Monday, 30 April 2018

अवैध कमाई पर रोकथाम असम्भव


अवैध कमाई पर रोकथाम असम्भव
बात सुनने मे खराब लग रही होगी लेकिन पूरी बात पढ लो , फिर गाली दे लेना । भाई हममें से सभी लोग अवैध कमाई या कह लें भ्रष्टाचार को निजी जीवन मे खराब मानते है । भ्रष्टाचारियों को फाँसी की सजा देने का समर्थन भी करते हैं लेकिन अवसर मिलते ही घूस लेने से कभी नहीं चूकते । कई बार तो घूस लेना अपना अधिकार मांगते हैं।एक मित्र ने कल हमसे एक सिफारिश के लिए कहा , उसने बताया कि एक साक्षी को परीक्षित कराने के लिए सरकारी वकील दस हजार रूपये माॅग रहे हैं जबकि पन्द्रह हजार रूपये पहले ही ले चुके हैं।मेरे पास पैसे नही है आप कह दे, तो शायद मान जाये , मैने उससे कहा कि उनसे मेरा नाम बताओ , मान जायेंगे लेकिन कुछ ही देर बाद लौट कर उसने जो कुछ मुझे बताया , उसे सुनकर मै हतप्रभ हो गया।कल से मै परेशान हूँ, सोच नहीं पा रहा हूँ, करूँ क्या? इसलिये आप सबसे अपनी ब्यथा शेयर कर रहा हूँ। मित्रो मै निजी तौर पर जानता हूँ कि पूरी ब्यवस्था की चाल , चरित्र और चेहरा बदलने का सुबह शाम उद्घोष करने वाले इस सरकारी वकील को नियुक्ति के लिए किसी को एक कप चाय नही पिलानी पडी है । नियुक्ति के लिए उनसे अपेक्षा की गई थी कि वे अपना काम ईमानदारी और पारदर्शिता से करेंगे और किसी भी दशा मे पैसा लेकर समाज के ब्यापक हितों के साथ समझौता नहीं करेंगे और अपनी कुशलता बढाये रखकर दोषियों को दण्डित कराने का कारण बनेंगे।
हममें से कई लोगों ने कांग्रेस शासन काल मे नियुक्त डी जी सी क्रिमिनल श्री युनुस अली से लेकर वर्तमान मे कार्यरत शासकीय वकीलों का चाल चरित्र और चेहरा देखा है , सपा , बसपा, भाजपा सरकारों मे नियुक्त अपने मित्रों को देखा है , देख रहे है , क्या हम आप किसी मे कोई अन्तर देख पा रहे है ? यदि नहीं तो इसके कारणों की चर्चा से हम कतराते क्यों है ? भाई समझो यदि हम समाज मे बदलाव चाहते हैं तो हमे इसकी शुरूआत स्वयं से करनी होगी। गुण्डा राज न भ्रष्टाचार ____________का उद्घोष करने वाले मित्रों का सार्वजनिक जीवन दूसरों से भिन्न होना ही चाहिए और यदि किसी को एक कप चाय पिलायें बिना नियुक्ति पाने वाले मित्र भी सार्वजनिक जीवन में पैसा लेकर समाज के हितों के साथ समझौता करने से नहीं चूक रहे है तो हमे मान लेना चाहिए कि अवैध कमाई या भ्रष्टाचार को रोकने की बातें करना सरासर बेईमानी है ।
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26 टिप्पणियाँ
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Dinesh Yadav shame full conduct hai lekin faishon main hAi bhai ji
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Chandra Shekhar Singh कोई हर्ज नहीं है अवैध कमाई ही वैध है जब आदमी फांस लिया जाता है एक बार नाम पता चल जाए तो टैक्स डिपार्टमेंट में उनकी फाइल वखोली जा सकती है
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Ajay Sinha न्याय बिक रहा है यही सबसे बड़ा आतंकवाद है ।
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Chandra Shekhar Singh उच्च न्यायालय में याचिका के काफी
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Suresh Yadav शर्मा साहब, आपने बहुत सही बात लिखी है। यही जीवन की सच्चाई है।

एक दो साल पहले तक मैं हितवाद इंग्लिश न्यूज़ पेपर जबलपुर एडिशन के गेस्ट कॉलम के लिए कभी कभी लिखा करता था। इसी विषय पर एक आर्टिकल लिखा था। दुबारा इस पोस्ट पर लिखने से बचने के लिए उस पेपर की कट
िंग ढूढ रहा हूँ। अगर मिल गया तो शाम तक भेज दूंगा नहीं तो दुबारा लिखूंगा।

अवैध कमाई और भ्रष्टाचार भारतीय जीवन पद्धति का अभिन्न अंग रहा है और आज भी है। आज से नहीं शदियों से। अपने यहाँ हर व्यक्ति तभी तक ईमानदार है जब तक उसे खुद अवैध कमाई करने का मौका नहीं मिल जाता। अपवादों की तादाद बहुत कम है।
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Ashish Pandey True sir ji. We need to change ourselves first . I am also experienced same thing in my field but fighting against this irregular behaviour. Honesty is costliest in current days.
