कल उन्नाव में एक लाख रूपये का मुचलका भरकर आपने ब्यवस्था विरोधी समाजवादियों की " एक पाँव सड़क पर , एक पाँव जेल मे " की परम्परागत रीति नीति और उनके जुझारूपन का अपमान किया है ।आप अपने आपको लोहिया का अनुयायी बताते हो , वे तो नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष का पर्याय माने जाते थे । उनहोंने तो कभी मुचलका नहीं भरा ।
आपने शायद नागरिक अधिकारों पर सरकारी हस्तक्षेप के विरोध मे कानपुर मे लोहिया जी की गिरफ्तारी के बारे मेपढा ही नही , अखिलेश भाई लोहिया जी ने मुचलका नहीं भरा, जेल गये, अदालत मे नागरिक अधिकारों के संवैधानिक प्रावधानों पर लम्बी बहस हुई और अदालत ने काफी सोच विचार करके उन पर एक रूपये का जुर्माना लगाया जिसे उनहोंने अदा नहीं किया । अदालत भी जानती थी कि वे जुर्माना अदा नहीं करेंगे और इसीलिये एक रूपये का जुर्माना कियागया क्योकि एक रूपये की वसूली अदालत नहीं करा सकती । कल आपको यू पी पुलिस ने रास्ते मे रोककर आपके संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है , आपको समाजवादियों की परम्परा के तहत उसका प्रतिकार करके जेल जाना चाहिए था और हाई कोर्ट से अपनी गिरफ्तारी को अवैध घोषित कराना चाहिए था ।
आप बात राजनारायण जी की भी करते है , पता है केंद्रीय मंत्री होते हुये भी उनहोंने शिमला मे सभा करने पर अपनी ही पार्टी की सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबन्ध के विरोध मे आयोजित प्रदर्शन का खुद नेतृत्व किया था । सैकड़ों किस्से है जिनमे समाजवादियों ने मुचलके भरने की जगह जेल जाने का विकल्प चुना है और आप तो मुख्य मंत्री रह चुके हो , आपने मुचलका भरकर समाजवादी परम्परा का अपमान किया है ।अखिलेश भाई समझो मुख्य मंत्री बहुत लोग हुये हैं , अब लोग उनके नाम भी नहीं जानते , लेकिन लोहिया को लोग आज भी नहीं भूले । अगर राजनीति में स्थायित्व चाहते हो तो केवल लोहिया का नाम मत लो , उन्हे पढो , उनके संघर्षों से कुछ सीखो नहीं तो अजीत सिंह बनने मे देर नहीं लगेंगी ।
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