Wednesday, 22 August 2018

नेहरू जी को गाली देना आसान, सबक सीखना मुश्किल


नेहरू को गाली देना आसान , सबक सीखना मुश्किल
आजकल देश की प्रत्येक समस्या के लिए नेहरूकाल को कोसने का अभियान जारी है। भाई लोग भूल जाते है कि सैकड़ों वर्षों की गुलामी के विरुद्ध सदियों के अनवरत संघर्ष के बाद आजादी मिली और नेहरू को आम देशवासियों के सपनों का भारत बनाने का अवसर मिला। उन्होंने अपनी नाकामियों के लिए कभी विदेशी शासन का रोना नही गाया बल्कि जो साधन उपलब्ध थे, उन्हीं साधनों के बल पर आधुनिक भारत का निर्माण किया। नेहरू ने आजादी के तत्काल बाद 1948 में भाखड़ा नागल बाँध की परियोजना शुरु कर दी थी। उन्होंने सत्ता संभालने के 3 वर्षो के अन्दर सार्वजनिक क्षेत्र में हिन्दुस्तान एयरोनाॅटिक्स लिमिटेड, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, खड़गपुर में आई.आई.टी., अहमदाबाद में आई.आई.एम., चण्डीगढ़ जैसा बेहतरीन शहर, पंजाब में कृषि विश्वविद्यालय और ओ.एन.जी.सी. जैसे कई आधारभूत परियोजनाओं की शुरुआत कर दी थी। सार्वजनिक क्षेत्र के इन प्रतिष्ठानों के बारे में वे कहा करते थे कि इन्हें मन्दिर कहें, गुरुद्वारा कहें या फिर मस्जिद, यह सब हमारी शासन व्यवस्था और आत्मसम्मान को हौसला देते है और आप सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को विनिवेश के नाम पर बन्द करने का अभियान चला रहे है। आर्डनेन्स फैक्ट्रियाँ और इण्डियन एयरलाइन्स उसका ताजा उदाहरण है। नेहरू ने निजी क्षेत्र के टाटा बिड़ला जैसे उद्योगपतियों की हौसला आफजाई करके कई उद्योगधन्धें लगवायेेें जिससे रोजगार के अवसर बढ़े और देश का आर्थिक विकास भी हुआ है। भइया आप लोगों के कार्यकाल का 4 वर्ष व्यतीत हो चुका हैऔर अब केवल 9 माह अवशेष है परन्तु आप आज भी गाय, गोबर, लव जिहाद, शमसान कब्रिस्तान, मन्दिर मस्जिद और पिछले शासन को कोसने में उलझे हो। भाई आपकी भी आत्मा जानती है कि इन सबसे ”सबका साथ सबका विकास“ नही होगा। नेहरू की तरह देश के पिछड़े हिस्सों में नई नई रोजगारपरक परियोजनाओं की शुरुआत करने और जमीनी स्तर पर प्राथमिक स्कूलों और सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने से गरीबी, बेकारी, अशिक्षा, बीमारी को देश से भगाया जा सकेगा।9 माह बचे है अब चुनावी मोड़ से बाहर आकर कुछ सार्थक शुरुआत करो अन्यथा आपके शासन और यू.पी.ए. के शासन में अन्तर ही क्या रह जायेगा ?

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