सच्चे सर जी । हमें पहले खुद को बदलने की जरूरत है. मैं भी अपने क्षेत्र में एक ही चीज का अनुभव कर रहा हूँ लेकिन इस अनियमित व्यवहार के खिलाफ लड़ रहा हूँ. ईमानदारी वर्तमान दिनों में सबसे सबसे है ।
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1 दिन
Sanjay Kumar Singh यह भले ही आपको अचंभित करे पर हकीकत यही है कि बहुतेरे सम्मानित अधिवक्ता अपने कुशल बहस की तैयारी से ज्यादा लेन देन की तैयारी कर सफलता पाने को आतुर होते हैं मुझे सख्त नफरत है दोनों से । यकीन मानिये मैं हर वक्त अपने क्लाइंट को हिदायत देता हूँ की यदि तुम्हें हम से ज्यादा भरोसा सेटिंग पर हो तो मुझे भूलकर अपनी फाइल मत देना।
एक बात और कहना चाहूंगा हम वकील हैं ना कि कोई ठेकेदार ,जो मुकदमे की ठेके लेकर बैठे । जितना पैसा हम घुस की रकम देकर मुकदमें की फैसला की उम्मीद करेंगे उससे कम पैसे में हम ऊपरी अदालत से न्याय पा सकते हैं इसलिये सरकारी वकील या किसी जज की सिफारिश में अपना समय बर्बाद करें उससे ज्यादा हमें स्वयं उस मुकदमे की तैयारी में समय देना चाहिए।
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Kaushal Sharma संजय भाई 
वकील फीस लेते हैं, घूस नहीं,
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Narendra Kumar Yadav कौशल जी अवैध कमाई पर कहां लगी लगाम नोट बंदी के बाद और ज्यादा होने लगी लोग कहां रख रहे हैं सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि ही अवैध कमाई कर रहे हैं दूसरे न, पर अधिकारियों में लूट खसोट की होढ लगी है।
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Dinesh Yadav जिम्मेदार है कौन परेशान अधिवक्ता समाज हर मसले पे खामख्वाह
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Satyavan Singh · 2 आपसी मित्र
Yeh visay gud hai jitna aap manthan karege utna byathit hoge lekin jav sansar chand keshav lal aadi ka jikra,,hoga tab swayam ko shukh ki anubhuti hogi a
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Akhilesh Shukl Absolutely correct
बिल्कुल सही
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अपने आप अनुवाद किया गया
1 दिन
Prakash Sharma Kaushal Sharmaजी आपकी बात से सौ prtisht समर्थन करता हु, अवैध कमाई पर नियंत्रण तब तंक नही हो सकता जबतक काम करने और कराने वाले दोनों ही तैयार न हो, की काम हो न हो लेकिन भृष्ट आचरण नही करेंगे, जो कि व्यवहारिक रूप से कठिन है जहां तक सरकारी कर्मचारियों की बात है तो गुरुवर चाणक्य ने कहा है"सरकारी कर्मचारी अवैध धन कब लेता है, ये आप वैसे ही पता नही लगा सकते जैसे ये पताकर नही सकते कि मछली पानी कब पीती है",यहाँ मैं आपके और धनी राम जी के बारे में गर्व के साथ कहता हूं कि आपने कानपुर जिला न्यायालय में और धनी राम जी ने केसा के वादों में अपने पद की गरिमा बढ़ाई है
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Kaushal Sharma आदरणीय प्रकाश जी
समस्या बयकति विशेष की प्रशंसा या आलोचना की नही है । हम केवल इतना कहना चाहते है कि सपा बसपा और भाजपा द्वारा नियुक्त सरकारी वकीलों की अपने काम के प्रति निष्ठा, ईमानदारी और उनका चाल चरित्र और चेहरा अलग दिखना ही चाहिए। दूसरों की तरह भाजपा
 के लोग पैसे लेकर अभियुक्तों को लाभ न पहुँचाये प्रस्तावित नियुक्तियों मे कम से कम एक सरकारी वकील ऐसा जरूर हो , जो अपनी ज्ञात आय पर अपने परिवार का भरण पोषण करने की हिम्मत रखता हो । मै जानता हूँ, भाजपा नेतृत्व भी यही चाहता है लेकिन अच्छे लोगों का नाम सुझाना तो स्थानीय लोगों का जिममेदारी है ।
