विपक्षी दलों मे सेंधमारी पुरानी बीमारी है
आधुनिक राजनीति के युग प्रवर्तक भजन लाल जी ने वर्ष 1980 मे जनता पार्टी की पूरी सरकार को इन्दिरा गाँधी के चरणों मे समर्पित कर दिया था, ठीक उसी तरह सुशाशन बाबू नीतीश भाई ने बिहारियो के मोदी विरोधी जनादेश को नरेन्द्र मोदी के चरणों मे समर्पित करके बिना चुनाव लड़े भारतीय जनता पार्टी को बिहार मे सरकार बनाने का अवसर दिया है । संसदीय लोकतंत्र कानून से ज्यादा शुचिता, पारदर्शिता, और नैतिकता से फलता-फूलता है। याद करे कशमीर मे फारूक अब्दुल्ला और आंध्र प्रदेश में रामाराव की सरकार को निरलजजता पूर्वक कांग्रेस ने अपदस्थ किया था । रामाराव ने तब के राष्ट्रपति के सामने अपने विधायकों की परेड़ कराई और विधानसभा की जगह राष्ट्रपति भवन मे अपना बहुमत सिद्ध किया । नरसिंह राव के जमाने मे भी कल्याण सिंह की सरकार को अपदस्थ करके जगदमबिका पाल को मुख्य मंत्री बना दिया गया था ।
कांग्रेस संसद मे अपने बहुमत के बल पर राज्यो मे विपक्षी दलों की सरकारों को अस्थिर करके अपने आपको देश के लिए अपरिहार्य बताती रही है । आज उनकी पार्टी अपनी ही बुराइयों या कहें बेशर्म परम्पराओ को झेलने के लिए अभिशप्त है इसलिए भारतीय जनता पार्टी को समझना चाहिए कि सेंधमारी से विपक्षी दलों पर तात्कालिक बढत तो बनाई जा सकती है लेकिन सेंधमारी से संसदीय लोकतंत्र के प्रति आम जनता का विश्वास कम होता है , बढता नही।आपके पास अपार बहुमत है । आप कुछ ऐसी परमपरायें ड़ालिये जिन पर आने वाली पीढी गर्व कर सके। सेंधमारी से योगी महाराज और उनके मंत्री विधानमंडल के सदस्य तो बन जाँयेगे लेकिन यदि वे चुनाव जीतकर सदन के सदस्य बनते , तो श्रेयसकर होता । चुनाव न लड़ने से लगता है कि उन्हे हार जाने का खतरा महसूस हो रहा है । विपक्षी दलो को येन केन प्रकारेण अपमानित करना , कमजोर करना कांग्रेस की परम्परा है और इससे लोकतंत्र कमजोर होता है ।
अहमद पटेल को हराने के लिए जारी अभियान को देखकर याद आता है , कि 70 के दशक मे विधायकों मे तोड़ फोड़ कराके राजनारायण को राज्य सभा का चुनाव हरवा दिया गया था लेकिन चुनाव हारने से राजनारायण की राजनैतिक हैसियत कम नहीं हुई बल्कि वे ही कांग्रेसी साम्राज्य के पतन का कारण बने । अहमद हार जाँयेगे तो कहेंगे, उन्हे मोदी ने हराया , और यदि वे जीत गये तो कहेंगे कि उनहोंने मोदी को हराया है ।
कांग्रेस संसद मे अपने बहुमत के बल पर राज्यो मे विपक्षी दलों की सरकारों को अस्थिर करके अपने आपको देश के लिए अपरिहार्य बताती रही है । आज उनकी पार्टी अपनी ही बुराइयों या कहें बेशर्म परम्पराओ को झेलने के लिए अभिशप्त है इसलिए भारतीय जनता पार्टी को समझना चाहिए कि सेंधमारी से विपक्षी दलों पर तात्कालिक बढत तो बनाई जा सकती है लेकिन सेंधमारी से संसदीय लोकतंत्र के प्रति आम जनता का विश्वास कम होता है , बढता नही।आपके पास अपार बहुमत है । आप कुछ ऐसी परमपरायें ड़ालिये जिन पर आने वाली पीढी गर्व कर सके। सेंधमारी से योगी महाराज और उनके मंत्री विधानमंडल के सदस्य तो बन जाँयेगे लेकिन यदि वे चुनाव जीतकर सदन के सदस्य बनते , तो श्रेयसकर होता । चुनाव न लड़ने से लगता है कि उन्हे हार जाने का खतरा महसूस हो रहा है । विपक्षी दलो को येन केन प्रकारेण अपमानित करना , कमजोर करना कांग्रेस की परम्परा है और इससे लोकतंत्र कमजोर होता है ।
अहमद पटेल को हराने के लिए जारी अभियान को देखकर याद आता है , कि 70 के दशक मे विधायकों मे तोड़ फोड़ कराके राजनारायण को राज्य सभा का चुनाव हरवा दिया गया था लेकिन चुनाव हारने से राजनारायण की राजनैतिक हैसियत कम नहीं हुई बल्कि वे ही कांग्रेसी साम्राज्य के पतन का कारण बने । अहमद हार जाँयेगे तो कहेंगे, उन्हे मोदी ने हराया , और यदि वे जीत गये तो कहेंगे कि उनहोंने मोदी को हराया है ।
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