Friday, 25 August 2017

वामपंथियों के सम्बन्ध में राय बदलो


,बामपंथियो के सम्बन्ध में राय बदलो 
किसी की भी आलोचना करना आसान है । गलतफहमी दूर कर लो ।वामपंथी तो हिंदू कोड बिल के उस समय भी पूर्ण समर्थक थे जब हम मे से बहुत से लोग उसकी होली जला रहे थे और वे तीन तलाक व बहुपत्नी विवाह के उस समय से विरोधी हैं जब उसके वर्तमान समर्थकों का जन्म भी नहीं हुआ था ।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
टिप्पणी करें
2 टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
Prakash Sharma डूबते हुए जहाज में आप बैठना चाहो बैठो जिस विचारधारा की दूकान उनके उत्पत्ति स्थानों मे ही बंद होती जा रही है उस कालबाह्य विचारधारा को ढोने का आग्रह अप छोटी मोटी बातो को बता कर क्यों करना चाहते हैं ......ये भी तो बताइए की इन्होने अखंड भारत का विरोध और बटवारे का समर्थन किया था ...नेता जी को तोजो का कुत्ता कहा था ....चीन से युद्ध में उसके पक्ष में थे और क्षमा कीजियेगा जिस एमरजेंसी का प्रोडक्ट अपने को बताते आप नही थकते ....जिसकी जेल यात्रा और जिस के नेताओ के सानिध्य का दंभ आपके विचारो में दीखता है उस इमरजेंसी का भी समर्थन इन्होने ही किया था आदरणीय कौशल जी फ्यूज बल्ब जलाना बंद कीजिये नयी हवा को पहचानिए
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
3
23 अगस्त को 09:39 पूर्वाह्न बजे
प्रबंधित करें
Kaushal Sharma आदरणीय प्रकाश जी
मै किसी भी साम्यवादी दल का सदस्य नहीं हूँ । आप माने या माने लेकिन सदस्य मै आपके ही दल का हूँ । आज की मेरी टिप्पणी का आशय केवल इतना है कि युवा पीढी को मालुम हो जाये कि अपने ही देश मे विरोध स्वरूप हिन्दू कोड़ बिल की प्रतियाँ जलाई गई थी और
 उस समय केवल वामपंथियो ने हिन्दू कोड़ बिल का समर्थन किया था और मुस्लिम धर्म की कुरीतियों का भी वे विरोध करते रहे हैं । यह सच है कि 1974 मे पटना की रैली मे उन्होंने " निक्सन को कर दो तार , जयप्रकाश की हो गईं हार " का नारा लगाया था लेकिन यह भी मानना पड़ेगा कि उन लोगों के कारण ही कार्य दिवस 8 घंटे का हो पाया था । आम मजदूरों को बहुत सी सुविधाएं उनके संघर्षों का प्रतिफल है । धार्मिक विश्वासों को आधार बनाकर हम सब अपनी एक बड़ी आबादी को उनके मानवाधिकारो से वंचित किये हुये है , उसका वे शुरूआत से विरोध करते रहे हैं । प्रकाश जी दुनिया मे जब भी कोई अपनी भूख और बेरोजगारी का कारण जानने की कोशिश करता है या करेगा तो पूँजीपतियों की दुनिया उसे वामपंथी या देशद्रोही बताने लगती है । आप मानों न मानों लेकिन कड़वा सच है , जबसे वामपंथी कमजोर हुये है , तबसे श्रमिकों की मूलभूत सुविधाओं मे कटौती बढी है । आज निजी क्षेत्र मे दस घंटे का कार्य दिवस आम बात हो गईं है , नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं रह गई है । सब कुछ ठेकेदारों के नियंत्रण मे है । प्रकाश जी मजदूर वामपंथियो के कमजोर हो जाने कारण पूँजीपतियों की दया पर निर्भर है । कभी मजदूरों की दशा पर भी विचार कीजिए, आपको खुद अच्छा लगेगा ।
प्रबंधित करें
Suresh Yadav इसमें कोई शक नहीं किे अपने देश में अतीत में बामपंथी नेतृत्व से बहुत सारी गलतियां हुई है। वरना भारत जैसे देश में जहां आज भी बहुतायत लोग जीवन की मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्षरत हैं बामपंथ कमजोर नहीं हो सकता था। लेकिन नेतृत्व की खामियो/कमियोंं के कारण बामपंथी विचारधारा के महत्व को कमतर करके नहीं आंका जा सकता। सरकार चाहें किसी की भी हो उसमें बामपंथी विचारधारा का समावेश हमेशा रहा है और भविष्य में भी रहेगा।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
