Saturday, 21 April 2018

रेप की घटनायें भी अब आत्मा नही झकझोरतीं


रेप की घटनायें भी अब आत्मा नहीं झकझोरतीं
रेप की घटनाओं को भी राजनैतिक चश्मे से देखने की बढ़ती प्रवृत्ति ने आम आदमी को अकेलेपन के शिकंजे मे जकड़ लिया है । अकेलेपन का यह अहसास गरीबी , बेकारी , अशिक्षा, बीमारी , अवांछित या अप्रिय होने के अहसास से ज्यादा घातक है। उन्नाव या कठुवा की घटनाओं का कई जिममेदार लोगों ने अप्रत्यक्ष समर्थन करके हमे डरा दिया है । यह सच है किविधायक कुलदीप सिंह निर्वाचित जन प्रतिनिधि हैं लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि वे समाज के आदर्श है । पीड़िता के पिता को थाने मे यातनायें देकर फर्जी मुकदमे मे उन्हीं की कॄपा और दबाव मे जेल भेजा गया है ।उन्नाव मे किसी की भी सरकार रही हो , कुलदीप सिंह की बादशाहत मे कभी कमी नहीं आई। इनके समर्थकों ने तत्कालीन एस पी रामलाल वर्मा पर जानलेवा हमला किया था , लेकिन उस हमले के लिए कोई दोषी नही पाया गया । गंगा पुल से अचलगंज के बीच बने हाई वे के निर्माण के दौरान वहाँ एन एच ए आई और राणा कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच विवाद हुआ था जिसके समाधान के लिए मै खुद इंडसइंड बैंक की तरफ से जिलाधिकारी की सहमति और जानकारी मे श्रमिकों का वेतन वितरित करने गया था , वहाँ इनके समर्थक जबरन घुस आये और बचे 47000 रूपये छीन कर ले गये और कई लाख रूपये की गिट्टी उठा ले गये लेकिन पुलिस ने हमारी रिपोर्ट नही लिखी । विधायक कुलदीप सिंह का चाल चरित्र और चेहरा भाजपा की चाल चरित्र और चेहरे से मेल नही खाता फिर भी मेरे कई भाजपायी मित्र अपराध की गम्भीरता को समझे बिना केवल राजनैतिक कारणों से कुलदीप सिंह को क्लीन चिट देते घूम रहे है जबकि उनके इस आचरण से " न गुण्डा राज न भ्रष्टाचार, अबकी बार भाजपा सरकार " का नारा जुमला बनता जा रहा है । अपने छात्र जीवन मे मै खुद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सक्रिय कार्य कर्ता रहा हूँ और उस समय के हमारे नेता बताया करते थे कि समाज के अन्तिम आदमी को अकेलेपन के अहसास से मुक्त रखकर समाज की मुख्य धारा मे बनाये रखना अपना सबसे बडा लक्ष्य है और इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए 1977 मे लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने देश वासियों से कहा था " डरो मत हम जिन्दा हैं " और देश वासियों ने उन पर विश्वास करके इन्दिरा गाँधी को धूल चटा दी थी । मित्रो समझो अपराधी अपराधी होता है , किसी दल या समाज का उद्धारक नहीं होता । किसी राजनैतिक दल या किसी धर्म संगठन द्वारा अपराधी को समर्थन देने से अपराध को बढावा मिलता है और उससे समाज मे भय और आतंक को प्रोत्साहन मिलता है ।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
टिप्पणी करें
टिप्पणियाँ
Rizwana Anjum Bahut hee sateek likha hai aapney, Apradh aur apradhiyon ka koyee religion ya party nahee hoti hai, humko aise logon ka samarthan nahee karna chahiye!
प्रबंधित करें
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें5 दिन
Sanjeev Saraswat बंधु आपके विचारों से शायद ही कोई सभ्य व्यक्ति असहमत हो, यह एक ऐसी घटना है जिसकी जितनी निंदा की जाये कम है और सजा जो दी जाये वो उससे भी कम है।इस कृत्य ने सभ्य समाज का अंदर तक झकझोर दिया और सोचने को मजबूर कर दिया है कि व्यक्ति के गलत कार्यो की सजा उसी स...और देखें
प्रबंधित करें
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें5 दिन
Imran Zardari अब तो स्याही भी नही सुख पाती है अख़बार की ,

इतने में एक और ख़बर आ जाती है बलात्कार की,,
प्रबंधित करें
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें5 दिन
Sandhya Mishra convkt ko ek bar clean chit dene ka mtlb hai usko dubara galti krne ka mauka dena . bjp ko n jane kya hua hai jo insani bhediyon ko part me smahit kr rahe hai .i feel shame on bjp
प्रबंधित करें
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें5 दिन

No comments:

Post a Comment