पतियों पर फर्जी मुकदमें? इनकी कोई सीमा है क्या?
आम तौर पर पतियों के खिलाफ 498ए, 406 आई पी सी, 3/4 दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम, 125 दणड़ प्रक्रिया संहिता और घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत आपराधिक मुकदमें पंजीकृत कराये जाते है । विधि मे संशोधन हो जाने के कारण इन धाराओं मे पति और उसके माता-पिता , भाई बहनों की अब ततकाल गिरफ्तारी नहीं होती इसलिए प्रथम सूचना रिपोर्ट मे अब एक नई कहानी जोड़ने का प्रचलन तेजी से बढा है । लड़कियाँ अब अपने पति पर अप्राकृतिक यौन शोषण और जबरन गर्भ गिरवा देने का आरोप लगाने लगी है जिसके कारण विवेचक की परेशानी बढी है और भविष्य मे आपसी मेल मिलाप की सम्भावनाओं को भी गम्भीर धक्का लगा है ।
पिछले दिनो एक बहुत पढी लिखी लड़की ने अपने पति पर अन्य आरोपों के साथ अप्राकृतिक यौन समबन्ध का भी आरोप लगाया और उसके पिता खुद पुलिस अधिकारियों से समपर्क करके अपने दामाद की गिरफ्तारी के लिए प्रयासरत है जबकि सुहाग रात के पहले ही लड़का ( पति ) हैदराबाद चला गया था । उनके बीच कोई रिश्ता बना ही नहीं । पिछ्ले तीन वर्षो मे लड़का कानपुर नहीं आया और लड़की हैदराबाद नही गई । इस बीच लड़के के माता-पिता ने अपने बेटे की नाराजगी के बावजूद खुद पहल करके लड़की ( बहू ) को अपने घर पर रखा । लड़की कानपुर मे नौकरी करती थी और किसी भी दशा मे हैदराबाद जाने को तैयार नही थी । लड़की के पिता अपने समधी पर दबाव बना रहे थे कि वे अपना मकान उनकी बेटी के नाम करा दे । लड़के वाले कमोबेश राजी थे लेकिन वे मकान के बदले तलाक चाहते थे और लड़की के पिता तलाक की बात सुनते ही भड़क जाते थे । लड़की यदि पति के साथ न रहना चाहे , या पति अपनी पत्नी के साथ न रहना चाहे तो उस स्थिति मे तलाक के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी हो सकता है क्या? गुदा मैथुन या गर्भपात
का आरोप तो शर्तिया इसका विकल्प नहीं है । दाम्पत्य विवादो मे विधि की अपनी सीमायें है । दहेज़ उतपीड़न कानून को काफी सख्त करने और उसके दुरूपयोग से आजिज़ आकर अब उसे शिथिल करने से कोई राहत नहीं मिली है । परिवार टूट रहे है , कटुता बढ रही है , पारिवारिक न्यायालय मे मुकदमों की संख्या बढती जा रही है । इस सबको रोकने का कोई कारगर तंत्र विकसित किया जाना समय।की माँग है और इसकी शुरूआत हम अधिवक्ताओ को करनी होगी । हमे चाहिए कि अपने पास विधिक राय के लिए आने वाले दमपतियो को फर्जी कथनों पर मुक़दमा करने के लिए हर हाल मे हतोत्साहित करें । निश्चित मानिये अपना छोटा सा यह प्रयास आपस मे झगड़ रहे दमपतियो को अपने मतभेद आपस मे ही सुलझा लेने का वातावरण उपलबध करायेगा और समाज की सुख शान्तिके लिए उत्प्रेरक का काम करेगा ।
आम तौर पर पतियों के खिलाफ 498ए, 406 आई पी सी, 3/4 दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम, 125 दणड़ प्रक्रिया संहिता और घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत आपराधिक मुकदमें पंजीकृत कराये जाते है । विधि मे संशोधन हो जाने के कारण इन धाराओं मे पति और उसके माता-पिता , भाई बहनों की अब ततकाल गिरफ्तारी नहीं होती इसलिए प्रथम सूचना रिपोर्ट मे अब एक नई कहानी जोड़ने का प्रचलन तेजी से बढा है । लड़कियाँ अब अपने पति पर अप्राकृतिक यौन शोषण और जबरन गर्भ गिरवा देने का आरोप लगाने लगी है जिसके कारण विवेचक की परेशानी बढी है और भविष्य मे आपसी मेल मिलाप की सम्भावनाओं को भी गम्भीर धक्का लगा है ।
पिछले दिनो एक बहुत पढी लिखी लड़की ने अपने पति पर अन्य आरोपों के साथ अप्राकृतिक यौन समबन्ध का भी आरोप लगाया और उसके पिता खुद पुलिस अधिकारियों से समपर्क करके अपने दामाद की गिरफ्तारी के लिए प्रयासरत है जबकि सुहाग रात के पहले ही लड़का ( पति ) हैदराबाद चला गया था । उनके बीच कोई रिश्ता बना ही नहीं । पिछ्ले तीन वर्षो मे लड़का कानपुर नहीं आया और लड़की हैदराबाद नही गई । इस बीच लड़के के माता-पिता ने अपने बेटे की नाराजगी के बावजूद खुद पहल करके लड़की ( बहू ) को अपने घर पर रखा । लड़की कानपुर मे नौकरी करती थी और किसी भी दशा मे हैदराबाद जाने को तैयार नही थी । लड़की के पिता अपने समधी पर दबाव बना रहे थे कि वे अपना मकान उनकी बेटी के नाम करा दे । लड़के वाले कमोबेश राजी थे लेकिन वे मकान के बदले तलाक चाहते थे और लड़की के पिता तलाक की बात सुनते ही भड़क जाते थे । लड़की यदि पति के साथ न रहना चाहे , या पति अपनी पत्नी के साथ न रहना चाहे तो उस स्थिति मे तलाक के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी हो सकता है क्या? गुदा मैथुन या गर्भपात
का आरोप तो शर्तिया इसका विकल्प नहीं है । दाम्पत्य विवादो मे विधि की अपनी सीमायें है । दहेज़ उतपीड़न कानून को काफी सख्त करने और उसके दुरूपयोग से आजिज़ आकर अब उसे शिथिल करने से कोई राहत नहीं मिली है । परिवार टूट रहे है , कटुता बढ रही है , पारिवारिक न्यायालय मे मुकदमों की संख्या बढती जा रही है । इस सबको रोकने का कोई कारगर तंत्र विकसित किया जाना समय।की माँग है और इसकी शुरूआत हम अधिवक्ताओ को करनी होगी । हमे चाहिए कि अपने पास विधिक राय के लिए आने वाले दमपतियो को फर्जी कथनों पर मुक़दमा करने के लिए हर हाल मे हतोत्साहित करें । निश्चित मानिये अपना छोटा सा यह प्रयास आपस मे झगड़ रहे दमपतियो को अपने मतभेद आपस मे ही सुलझा लेने का वातावरण उपलबध करायेगा और समाज की सुख शान्तिके लिए उत्प्रेरक का काम करेगा ।
This is the best judgement which will help bring in gender equality
ReplyDeletedelhi men cell