Wednesday, 2 August 2017

दल बदल के लिए शीर्ष नेतृत्व खुद जिम्मेदार


दलबदल के लिए शीर्ष नेतृत्व खुद जिम्मेदार
विभिन्न राज्यो मे विपक्षी दल अपने विधायकों के दल बदल से पीड़ित है और इसके लिए सत्तारूढ़ दल को दोषी बताया जा रहा है जबकि सत्यता यह है कि इसके लिए सम्बन्धित दल का शीर्ष नेतृत्व खुद जिम्मेदार है । आज हर दल अपने निष्ठावान कार्यकर्ता और जिताऊ प्रत्याशी के बीच जिताऊ प्रत्याशी को वरीयता देता है इसलिए अब पन्ना लाल तांबे और मोती लाल देहलवी जैसे सामान्य पृष्ठ भूमि के कार्यकर्ताओ को कोई दल टिकट नही देता । किसी भी दल के विधायक या सांसद को नही मालुम कि वह भाजपा मे क्यो है ? सपा या बसपा मे क्यो नहीं? जीत की सम्भावनाओं को ध्यान मे रखकर दलबदल किया जाता है और शीर्ष नेतृत्व इसे बढावा देता है । एक बार मुलायम सिंह ने जनेशवर मिश्र की उपेक्षा करके किन्ही ईश दत्त यादव को राज्य सभा भेजा था । समाजवादी आन्दोलन के सूत्रधार रहे एन के नायर, रेवाशंकर त्रिवेदी, श्याम लाल गुप्त चतुर्भुज त्रिपाठी जैसे लोगों की तुलना मे जाति की राजनीति करने वालो को वरीयता दी जाती रही । बसपा ने भी शतीश चन्द मिश्र, बृजेश पाठक जैसों को वरीयता देने के लिए अपने कैडर की उपेक्षा की । वैचारिक रूप से सशक्त कार्य कर्ता आमतौर पर खुद्दार होता है और किसी का भी गुलाम नहीं होता । अपनी ही सरकार मे कोटा परमिट लेकर भ्रष्टाचार नहीं करता । अब सभी राजनेता साधन समपंन सूरजमुखियो को टिकट दिलाते है और ऐसे लोगों की कोई वैचारिक प्रतिबद्धता नहीं होती इसलिए दलबदल उनके लिए एक कारपोरेट से दूसरे कारपोरेट में नौकरी ज्वाइन करने के समान होता है ।वामपंथी दल इस बीमारी से मुक्त है उन्होंने अपने महासचिव को तीसरे टर्म के लिए राज्य सभा का चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी । उनके यहाँ आज भी बड़ा से बड़ा स्काई लैब टिकट नहीं पा सकता । भाजपा मे भी वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध कार्य कर्ताओ की उपेक्षा नहीं की जाती थी लेकिन केवल चुनाव जीतने के लिए पिछ्ले चुनावों मे उनके यहाँ भी बड़े पैमाने पर दलबदलुओ को वरीयता दी गई है ।
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Suresh Yadav बहुत मूलभूत और सही बात कही आपने। विचारधारा से जुड़े लोगों को नजरंदाज करके और विनेबिलिटी को आधार बनाकर उमीदवारों का चयन करना और चुनाव लड़वाना ही खरीद फरोख्त और दल बदल का मुख्य कारण है। विचारधारा से जुड़ा हुआ आदमी आसानी से दल बदल नहीं कर सकता चाहे उसे जो भी लालच दी जाय।
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कल 10:53 पूर्वाह्न बजे
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Ravindera Patni AB RAAJNEETEE MISSION NAHI PROFRSSION HAI BHAI YAE KYON BHOOL RAHAE HAIN ISSLIYAE ISMAE PARIVARVAAD BHEE BAHUT JYADA SAMAA GYA HAI
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कल 11:21 पूर्वाह्न बजे
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Suresh Yadav सही बात। राजनीति अब मिशन नहीं व्यवसाय हो गया है और यही काफी हद तक राजनीतिक पतन का कारण है।
एक ही परिवार के लोगों में भी राजनीतिक विचारधाराएं अलग अलग हो सकती और होती भी है। अगर राजनीति में आज विचारधारा की प्राथमिकता रहती तो परिवाद को बढ़ावा नहीं मिलता और एक ही परिवार लोग भी अपनी अपनी विचारधारा के अनुरूप ही राजनीतिक दलों से जुड़ते।
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कल 11:32 पूर्वाह्न बजे
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Sanjay Kumar Singh आप से ऐसे ही निष्पक्ष विचार का अपेक्षा होता है जहां किसी पक्ष व विपक्ष की बातें न करके आप निष्पक्ष लेख लिखें.... अतिसुन्दर बड़े भैया
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कल 12:48 अपराह्न बजे
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Suresh Yadav ऐसे निष्पक्ष विचार रखने वाले लोग बुद्धजीवी कहलाते हैं। और बुद्धजीवी लोगों की आजकल क्या दुर्दशा है यह किसी से छुपा नहीं है। इनको चुप कराने के लिए आजकल पेड ट्रोल्स नियुक्त किये जाते हैं।
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कल 01:07 अपराह्न बजे
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Sanjay Kumar Singh हद हो गयी
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कल 01:10 अपराह्न बजे
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Sandhya Mishra blkul sahi kah rahe hai Patni ji
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कल 01:45 अपराह्न बजे
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Narendra Kumar Yadav तकरीबन हर दल में कमोबेश यही स्थिति है।स्वाभिमानी राजनैतिज्ञो काम आभाव नजर आने लगा है वोट और जिताऊ की गणित हर दल लगाता है।
कैडर पूरी तरह से उपेक्षित है 
समाजवादी कैडर को बंशवाद खां गया नयी लाट आ नही रही कांग्रेस ने दल-बदल को सदैव अनैतिक तरह से महिमा मंड
ित किया आज यही स्थिति बी जे पी की है कैडर पर दल बदल भारी पडा कल तक जो भा ज पा को गाली देते थे संघ के धुर आलोचक थे आज भगवामे लिपटे नजर आ रहे है लूट के सिधांत पर राजनिति शुरू की लूटने की गणित यहां भी लगा रहे है कैडर ठगा सा अपने आप को असहांय महशूश कर रहा है।

बी जे पी की भी है
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कल 01:44 अपराह्न बजे
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Surya Kant Misra · 9 आपसी मित्र
निर्भीक एवं निष्पक्ष विचार जिसकी वर्तमान में महती आवश्यकता है ।
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कल 02:23 अपराह्न बजे
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