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जवाब दें23 घंटे
Narendra Kumar Yadav कौशल जी अच्छे और ईमानदार लोग नेताओं की परिक्रमा नहीं कर सकते तो उनका नाम भेजा नहीं जायगा अपनी ज्ञात आय से वो गुजर तो कर लेंगे लेकिन जिन्होंने कराया है उनको संतुष्ट करने में दिक्कत आयेगी।भ्रषटाचार ने इतनी गहरी जड़ें जमा ली है कि उसे उखाड़ फेंकना दिक्कत तलब है एक जमाना नवाब साहब, कौल साहब, बाबू ध्यान चंद्र जी शांति बाबू, हरीजी निगम का था आज क्या हो रहा है ? यदि अभियोजन पक्ष से प्राईवेट वकील आ गया तो सरकारी वकील दुश्मन की तरह देखता है या वो उसकी धनतेरस करा दे मैं किसी सरकार को आक्षेपित नहीं करता हूं लेकिन ये पद पूरी तरह राजनितज्ञो की दया के पद हो गये है योग्यता का मानक चाटुकारिता हो गयी है।
अथवा धन देकर नियुक्ति।एक दौर ऐसा भी देखा जब फतेहपुर वालें गुप्ता जी विधी मंत्री बने तो फतेहपुर वालें वकीलों को नियुक्त कर कानपुर भेज दिया वो राषटीय चरित्र वाले मंत्री जी थे।
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जवाब दें22 घंटे
Ganga Prasad Yadav श्री प्रकाश तिवारी ने सुझाया तो एक नाम ?
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Rekha Sharma भाई साहब आपने बहुत ही अच्छी पोस्ट की जो बहुत ही सराहनीय है मैंने कानपुर जिला कोर्ट में कई बार देखा जज साहब की मौजूदगी में पेशकार मुवक्किल से पैसो की वसूली करते है।20 ,20 रुपए लिए बिना तारीख तक नही देते। क्या जज साहब को ये सब नजर नही आता?????
या हम ये मान ले की ये अंधा कानून है।
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जवाब दें22 घंटे
Rakesh Bajpai आप सुविधा चाहते हैंशुलक देना पडेगा। आप किसी की सिफारिस करेंगे अंशधारी माने जायेंगे।यह एक दस्तूर बन गया है।राजीव गांधी वेतन आयोग लाये
इस अच्छी सोंच के साथ कि कर्मचारियों को अच्छा पैसा मिलेगा सुधार होगा लेकिन कोई अच्छा असर नही पड़ा।
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जवाब दें22 घंटे
Narendra Kumar Yadav रेखा शर्मा जी कचेहरी में फिर भी अन्य विभागों की अपेक्षा भ्रष्टाचार न के बराबर है केसा, आपूर्ति विभाग नगरनिगम विकास प्राधिकरण, सैलटैकस आयकर, पुलिस विभाग, तहसीलदार, लेखपाल खसरा के पचास, पचास हजार रुपए लेते हैं।
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Indrapal Singh Chauhan घूसखोरी हमारे खून में ऑक्सीजन की तरह घुल मिल गई है।आज हम कोई भी काम विना लक्ष्मी दिये करा ही नही सकते।ज्यादा मैं कुछ न कह कर अपनी कचहरी की ही बात बता रहा हूँ यहां बाबू चपरासी एक एक गवाह की गवाही लिखने 100-200 सौ रुपये लेते है।बेल बैंड में कभी कभी1000 -5000 हजार तक लेते है।तारिख पेशी में प्रति मुजरी 20 रुपया तक वसूली करते है।हाजरी माफी प्रार्थना पत्र देने पर उस मुजरिम से एक्जमटेटड मुजरिमो के नाम तक वसूली एक जो हाजिर है से कर लेते है।
हर कोर्ट में बाबू दो से चार पांच तक कारीगर रखे है।कारीगर फाइलों का निपटारा तक कर देते है।यम बी एक्ट की फाइलों का ज्यादातर बिना मजिस्ट्रेट के पास गए ही उसे बेंच दी जाती है।इन फाइलों का पता ही नही चलता कब आई कब फैसल हो गई।कारीगर ऑर्डर सीटे लिखते है।मजिस्ट्रेट अपने घरेलू नौकरों से अपनी अदालतों में काम कराते है।
सिविल साईड एव रेवन्यू कोर्ट्स का यही हाल है।रजिस्ट्री ऑफिस का और बुरा हाल है।
