutosh Teenu Shukla बाबू जी लैब की रिपोर्ट बोल रही रेप हुआ
पोस्टमार्टम रिपोर्ट बोल रही रेप नही हुआ
कानून में पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही सब कुछ है बाकी सब बाद में
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Kaushal Sharma आशुतोष जी 
हम आपकी बात को ही सच मान लेते है तो भी किसी आरोपी की क्लीन चिट देने लायक साक्ष्य अभी कहाँ उपलब्ध है । जाँच जारी है , ऐसी स्थिति मे कोई अखबार कैसे कह सकता है कि रेप नहीं हुआ।
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Ashutosh Teenu Shukla अखबार नही कह रहा पोस्टमार्टम रिपोर्ट कह रही ये अखबार कह रहा
अखबार पोस्टमार्टम रिपोर्ट की बात कर रहा बाकी लोग लैब की रिपोर्ट कि
जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट मैं रेप नही हुआ तो क्या मतलब ले ब रिपोर्ट का
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Pankaj Chaturvedi पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की बात फ़र्ज़ी है। दुःखद है कि लोग एक बच्चे के साथ कुकृत्य पर झूठ बोल रहे हैं। शुक्ल जी या तो आपके पास सटीक जानकारों नहीं है या आप अफवाह पर भरोसा करते हैं।
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जवाब दें1 दिनसंपादित
Ashutosh Teenu Shukla Pankaj Chaturvedi पोस्टमार्टम की रिपोर्ट की बात फ़र्ज़ी है
लेकिन लैब की रिपोर्ट क्यों और कैसे सही मानी जाय
कुछ चैनल सिर्फ लैब रिपोर्ट पर शोर मचा रहे

जिसका कोई आधार नही रह जायेगा अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप पुष्ट नही हुआ...
अब यहां सम्सया ये हो रही के जनवरी के केस पहले से late कवर कर पाए
फिर रेप हुआ चिल्लाय
फिर पता चला पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप नही हुआ
तक अब अपने को सच्चा कैसे साबित करे
तो खेल शुरू किया लैब रिपोर्ट का...
किसी न्यूज़ चैनल ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की बात नही करि सिर्फ लैब रिपोर्ट पर कर रहे
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Pankaj Chaturvedi Ashutosh Teenu Shukla मैं सामने रखे दस्तावेज पर बात कर रहा हूँ वकील साहब। जागरण या जी टी वी देख कर नहीं। आपकी जानकारी अधूरी है। रिपोर्ट देखें व मोदी टेलर के फोरेंसिक साइंस का रेफरेंस।
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Narendra Kumar Singh दुष्कर्म हुआ कि नहीं हुआ जांच जांच एजेंसी मेडिकल रिपोर्ट तय करेगी
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Kaushal Sharma आपकी बात सच है , अभी जाँच जारी है , ऐसी स्थिति मे जागरण ने किस आधार पर छाप दिया कि रेप नहीं हुआ?
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Ashutosh Teenu Shukla पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देख के लिखा होगा
लेकिन भाई साब इलेक्ट्रॉनिक वाले तो और बड़े खिलाड़ी
लैब रिपोर्ट पे ज्ञानः झेले हुए है

उनको पता नही केस का आधार ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट है....अगर ये रिपोर्ट सही है तो saza कभी नही हो सकती सब छूट जाएंगे...
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Narendra Kumar Singh नेहा दो चुनाव हार जाओ ईवीएम खराब है सेनाध्यक्ष कुछ निर्णय ले कठोर तो गुंडा है अगर बलात्कार हुआ कि नहीं एक जांच एजेंसी मेडिकल रिपोर्ट तथ्यों के आधार पर कोर्ट निर्णय करेगा कि हम सब आप लोग तय करेंगे हम तो एक करेंगे कुछ लोगों ने ठेका ले रखा हरिश्चंद्र बनने का
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Narendra Kumar Singh हो सकता है कि उनको सूचना मिली हो कहीं से
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Prakash Sharma Kaushal Sharma जी अपने विचार व्यक्त करना नाराजगी कहाँ से हो गयी, आपके लिखने का भी तो कुछ आधार तो होगा,निश्चित रूप से वो आधार जांच एजेंसी से इंटेरोगेशन तो नही ही है, मैंने तो आपसे सिर्फ इतनी अपेक्षा की है कि जांच सीबीआई से करवाने का प्रयत्न करें ,नाराजगी बिल्कुल नही,फिर भी यदि आपको मेरी टिप्पणी के किसी अंश से कष्ट पहुंचा हो तो मैं खेद व्यक्त करता हूँ
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Malay Pandey हिंदुओ को बदनाम करने की साजिश है.....कुछ नही हुआ....नाटक है...
