Saturday, 26 August 2017

गनीमत है, न्यायपालिका धर्म से प्रभावित नही होती


गनीमत है,न्यायपालिका धर्म से प्रभावित नहीं होती
कहा जाता है, धर्म और राजनीति एक सिक्के के दो पहलू है । धर्म दीर्घ कालीन राजनीति है और राजनीति अल्प कालीन धर्म । हम भारतीय इस अवधारणा को सच्चे मन से स्वीकार करते है परन्तु कथावाचकों के रूप मे पेशेवर साधु सन्त हमारी संस्कृति और आस्था का मजाक बना रहे हैं ।हिंसा, अराजकता, हत्या, बालातकार जैसे अपराधों को इन कथावाचकों ने अपनी संस्कृति बना लिया है । धार्मिक भावनायें भड़काकर वोट बटोरने वाले राजनेता नतमस्तक होकर इन पेशेवर साधु सन्तों का महिमामंडन करते है । भाजपा सांसद फर्जी साधु साक्षी महाराज ने दोष सिद्ध अपराधी को निर्दोष बताकर न्याय पालिका का अपमान किया है और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी निन्दा न करके अपरोक्ष रूप से उनकी अशोभनीय टिप्पणी का समर्थन किया है ।
गनीमत है अजादी की लड़ाई से उपजा नेतृत्व समझदार था , दूरदर्शी था , उसने संविधान को सर्वोपरि माना और उसके कारण हमारी न्याय पालिका किसी धर्म के मानक से नही, संविधान के मानकों से प्रभावित होती है । आजकल संविधान बदलने की बातें भी सुनाई जाने लगी है । साक्षी महाराज जैसे साधु सन्त संसद मे अपने बहुमत के बल पर आशा राम बापू, रामपाल और राम रहीम को कानून से बाहर रखने का कानून बना सकते थे लेकिन लगता है कि हमारे संविधान निर्माताओ को इस तरह के घटिया नेताओं के प्रभावी होने का अहसास था , इसलिए उन्होंने संसद द्वारा बनाये गये कानूनों को असंवैधानिक घोषित करने का अधिकार न्याय पालिका को दे रखा है ।
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9 टिप्पणियाँ
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Nadeem Rauf Khan Hindustan bachao abhiyan chalao
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कल 09:26 पूर्वाह्न बजे
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Prakash Sharma क्या इस विषय मे न्याय पालिका के अड़ियल विषय पर भी कुछ मार्गदर्शन करेंगे मान्यवर माना सरकार वोट के लालच में अंधी हो गयी थी लेकिन क्षण क्षण पर तिथियां बढ़ाने वाली न्यायपालिका क्या ये देख कर की स्थिति बिगड़ गयी है निर्णय की तिथि को बढ़ा कर हालात सामान्य करने स्थिति में सहायक नही हो सकता था लेकिन वो तो लगा था dgp को बर्खास्त और सरकार को धूलधूसरित करने में। मैं ऐसी परिस्थिति में तिथियों को आगे बढाने के कई उदाहरण दे सकताहु
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कल 09:28 पूर्वाह्न बजे
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Narendra Kumar Yadav साक्षी पंर भी आरोप है।
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कल 10:24 पूर्वाह्न बजेसंपादित
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Kaushal Sharma आदरणीय प्रकाश जी 
आज आपने एक गम्भीर समस्या को रेखांकित किया है । वर्षो से लम्बित मुकदमों मे सुनवाई हुये बिना अगली तारीख मिल जाने से आम वादकारी पीड़ित है । कड़ुवा सच है कि पीठासीन अधिकारी केवल रूटीन काम निपटाता है । पुराने मुकदमों मे तारीख बढा देना उसकी आ
...और देखें
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कल 10:53 पूर्वाह्न बजेसंपादित
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Brajesh Nandan Pandey सत्य बचन
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16 घंटे
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Jai Shankar Bajpai कुछ तथाकथित ठेकेदार माननीय न्यायालय के फैसले पर टीका टिप्पणी कर संदिग्ध बनाने का कुत्सित प्रयास कर ऐसे बाबाओं का बचाव कर रहे हैं जिन पर अपराध साबित हो चुके हैं ।जनता को ऐसे लोगों से सजग रहना चाहिए।
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कल 11:09 पूर्वाह्न बजे
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Prakash Sharma शांति व्यवस्था कायम करने में सबका सामंजस्य नही होना चाहिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सब स्वतंत्र स्वावलम्बी होते हुए भी एक दूसरे से बंधे है अनेको उदाहरण है जब प्रशासन सरकार और न्यायालय मिल कर कदम तय करते है Jai Shankar Bajpai जी न्यायालय गलतियों की टिप्पणी से परे नही है मैंने बाबा का बचाव नही किया अपनी आंखों के सामने 20 रुपए तारीख,उस पैसे की चाय गटकने वाला न्यायालय क्या किसी कारण वश इस विषम परिस्थिति को टाल नही सकता था मैंने न्यायलय के निर्णय पर कोई प्रश्न नही उठाया आपमे साहस हो तो एक बार आवाज उठाइये की इमाम बुखारी के खिलाफ जारी वारंट को न्यायालय सेना लगा कर execute करे