प्रति दिन कचहरी में पचासो लाख की रिश्वत खोरी हो रही है।रिश्वत न देने वाले को शाम पांच बजे तक बैठाए रखा जाता है।
इससे कैसे निजात मिले इस पर गहन चिंतन की जरूरत है।
हमारी अपनी संस्थायों से मांग है कि जिला जज डी यम एव कमिश्नर साहब से मिलकर इसमे कुछ सुधार की बात करे ।हमे भी जागरूक होना पड़ेगा।जल्दबाजी के चक्कर मे हम भी दोषी है इसे बढ़ावा देने में।हमे चाहिए कि हम न घुस देगे न देने देंगे।हम गलत न करेगे न करने देगें की नीति जब तक नही अपनाएंगे त तक कचहरी की घुस खोरी नही रुकेगी।
घुस खोरी इत कदर बढ़ी है कि कभी कभी तो कोर्ट में लज्जित तक हमे एव हमारे भाईयो को होना पड़ता है।इसे रोकने के लिए सी सी टीवी कैमरे ऑफिस से लेकर कोर्ट में लगाये जावे।जिसे सार्वजनिक रूप से कोर्ट हावर में डिसप्ले किया जावे।
सी सी टी वी कैमरे कोर्ट्स में लगाये गए है पर चालू करने की जिसकी जुम्मेदारी है उसे नही निभाया ज रहा।हमे ऐसा लगता है कि है
हमारे पीठासीन अधिकारी इसमे शामिल है।
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Kaushal Sharma आदरणीय भाई साहब 
आज आपने सब कुछ ज्यों का त्यों बयाॅ कर दिया । मैने तो अपनी निजी ब्यथा शेयर की थी लेकिन आपने वस्तु स्थिति से हम सबको रुबरू कराया है । भाई साहब हम सब इससे परिचित है , हम कई बार कुढ़ते हुये पैसा देते है । कचहरी लोकतंत्र की रीढ की हड्डी है 
इसलिये इसको निष्पक्ष, पारदर्शी और आम लोगों के प्रति प्रतिबद्ध बनाये रखना हम सबका निजी एवम सामूहिक दायित्व है । हम सब जानते है कि अपराधियों को उनके किये की सजा दिलाना सरकारी वकीलों की जिम्मेदारी है लेकिन पैसे लेकर अभियुक्तों को लाभ पहुँचाना आम बात हो गई है । पेशकार पैसे लेकर मुकदमें की मेरिट प्रभावित नही कर सकता परन्तु सरकारी वकील कर सकता है इसलिये देश और समाज के ब्यापक हितों के लिए हम सबको इस मुद्दे पर समाधान की दृष्टि से कुछ सोचना चाहिए।
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Indrapal Singh Chauhan कौशल भाई कुछ उन सब प्रगति शील एवं सम्बेदन शील अधिवक्तायो की एक बैठक बुलाई जावे।सभी मिल कर कचहरी में व्याप्त भृष्टाचार कारीगरों की कारीगिरी एव और बहुत से सम्वेदिनशील मुद्दों पर गहन चिंतन कर अपनी सस्थायो को बताते हुए जिला जज डी यम कमिश्नर हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायमूर्ति एवं उच्चन्यायालय के चीपजस्टिस को पत्राचार ही नही वल्कि इन सब से समय लेकर मिला जावे।जहाँ चाह वहाँ राह निश्चित होती है।
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Kaushal Sharma मै आपसे सहमत हूँ। आप एक बैठक बुलायें। हम सब उपस्थित रहेंगे।
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Narendra Kumar Yadav सी, सी, कैमरों की जद में पेशकार और चपरासी नहीं आते हैं किसी पदाधिकारी की हैसियत भी नहीं है कि मां, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, अथवा प्रशासनिक न्यायाधीश से ये कह सके इनका काम माला डालके खुश करना और जिला प्रशासन जिला जज से,,,,,,,,,।
जो जमानतें ये करा लेते हैं वो साधारण अधिवक्ता नहीं कंचा सकता है।
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Dinesh Yadav हम भी सहभागी हैं निश्चित कोई मने ना मने जितने अधिवक्ता टिप्पणी कर रहे हैं सबके सब हम भी आप का अनुसरण करते हैं हम सब offender ऑफ़ 120 बी राधे राधे भईयाजी
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Ganga Prasad Yadav आपका नाम बताने के बाद हुआ क्या ? 