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Puneet Awasthi मै सविनय कहना चाहूँगा कि कठुआ केस में बच्ची गायब हुई 10 जनवरी को लाश मिली 17 जनवरी को पोस्ट मार्टम हुआ 18 जनवरी को रक्त और बिसरा का सैम्पल लिया गया 18 जनवरी को उसके बाद 18 जनवरी को ही बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया गया। और इस केस मे उसके बाद exhumation (लाश को कब्र से निकाल कर पुनः जाँच) हुई नही इसका मतलब ऐ हुआ की जो भी सैपल लिए गए वो सब 18 जनवरी को ही लिए गए उसके बाद नही पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नही हुई। और ना ही फोरेंसिक लैब जम्मू को बच्ची के सैपल से कोई रेप सम्बन्धित सबूत मिले। जैसे spermatozoa (वीर्य) के अंश जो मिलने भी नही थे क्योंकि वो चार दिन के बाद नष्ट हो जाते है। आरोपी गिरफ्तार हुए मार्च में आरोपियो का सैम्पल लिया गया जाँच को पुनः तथाकथित दिल्ली लैब भेजा गया मार्च के अंत मे रिपोर्ट आयी 3 अप्रैल को पुलिस जाँच दल का दावा spermatozoa बाल आरोपी से मैच हो गए जबकी दिल्ली लैब का कोई अधिकारिक बयान नही आया सारी खबर आयी विश्वस्त सूत्रो से। ये केस कोर्ट में टिक नही पाऐगा।
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Adv Ramakant Awasthi मुझे लगता है कि शायद समाचार पत्र में यह भी प्रकाशित किया जाना अतिरेक होगा की बलात्कार वास्तव में हुआ ही है क्योंकि संपादक हथवा संवाददाता चतुर्दशी नहीं है ऐसा समाचार प्रकाशित किए जाने के पश्चात यदि आरोपी निर्दोष पाए जाते हैं तो समाचार संपादक पर मानहानिकारक सामग्री के प्रकाशन हेतु उसे अभियोजित किया जा सकता है किंतु यदि इसका विपरीत प्रकाशन है तो उसके लिए संपादक को अभियोजित नहीं किया जासकता है इसीलिए विधि व्यवस्था यह है कि समाचार पत्र में अंकित कोई समाचार अपने आप में सबूत नहीं है
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Rekha Singh भक्तों अब तो चश्मा हटा लो। ऐसे जघन्य अपराधों के खिलाफ सिर्फ देशहित में आवाज़ जरूर उठाएं
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Adv Ramakant Awasthi यह जरूर है कि समाचार संपादक को समाचार संकलन व प्रकाशन मैं काफी गंभीर और उत्तरदाई होना चाहिए अन्यथा पाठक ऐसे समाचार पत्रों का स्वाभाविक रूप से बहिष्कार करेंगे समाचार पत्र मैं किसी आपराधिक घटना का प्रकाशन प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर किया जाता है जबकि अन्वेषण के पश्चात कई लोगों की नामजदगी गलत पाई जाती है इसीलिए समाचार पत्रों को लोक दस्तावेज नहीं कहा गया है बल्कि व्यक्तिगत दस्तावेज कहा गया है Phir Bhi media ko चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो या प्रिंट मीडिया हो लोकतंत्र का एक स्तंभ होने के नाते अति उत्तरदाई होना आवश्यक है
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Malay Pandey अपराध यदि हुआ भी है...तो इसका क्या प्रमाण कि हिंदुओ ने किया....राष्ट्रविरोधी ताकते वहां हालात समान्य नही होने देना चाहती.ये साजिश है....
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Puneet Awasthi अगर आरोपियों के बाल मौका ऐ वारदात पे आरोपियों की गिरफ्तारी के पूर्व मिले होते जो की नही मिले। गिरफ्तारी के बाद बाल मिलने का कोई मतलब नहीं होता है।
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Puneet Awasthi हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई की बात नही है पर किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाना बहुत ही गलत है। पूरे देश में इस केस को लेकर बहुत रोष है इस केस की जांच सीबीआई को ही करनी चाहिए क्योंकि इस केस मे पुलिस को भी आरोपी बनाया गया है। crpc में तो इस केस की जांच पुलिस कर ही नही सकती अब रणबीर पीनल कोड क्या कहता है पता नही।
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Sachin Shukla एक तो हमारे उपरोक्त कमेंट (एक ही समूह के हिंदी मीडिया व उर्दू मीडिया में भिन्न समाचार) के बिन्दुओं पर कोई उत्तर नहीं मिला। बहरहाल दूसरी बात, "जागरण" ने अपना वह समाचार कि कठुआ काण्ड में रेप नहीं हुआ था, अपने वेब पोर्टल से क्यों हटाया था?