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23 घंटे
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Kaushal Sharma भाई हर मुद्दे को हिन्दू मुस्लिम नजरिये से मत देखो ।कभी कभार विशुद्ध भारतीय या केवल मानव बनकर भी विचार किया करिये ।
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Jai Shankar Bajpai मान्यवर प्रकाश शर्मा जी मैंने टिप्पणी आपके कथन के परिपेक्ष में नही की थी पूर्वोक्त की गयी टिप्पणी स्वयं भू ठेकेदारों के प्रति की थी ऐसा प्रतीत होता है आप पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं।रही बात हिम्मत की तो दूसरों की हिम्मत देखने के बजाय खुद हिम्मत दिखाइए
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20 घंटे
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Prakash Sharma Jai Shankar Bajpaiji जिस सन्दर्भ में बात हो रही हैं मुझे न्यायालयी शक्ति दीजिये मैं जरूर prakat करुंगा बाकी अपने विषयक जहाँ जरूरी है प्रकट करता रहता हूं
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जवाब दें20 घंटे
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Jai Shankar Bajpai Prakash Sharma ji
आपको अवगत हो कि न्यायालय द्वारा चार दिन पहले ही सरकार को लां & आर्डर मेनटेन करने के निर्देश दिए गए थे। जिसमें सरकार प्रशासन व तंत्र नियंत्रण करने में बिफल रहा है।
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जवाब दें20 घंटे
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Jai Shankar Bajpai श्री prakash Sharma ji .
आवेश में आकर किसी पर टिप्पणी करना उचित नहीं है Shri koushal Dharmanji Ki टिप्पणी पर की गई मेरी टिप्पणी को पुनः पढ़ें मैंने आपकी किसी बात पर टिप्पणी नही की मेरी टिप्पणी का सन्दर्भ साक्षी महाराज जैसे बयानों से जनता को आगाह किया जाना था । आवेश में आपने पढ़ाहिम्मत दिखाने की बात कही क्या आपने मुझे न्यायलयीन शक्ति दी हैं ? आशा है कि आप अपनी बात प्रकट करते रहेंगे । व मुझसे सहमत होंगें।
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जवाब दें19 घंटे
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Prakash Sharma Kaushal Sharmaजी जब प्रशासनिक न्यायालयी विधायी व चतुर्थ स्तंभी निर्णयों निष्कर्षो में समानता नही होगी तो स्वाभाविक ये विचार विकसित होगा ही क्यों नही होगा हिन्दू मुसलमान मुस्लिम तुस्टीकरण अच्छा जातीय/पंथीय तुस्टीकरण खराब मुसलमान के नाम पर राजनीति अच्छी हिन्दू के नाम पर पाप
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जवाब दें19 घंटेसंपादित
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Kaushal Sharma राजनीति हिन्दू के नाम पर हो या मुस्लिम के नाम पर , घातक होती है । हर समस्या को हिन्दू मुस्लिम नजरिये से देखना देशहित मे नहीं है । आप कुछ भी कहे, या मानें, मेरा दृष्टिकोण यही है ।
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जवाब दें16 घंटे
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Sanjay Shukla ऐसे जज साहब को सलाम करना जाहिये जिन्होने किसी भी दबाव और लालच के बिना एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया साथ ही उन पीडित बहनो और जाँच करने वाले सी बी आई कै उपाधीक्षक व उनकी टीम को भी सलाम है ।बाबा राम रहीम के प्रभाव मे हरियाणा की सरकार नत मम्तक बनी हुयी धी ।बलात्कारी बाबा को दोषी देने जैसे फैसलो से न्याय पालिका की इज्जत मे इजाफा हुआ है साथ ही यह भी संदेश गया है कि आम आदमी को भी देश मे न्याय मिल सकता है ।
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22 घंटे
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Nareshhs Sharma बिलकुल ठीक कहा है शुक्ल जी ,न्याय पालिका के सहारे ही देश अब तक टिका है अन्यथा नेता तो वोट के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं
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Prem Kumar Tripathi कौशल जी आपको देश हित मे राजनीति से ऊपर उठकर सही आकलन करने के लिये बधाई ।
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18 घंटे
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Prakash Mishra Kaliyug to yuhi hoga poora
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3 घंटे
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