Tuesday, 17 October 2017

अपराधी हाइटेक, विवेचक बैलगाड़ी युग के



अपराधी हाई टेक, विवेचक बैलगाड़ी युग के 

आरुषि-हेमराज हत्याकांड पर उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद एक बार फिर उक्त कहावत चरितार्थ हुई है । अपने देश मे आज भी परिस्थिति जन्य साक्ष्य संकलित करने का कोई तंत्र विकसित नहीं हो सका है । घटना के तत्काल बाद कोई छेड़छाड़ किये बिना घटना स्थल का वीडियो बना लेना विवेचक की आदत मे नहीं है जबकि सभी जानते है कि घटना स्थल खुद मे बोलता है । आरूषि-हेमराज हत्या कांड मे भी पुलिस ने फोरेंसिक तरीकों का प्रयोग करके साक्ष्य संकलित नहीं की है इसलिये पुलिस की किसी कार्यवाही पर आम लोग विश्वास नहीं करते ।
हमारे कानपुर मे थाना शिवली के अन्दर भाजपा नेता और तत्कालीन राज्य मंत्री संतोष शुक्ल की हत्या हुई थी और उसमे भी नामजद अभियुक्त संदेह का लाभ पाकर दोषमुक्त हो गये थे जबकि थाने मे उप निरीक्षक स्तर का एक समात अधिकारी, दो मुन्शी, पहरे पर तैनात सिपाही हर क्षण थाने मे उपस्थित रहते है । इनमे से किसी ने अदालत मे गवाही नहीं दी। उत्तर प्रदेश पुलिस की यह सबसे बड़ी शर्मनाक असफ़लता थी ।थाने के अन्दर हुई हत्या मे विश्वसनीय साक्ष्य संकलित न कर पाने वाले विवेचको से आरूषि-हेमराज की हत्या मे विश्वसनीय साक्ष्य संकलित करने की अपेक्षा ही बेमानी थी ।
सत्यता यह है कि अंग्रेजो द्वारा विकसित की गई साक्ष्य संकलन की पूरी की पूरी प्रक्रिया सड चुकी है, उसमे सुधार नहीं हो सकता । अब हमे अपने अनुभवों के आधार पर वैज्ञानिक तरीकों से साक्ष्य संकलन की एक नई प्रक्रिया इजाद करनी होगी। मार पीट कर अपराध कबूलवाने का तरीका कभी विश्वसनीय नहीं रहा और अपने विवेचक आज भी इसी तरीके पर आश्रित है जबकि अपराधी हाई टेक हो चुका है ।
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Sanjay Kumar Singh भैया,
यदि ईमानदारी से परिस्थितिजन्य साक्ष्य संकलित होने लगे फिर लेन-देन की ठेकेदारी सफल कैसे होगी
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13 अक्टूबर को 07:40 पूर्वाह्न बजे
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Hirendra Shukla जब तक आदमी के अन्दर लालच और कभी न खत्म होने वाली इच्छा रहेगी तब तक न्यायपूर्वक जीवन यापन बहुत कठिन है कोई यह नही दावा कर सकता कि उसके जीवन में कोई अन्याय नही हुआ ये और बात है कि वो चन्गुल मे नहीं फंसा |
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13 अक्टूबर को 07:43 पूर्वाह्न बजे
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Chandra Shekhar Singh saains षाक्ष्य के आधार केवल विकशित देश मेँ है
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Satyavan Singh · Rajbeer Singh का मित्र
Gair jimmedarana jach prakriya dosihiyo ko vardan hai jav ki mratak ko nyay nahi milta
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Ramesh Srivastava Aapne vivechak ki neeyat evam us par padane. Wale dabav ke vishay me kuchh nahi kaha
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Dinesh Pathak दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण। माता-पिता को उन्होंने आरोपी बनाया, आज वे छूट गए। मतलब साफ है कि विवेचना में ईमानदारी तो नहीं ही बरती गई है। अगर ऐसा होता तो तय है कि आरोपी कोई भी होता तो उसे अदालत सजा सुनाने में कामयाब जरूर होती
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