1
23 अगस्त को 12:33 अपराह्न बजे
प्रबंधित करें
Pramod Tewari Gitkaar कब्रस्तान से बाहर निकलो । किसने क्या किया। कौन अब क्या कर रहा है इस पर नज़र होनी चाइये। शर्मा जी एकल विचार वाले हैं और कौसल samjvadion व कांग्रेस के संग
भी रहे..ये बहुरंगी हो गए हैं। यानी हिंदुस्तानी विचार धारा..न हिन्दू विचारधारा
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें23 अगस्त को 01:29 अपराह्न बजे
प्रबंधित करें
Somdutt Bajpai कौशल जी जो बोल रहे हैं उसको वयक्तिगत नही लेना चाहिए जो अपने इतिहास को नही पढ़ता है उसमें हुई गलती को धयान नही देता वो केवल हर बात का विरोध करता है कौशल जी की बात का हर समय विरोध नही करना चाहिए उनको कोई राजनीति नही करनी है
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
1
23 अगस्त को 02:05 अपराह्न बजे
प्रबंधित करें
Suresh Yadav प्रमोद तिवारी जी, आपने जो बात कही है उसकी झलक लोगों की टिप्पणियों में साफ साफ दिखाई भी देती है कि कौन एकल विचारधारा में जकड़ा हुआ है और कौन बहुमुखी है।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
1
23 अगस्त को 02:10 अपराह्न बजे
प्रबंधित करें
Prakash Sharma Pramod Tewari Gitkaarजी कब्र में तो आप ही होंगे हम बहुरंगी है न हमारा तो एक ही रंग है शास्वत सनातनी जो था है और रहेगा आप हमारे पुरखे तो गंगा तीरे जलाए गए हम भी दाह संस्कार के संकल्पी है आप को कब्रिस्तान की काफी चिंता है आप कर दीजिए घोषणा कब्रिस्तान में भेजे जाने की
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें23 अगस्त को 06:24 अपराह्न बजे
प्रबंधित करें
Pramod Tewari Gitkaar तुम्हरा क्या रंग है मुझे भलीभांति पता हूं..मैँ कब्र में हूँ अगर यह तुम्हरी दृस्टि है तो अब तक मैं भ्रम में था कि आप से बात की जा सकती है। आप की बात में बदतमीजी है..मैँ भी बहुत तमीज़दार नहीं हूं ..यह संवाद यहीं समाप्त ही जाए तो बेहतर..
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
2
23 अगस्त को 07:52 अपराह्न बजे
प्रबंधित करें
Prakash Sharma मेरे रंग के की परवाह आप न कीजिये और कब्रिस्तान में भेजने की शुरुवात आपकी थी मैन मैने प्रत्युत्तर दिया है जिस दृस्टि1से देखेंगे वही दृष्टि वापस मिलेगी आप मुझे कब्रिस्तान दिखाएंगे और मुझसे अपेक्षा रखेंगे मैं आपको स्वर्ग में बैठाउँ और धमकियों वाला अंदाज छोड़ दीजिए श्रीमन रही सम्वाद की बात आप नही करना चाहते न कीजिये मैं आपकी वाल पर कुछ लिखने नही आया था, आपसे संवादकरने का बहुत इक्षुक मैं न तब था जब बहुत लोग आगे पीछे घूमते थे और न आज हु आप संवाद करना चाहे ठीक न करना चाहे बहुत ठीक बहुत बहुत धन्यवद
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब देंकल 12:51 पूर्वाह्न बजेसंपादित
प्रबंधित करें
Pramod Tewari Gitkaar आपकी वाल पर आने की धृष्टता की क्षमा। धन्यवाद।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब देंकल 01:46 पूर्वाह्न बजे
प्रबंधित करें