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Upendra Awasthi जिस मामले में जाँच चल रही हो । मामला माननीय न्यायालय में विचाराधीन हो ऐसे मामलों में त्वरित टिपण्णी से मीडिया को बचना चाहिए ।

कोर्ट ट्रायल के साथ साथ मीडिया ट्रायल और सोशल मीडिया ट्रायल भी अब चलने लगता है । जो कि सही नही है ।।
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Indrapal Singh Chauhan कौशल भाई आप तो फौजदारी के एक बहुत ही अच्छे अधिवक्ता है।क्या गलत अखबार में छपा है।मैं नही समझ पा रहा कि इसमें कुछ भी गलत रिपोर्टिंग की गई है।मृतका की बॉडी का दो बार पोस्टमार्टम हुआ।दोनों बार बैजाइना से तरल पदार्थ लेकर स्लाईड बनाई गई ।रसायनिक परीक्षण में मृत्य या जीवित शुक्राडू नही पाए गए।डॉक्टर की राय में हाई मैन हार्श राइडिंग में विदीर्ण होने की संभावना है।यूरिनल में कोई जख्म नही।
गैंग रेप में जहां 8 लोगो द्वारा रेप की बात आई है वहां यह तथ्य भी महत्व पूर्ण होगा कि मृतका की बॉडी में न तो एबो जॉइन्ट में न ही पीठ में कोई चोट है।बाड़ी में कपड़ो में या उस पत्थर में जो बरामद किया गया कोई रक्त पाया गया।अभियुक्तों के प्राइवेट पार्ट/लिंग का किसी भी अभियुक्त का रेडिकल नही कराया गया। 
परिस्थियां जहां घटना होना कहा गया।एक धार्मिक स्थान जहाँ प्रति दिन कुल देवी के दर्शारनाथी आते है।घटना वाला दिन मकर संक्रांति का दिन ,कमरा एक तीन दरवाजे कई खिड़कियां।एक दिन पहले ढुलाई पुछाई।दूसरे दिन सहभोज।यहां कैसे कोई कैद कर रखा जा सकता है।
एक केश को एक सप्ताह में तीन टीमो द्वारा बदल बदल कर केस की विबेचना करवाया जाना 
तीसरा विबेचक दागी, जिस पर स्वम कई गम्भीर मामले विचाराधींन।
सी बी आई की माँग ठुकराई जा रही।अभियुक्तों द्वारा नार्को टेस्ट की बात नही मानी जा रही आदि आदि और तमाम ऐसे तथ्य है जो इस केस में गैंग रेप न होने की तथ्यों परिस्थितियों से प्रथम द्रष्टया केस को संदिध बनाते है।
मैं इस बात का हरगिज विरोधी हु की उस बच्ची के कातिलों को सजा न मिले।उन्हें ऐसी सजा मिले की सुनने वालों की रूह कांप जावे।पर निर्दोषो को कम से कम सजा तो न मिले।
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Anant Dixit जागरण आपको अछि कवरेज देता हैं, फिर भी आपने मालिक संपादक को कटघरे में ला खड़ा किया है, इससे यह जरूर साबित होता हैं कि आप अपने हितों को ताक पर रख समाज के हित मे जीते हैं, आपको बड़े मंच पर सम्मानित किया जाना चाहिये।
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Sanjay Tewari कांग्रेस और कम्युनिस्ट विचार धारा के लोग कभी भी अपने हित को नहीं छोड़ सकते जिनको ये भी नहीं मालूम कि कठुआ श्री नगर से कितनी दूर है वो कानपुर से ही रेप को सत्य साबित करे दे रहे हैं
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Prateek Vaish Sir , today most of print and electronic and print media is no more than godi media / Dalal media. I totally agree with your views that’s reading jagran is not a compulsion and media has reached a new low. Dainik jagran has really lost all the credibility. It’s no more than BJP’s mukhpatra
सर, आज के अधिकांश प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया godi मीडिया / दलाल मीडिया से अधिक नहीं है । मैं पूरी तरह से सहमत हूँ कि जागरण पढ़ा जा रहा है कि जागरण एक मजबूरी नहीं है और मीडिया एक नई कम पहुँच गया है । दैनिक जागरण ने सच में सभी विश्वसनीयता को खो दिया है । यह भाजपा के mukhpatra से ज्यादा नहीं है
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अपने आप अनुवाद किया गया
1 दिन
Rekha Sharma इसे कहते है सही मार्ग दर्शन कराना सही सलाह दी आपने ।👍
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Narendra Kumar Yadav जागरण पूरी तरह से पीत पत्रकारिता कर रहा है।
समाचार पत्र न होकर दल विशेष का भोंपू बन गया है।
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Adv Shree Prakash Tiwari यानी आपको खबरें भी अपनी पसन्द की चाहिए?
