माननीय सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश कानपुर जेल मे अर्थहीन हो चुका है । विचाराधीन बन्दी अमित गुप्ता के पैर के नाखून जेल मे उखाड़ लिये गये परन्तु कोई कार्यवाही नही हुई , जाॅच के नाम पर शोषक अधीक्षक से आख्या मांगी गई है और उधर जेल के अन्दर अमित गुप्ता पर अमानवीय यातनाओं का कहर बढ गया है ।
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