यूनुस अली के अच्छे आचरण के कारण भा•ज•पा ने उनकी पुनः नियुक्ति जारी रक्खी थी! 
क्या अब भा•ज•पा /संध की पाठशाला के पारंगत उस कसौटी पर खरे उतरते हैं?
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Kaushal Sharma भाजपा संघ के आचार्यों को सोचना है कि उनकी दीक्षा मे कहाॅ? कमी रह गई जिसके कारण उनका कार्य कर्ता भी सपा , बसपा के कार्य कर्ताओ की तरह पैसे लेकर अभियुक्तों को लाभ पहुँचाने के लिए सार्वजनिक हितों के साथ समझौता करने मे कतई शर्माता नही है ।
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Laxmi Kant Sharma फ्री आदेश की कॉपी मिलती है फिर भी हर अदालत मे पेसकार वसुली करते है
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दिनेश दुबे आ• शर्मा जी,
आपकी जायज पीडा को जिस सरलता से जिन शब्दों में व्यक्त कर रहा हूँ अतिश्योक्ति लगेगी पर यदि अपवाद छोड दें तो आज भारतीय समाज का यही कुरूप सच है कि व्यक्ति नकारात्मक बहुमुखी प्रतिभा का अगाध धनी हो गया है जितनी ज्यादा सैद्धांतिक बाते/ व्
यक्ति उतना ज्यादा आंतरिक क्रूर और भृष्ट और यह केवल शासकीय अधिवक्ताओं का ही नही समाज की किसी भी क्षेत्र की सेवा हो वह प्रत्यक्ष जितनी सुंदर और आर्दश व्यवस्था मे दिखती है आन्तरिक वह उतना ही क्रूर, कुटिल और भृष्ट है ।
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Janardan Dwivedi Nartation-Beyand compare.
Nartation-beyand की तुलना ।
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Ravindera Patni Pehlae kaha jata tha ki Ganga jab Gangotri sae nikalti hain tao dooshit nahi hoti neechae aaker loag dooshit ker datae hain per ab lambae raajnaitik aur samajik jeevan k anubhav k aadhaar per keh sakta hoon ki Ab Ganga ko Gangotri sae nikaltae hee dooshit ker diya jata
Hai dosh ab neechae ka
..........nahi
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Deepak Sootha Justice is facing worst kind of threat in its history. People have really lost faith in the system.If some honest members of bar or of bench can come forward to protect the falling structure of temple of justice it will be in larger benefit of all of us. Let us welcome any positive initiative in this direction.Otherwise the justice is bound to die in darkness.
न्याय अपने इतिहास में सबसे बुरी तरह से खतरा का सामना कर रहा है. लोग वास्तव में सिस्टम में विश्वास खो चुके हैं. यदि बार-बार या बेंच के कुछ ईमानदार सदस्य न्याय के मंदिर की रक्षा करने के लिए आगे आ सकते हैं तो हम सभी का बड़ा लाभ होगा. हमें इस दिशा में किसी भी सकारात्मक पहल में स्वागत है. अन्यथा न्याय अँधेरे में मरने के लिए बाध्य है ।
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3 घंटे
Ambuj Agarwal भारतीय समाज मे भ्रष्टाचार खेत मे ऊसर के समान हो गया है जैसे खेत ऊसर सुधारने में समय लगता है उसी तरह भ्रष्टाचार भी एक आजादी की लड़ाई होगी तभी भ्रष्टाचार से आज़ादी होगो
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