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Ganga Prasad Yadav कठुआ की जिस धटनाक्रम की आप चर्चा करके आप समाज के सबसे शिक्षित सुधी पाठक होने का दम्भ भर रहे! याद कीजिए जिस सम्पादकीय की बात आप बता कर अभिव्यक्ति की बात बता रहे अखबार का महिमामंडन कर रहे है क्या कोई पत्र,पत्रिका पत्रकार अपने अखबार को सच के सिवा वास्तविकता से परे रख समाज में अपना स्थान बना सकता है? हकीकत "कठुआ" जाननी है तो जाना पड़ेगा कठुआ के घटनास्थल पर परखनी पडे़गी सच्चाई Znews ने कठुआ जाकर समाज को जाग्रत करने के उद्देश्य से हकीकत दिखाई है कि एक कमरे में जिसमे तीन खिड़की दो दरवाजे लगे हो तीन गांव के लोग प्रतिदिन पूजा-अर्चना के लिए आते हो एक सप्ताह तक कैसे कोई किसी को कैद रख सकता है? पत्रकारिता पर संदेह या भेदभावपूर्ण समाचार के लिए किसी राष्ट्रीय समाचार पत्र की आँख बन्द कर आलोचना ठीक नही !पढ़ने न पढ़ने से इनको कोई खास फर्क नही पड़ता विज्ञापन तो सरकारों की मजबूरी है? समाचार को विज्ञापन की दृष्टि से देखना पढ़ना पाठक के विवेक को दर्शाता है! सरकार की उपलब्धियो को जनता जानती मानती है पूरे देश की राजनितिक पार्टियो का मकसद सिर्फ मोदी की "ईमानदारी" से हारने के कारण हर हाल हर निर्णय हर काम को गलत साबित करना मात्र रह गया है! ऐ जनता है सब जानती है!
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Sharad Dwivedi Aap to budhjivi hai adv.hai kya aap ko is me Cong.ka harami pan najar nahtab t i as raha hai Jo ki hasiye par jaanne KE baad jaat vishes ke Vito KE liye desh phir se baatne ki koshish kar rahi hai aap
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Girdhar Dwivedi शमां जी सच सच रहेगा समाचार समपादक को डाटने से काम नही चलेगा।
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Ravindera Patni Lagta hai ki iss desh mae apradhon ko chahae vo aarthik amaanviya ya samajik hon ko daekhnae ka rahnaitik chashma kutchh jyada hee chadta ja raha hai Media ho ya thatakathit budhjeevee apni svayam ki rajnaitik pratibadhta k anusar anadhikrat vivechna prarambh ker deatae hain. Jo ki anavashyak bhramm aur kututa paida kerti hai Iss per koi kanun banna chihiyae ki chahae print electronik ya social media ho vo in apradhon ki svayam vivechna aur niskarsh na nikalaen jinhae bahut utsukta ho vo sachcham authortiy k paas jaker apna gyan bagharaen
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Arun Dixit Aapne sahi sachai ks aina dikheya hai
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Prateek Vaish In newspapers only one thing is reliable and that is advertisement
अखबारों में केवल एक बात विश्वसनीय है और यह विज्ञापन है
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अपने आप अनुवाद किया गया
1 दिन
Kuldeep Saxena बहुत खूब।पसंद आया।मुहिम चलाएँ।कारपोरेट बनाम आम नागरिक।
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OM Nararain Tripathi · 28 आपसी मित्र
कौशल जी,नमस्कार 
आज की पोस्ट देखकर प्रतिक्रिया का मन करगया.. 2019 तक मन के आक्रोश पूर्ण सोंच को स्थगित रखना ठीक लगता है.. बहते पानी में भी पत्थर गिरने से कुछ लहरें उठती ही हैं.. फिर आप तो समाज के जिम्मेदार तबके से हैं ..मुझे लगता है इस तरह की पोस्ट से लोगों को अनर्गल प्रलाप का अवसर मिलजाता है.. मेरी यह बात व्यक्तिगत है.. आप पढ़कर टिप्पणी किए बिना hide कर दीजिए गा.... धन्यवाद
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