मैं ड़ी ए वी कालेज कानपुर
आज बहुत खुश हूँ । हमारे आँगन के एक फूल ने देश के महामहिम राष्ट्रपति पद की शपथ लेकर सम्पूर्ण विश्व मे अपनी खूशबू बिखेर दी है । इसके पहले हमारे एक और फूल अटल बिहारी बाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद को शुशोभित करके हमे गौरवान्वित किया है । आज हमे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का भाषण याद आ रहा है जब उनहोंने हमारे छात्र संघ के उदघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुये कहा था कि आज मै भारत के भविष्य से बात करने रहा हूँ और भारत के लिए इससे बड़ा कोई दूसरा काम नहीं हो सकता । नेहरू जी ने भावी पीढी के निर्माण मे हमारी भूमिका को पहचान लिया था ।पहचानते भी क्यो नहीं ? हमने अपने एक विद्यार्थी एन के नायर के नेतृत्व मे छात्रावास मे हरिजन और सवर्णो की अलग-अलग मेस को बन्द कराके हरिजन छात्रों को सवर्णो के साथ बैठकर उनकी मेस मे खाना खाने का अधिकार दिलाया था । 1955 - 56 के दशक मे छुआ-छूत के खिलाफ हमने सम्पूर्ण देश को एक नई दिशा दी थी ।हम अपने विद्यार्थियो को सिखाते थे कि तुम कल के नहीं आज के नागरिक हो और समाज की हर गतिविधि मे तुम्हारी भूमिका है इसलिए हमारे विद्यार्थी सामाजिक मुद्दों पर संघर्ष करने से पीछे नहीं हटे । हमारा स्वर्णिम इतिहास है ।वर्तमान अब कुछ दुखी करता है लेकिन मै निराश नही हूँ । अपने बीच के एक सामान्य परिवार मे जन्मे श्री रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति के रूप मे देखकर हमारे विद्यार्थियो को अब एक नई उर्जा, नई प्रेरणा मिलेगी और वे सबके सब आपस मे मिलकर हमारा गौरव हमे वापस दिलायेंगे ।
आज बहुत खुश हूँ । हमारे आँगन के एक फूल ने देश के महामहिम राष्ट्रपति पद की शपथ लेकर सम्पूर्ण विश्व मे अपनी खूशबू बिखेर दी है । इसके पहले हमारे एक और फूल अटल बिहारी बाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद को शुशोभित करके हमे गौरवान्वित किया है । आज हमे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का भाषण याद आ रहा है जब उनहोंने हमारे छात्र संघ के उदघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुये कहा था कि आज मै भारत के भविष्य से बात करने रहा हूँ और भारत के लिए इससे बड़ा कोई दूसरा काम नहीं हो सकता । नेहरू जी ने भावी पीढी के निर्माण मे हमारी भूमिका को पहचान लिया था ।पहचानते भी क्यो नहीं ? हमने अपने एक विद्यार्थी एन के नायर के नेतृत्व मे छात्रावास मे हरिजन और सवर्णो की अलग-अलग मेस को बन्द कराके हरिजन छात्रों को सवर्णो के साथ बैठकर उनकी मेस मे खाना खाने का अधिकार दिलाया था । 1955 - 56 के दशक मे छुआ-छूत के खिलाफ हमने सम्पूर्ण देश को एक नई दिशा दी थी ।हम अपने विद्यार्थियो को सिखाते थे कि तुम कल के नहीं आज के नागरिक हो और समाज की हर गतिविधि मे तुम्हारी भूमिका है इसलिए हमारे विद्यार्थी सामाजिक मुद्दों पर संघर्ष करने से पीछे नहीं हटे । हमारा स्वर्णिम इतिहास है ।वर्तमान अब कुछ दुखी करता है लेकिन मै निराश नही हूँ । अपने बीच के एक सामान्य परिवार मे जन्मे श्री रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति के रूप मे देखकर हमारे विद्यार्थियो को अब एक नई उर्जा, नई प्रेरणा मिलेगी और वे सबके सब आपस मे मिलकर हमारा गौरव हमे वापस दिलायेंगे ।
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