Saturday, 12 August 2017

जाँच जाँच जाँच होता कुछ नहीं


गोरखपुर में आक्सीजन की कमी के कारण बच्चो की मौत की जिम्मेदारी चिन्हित करने के लिए जाँच बैठा दी गई है । हमारे कानपुर के हैलट अस्पताल मे कई साल पहले नकली ग्लूकोज के कारण 22 बच्चो की मौत हुई थी । उसमे भी जाँच बैठाई गई थी लेकिन क्या हुआ? किसी को कुछ नही मालुम । अब तो लोग उसकी चर्चा भी नहीं करते ।
11 टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
Suresh Yadav जाँच बैठाने का मतलब समस्या से ध्यान हटाने का एक सिद्धहस्त हथकंडा और त्वरित कार्रवाई को टालने का एक समयसिद्ध बहाना। इन्क्वारी रिपोर्ट आएगी, नहीं आएगी, या कब आएगी यह किसी को पता नहीं होता। और रिपोर्ट भविष्य में अगर आई भी तो तब तक लोग मूल समस्या को भूल चुके होते हैं। सरकार के पास बड़े बड़े समस्याओं को हल करने यह सधा हुआ तरीका हैं जो कभी फेल नहीं होता।
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Mohan Tewari कौशल भैया,,,
कुछ कैसे होगा,,,जिनकी लापरवाह,,मस्ती,,,से ये होता है,,, जांच उन्ही को दे दी जाती है,, फिर?
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Vishal Sharma बच्चे मरे नही हैं उनकी हत्या होई है
डी एम , सी एम ओ
हॉस्पिटल के मालिकों निदेशकों को जेल भेज कर दण्डित करना होगा।

मजाक बना कर रख दिया है
.... Regards 
Vishal SHARMA Attorney at Law 
Whistleblower 
GANDHI WADI 
Human Rights Civil Rights Social Activist Motivational Speaker Guest Faculty MSME MINISTRY GOV OF INDIA, 9918675507 (WhatsApp)
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Suresh Yadav Govt's official spokes person and DM coming out with cover up story and saying that there was no shortage of oxygen in the Hospital.
सरकार के आधिकारिक तीलियां व्यक्ति और डीएम ने कहानी को कवर करने के साथ बाहर आ रहा है और यह कहकर कि अस्पताल में आक्सीजन की कमी नहीं थी.
अपने आप अनुवाद किया गया
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Kamlesh Rajput सभी जिम्मेदार लोगो पर हत्या का मुकदमा कायम कर जेल भेज देना चाहिए।
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Kaushal Sharma फिर मौत क्यों हुयीं? एक साथ इतनी मौतों पर भी संवेदनायें नहीं जगीं । कुछ तो शर्म करो ।
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Suresh Yadav शर्मा साहब, इसी विषय पर प्रतिक्रिया के तौर पर लिखी गयी किसी की निम्न टिप्पणी अभी अभी फेसबुक पर ही पढ़ने को मिला:

"सिख दंगो, 1962 युध्द, भागलपुर दंगे, कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम, केरल की हिंसा, की बात भी की जाये"


जब 1984 के सिख दंगे, 1962 का युध्द, भागलपुर के दंगे, कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम और केरल की हिंसा इत्यादि घटनाओं को ऑक्सीजन की कमी के कारण हॉस्पिटल में हुए 30 बच्चों की म्रत्यु की श्रेणी में रखा जाए, तो टिप्पणी का तर्क और उद्देश्य दोनों ही समझ से परे लगते हैं। कह पाना मुश्किल है कि क्या यह बौद्धिक विकास की कमी है या उसे तिलांजलि देकर अंधभक्ति करना है।
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Arvind Raj Tripathi बड़ी घटना है दोषियो को चिन्हित क्र सजा दिलाना हम सब की नैतिक जिमेदारी है ।
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Rekha Sharma जांच बैठा दी गई पर होना कुछ भी नही है ये बात हम आप सभी जानते है कुछ दिन बाद सारा मामला ठंडा पड़ जायेगा ,क्योकि ये गरीबों के बच्चे है ये बच्चे मरे नही मारे गए है इतनी सारी मौतों के बाद भी संवेदनाये न जगना बहुत ही शर्म की बात हाल
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Pradeep Shukla बहुत बड़ी लापरवाही है,दोषी दण्ड के भागी होन चाहिए बाकी उ.प्र.सरकार की सूझ....
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Durga Tiwari · Bajpai Arvind का मित्र
ये गरीब बच्चे ज़िन्दगी भर घुट घुट कर मरते हैं, ...
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Naresh Tripathi Kaushal.ji.yogi.ji.modi.dono.ke.bache.nahi.h.nirdhai.h
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Jitendra Bedi Har jagh c m nahi. Jaa sakte. Ye kai varsho se kaamchoro ke karan hua.
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