Prakash Sharma Pramod Tewari Gitkaar प्रणाम आपकी भाषा में मै बदतमीज हु लेकिन इतना भी नही की आप क्षमा आदि शब्दों का प्रयोग करे और मैं स्वीकार करु आप महान पत्रकार चोटी के गीतकार मुझसे आयु में अधिक आपके चरणों में नत हो कर मै क्षमा प्रार्थना करता हु छोटा हु लेकिन इतनी अपेक्षा करता हु की थोड़े से मेरे स्वाभिमान की भी रक्षा कीजिये पुनः क्षमा प्रार्थी
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
1
कल 07:26 पूर्वाह्न बजेसंपादित
प्रबंधित करें
Kaushal Sharma इस अध्याय को अब यहीं समाप्त करने की कृपा करे ।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
1
कल 07:19 पूर्वाह्न बजे
प्रबंधित करें
Prakash Sharma Kaushal Sharma जी क्या संवाद बन्द कर देना समाधान है मेरी नजर से सम्वाद कभी बन्द नही करना चाहिए है वरिष्ठ जनों के सम्मान का स्मरण और कनिष्क जनों के हृदय को आघात न पहुचे इसका ध्यान रखा जाय आप साधिकार कुछ भी कह सकते है कभी भी कह सकते हैं
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
1
कल 04:55 अपराह्न बजेसंपादित
प्रबंधित करें
Kaushal Sharma भाई मैने संवाद बन्द करने के लिए नहीं, केवल वर्तमान प्रकरण पर टिप्पणियाँ बन्द करने का निवेदन किया है । आपसी संवाद और तकरार तो जीवन है जो अनवरत् चलता ही रहेगा ।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
1
कल 07:35 पूर्वाह्न बजे
प्रबंधित करें
Pramod Tewari Gitkaar Prakash shrma : मेरा आशय कब्रस्तान से था।कि जो बीत गया उसे छोड़ो वर्तमान मुद्दे और भविष्य के।लिए सोचो। कौशल जी और तुम वार्ता कर रहे थे में समझा मैं बीच में बोल सकता हूँ। क्योंकि आप दोनों ने हमेशा मुझे प्यार स्नेह और सम्मान दिया मैन वश भर सहयोग किया। मुझे लगा इतना अधिकार मैँ कमा चुका हूं। पर तुम यह समझे कि मैंने तुमहें या तुम लोंगों को कब्रस्तान में हो यह कहा ..यह बात को अतिरेक में न समझ पाना है। पूरा जीवन काट दिया प्रकाश ..वैसे ही फेस टू फेस कम बुराइयां नही, इसके लिए फेस बुक की क्या ज़रूरत। आनंद लो।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
1
कल 11:00 पूर्वाह्न बजेसंपादित
प्रबंधित करें
Prakash Sharma Pramod Tewari Gitkaarजी आपके सम्मान में न पहले कभी न्यूनता थी न कभी आगे होगी मुझे मेरे परिवार,संगठन और गुरुजनों ने ऐसे संस्कार दिए ही नही सम्भवतः आपके लिखे को समझने में भूल हुई हो इसके लिए आपको क्षमा आदि शब्दो का प्रयोग करने की आवश्यकता नही है मैं भूल सुधार करुंगा
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
2
कल 04:54 अपराह्न बजे
प्रबंधित करें
Pramod Tewari Gitkaar खुश रहिये। कोई भूल नहीं।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें
1
20 घंटे
प्रबंधित करें
Ajai Bhadauria वामपंथ माने अघोरपंथ ऊपर से सबसे बुद्धिमान होने का दम्भ, कितने वर्ष चल पाया वामपंथ। कानपूर का औधोगिक स्वरुप चौपट कर दिया श्रमिकों को दिवास्वप्न दिखाकर और मिलों की बंदी से सर्वाधिक प्रभावित कौन है। जिस तरह से प्रतिमाह पूंजीपतियों से पैसे लेकर कानपूर की औधोगिक प्रगति को बाधित किया गया वह किसी से छुपा नहीं है। वामपंथ वो विचारधारा है जो देश से ऊपर है। और हमेशा अपनी विचारधारा को समर्थन देता है इनके लिए देश भी नगण्य है।
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें23 अगस्त को 08:21 अपराह्न बजे
प्रबंधित करें
Chandra Shekhar Singh एेसे चालू नेता को आग की भतथिए मे झूएँक देना चाहिए जो मिल को बंद कारवाने की शाजिश करते हो
प्रबंधित करें

No comments:

Post a Comment