Wednesday, 2 August 2017

तख्त बदल दो ताज बदल दो की बात तो बेमानी थी


तख्त बदल दो ताज बदल दो की बात तो बेमानी थी
विद्यार्थी जीवन में तख्त बदल दो ताज बदल दो, बेईमानों का राज बदल दो का उद्घोष सुनकर शरीर की स्फूर्ति बढ़ जाया करती थी। सोचा करता था कि सत्ता से काँग्रेस के अपदस्त हो जाने के बाद एक ऐसा युग आयेगा जिसमें मेहनत, मजूरी करने वाले हमारे जैसे परिवारों के लोग सम्मान से जीयेंगे और लूट खसोट करने वाले लोग जेल की हवा खायेंगे परन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ। 1977 में काँग्रेस बुरी तरह पराजित हुई लेकिन व्यवस्था में कोई परिवर्तन नही आया। फिर राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है, का नारा सुना गया। भ्रष्टाचार के विरुद्ध निर्णायक संघर्ष का एलान हुआ। इस दौर की मण्डल कमण्डल की राजनीति ने गरीब गुरबा की बात करने वाले पुरोधाओं देवी लाल, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, राम विलास पासवान, नितीश कुमार, सुबोध कान्त सहाय, शिवा कान्त तिवारी, रवि शंकर प्रसाद, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू, विनय कटियार को सत्ता के शिखर पर पहुँचा दिया। सिद्धान्त और विचारधारा की बात करने वाले राम बहादुर राय जैसे लोग नेपथ्य में भेज दिये गये लेकिन पुरोधाओं ने एक बार फिर जनता को निराश किया और भ्रष्टाचार की सीमायें तोड़ने में काँग्रेसियों को भी मात दे दी। कहा जा सकता है कि काँग्रेस और उसके नेता भ्रष्टाचार की गंगोत्री है लेकिन काँग्रेस के भ्रष्टाचार का विरोध करके सत्ता सुख भोगने वाले लोगों ने भी इस गंगोत्री से अपने अपने हिस्से की नहरें निकालने में कोई कोताही नही की। सभी ने अकूत सम्पत्ति कमायी और अब इसको बचाने के लिए काँग्रेसियों में हलचल मची है, नितीश, नरेन्द्र मोदी के सामने नतमस्तक है, समाजवादी पार्टी के एम.एल.सी. बुक्कल नवाब राम मन्दिर बनाने के लिए अयोध्या कूच की तैयारी करने लगे है।
7 टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
Dinesh Yadav Sir ji badi himmat kar ke likh pa raha hoon congress ki party ka naya naam Bhartiya Janta Party hai Yeh Ken prakaren
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Anurag Mishra विचारधारा, पार्टी, भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडाई मात्र सत्ता पाने के साधन रहे,सत्ता मिलने के बाद सबने लूट की।जनता को एक भ्रस्ट से छुटकारा पाने के बाद उससे भ्रस्ट शाशन मिला।जनता हर बार छली गई।देश का पैसा विदेश में जमा किया गया, देश के संंविधान की कसम लेकर सत्ता पाने वालो ने देश का पैसा लूट कर विदेश में जमा कर दिया,देश खोखला कर दिया।संसाधनों में कमजोर चीन आंख दिखा रहा है।चीन में बुलेट ट्रेन 30 सालों से चल रही है,वहा 1000/-के भ्रष्टाचार पर फांसी हो जाती है, इस लिये चीन का पैसा देश मे रहा,भारत मे सजायाफ्ता भ्रस्टाचार करने वाले राज कर रहें है।
उच्च स्तर पर नेताओं और नौकरशाहों का भ्रष्टाचार रोकने के लिये लोकपाल बिल पास किया गया, परंतु भारत सरकार लोकपाल नियुक्ति टाल रही है या लोकपाल से खुद डर रही है।
हर दल पुराने सत्ताधारी भ्रस्ट नेताओं को जेल में डालने का दावा करता है,किन्तु साप और नेवले की लड़ाई कभी नही होती।नेताओं के नौकर, प्यादे या मीसा के सी ए जेल जाते है।
जीजाजी,चिदंबरम, ललित मोदी, मायावती के भाई,लालू ,मीसा,तेजश्वी, रामगोपालआदि की ई डी ,सी बी आई की जाँच कभी अंतिम अंजाम तक कभी नही पहुँचेगी।
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Kaushal Sharma वस्तुपरक विशलेषण किया है आपने । ब्यवस्थागत परिवर्तन समय की माँग है लेकिन इस पर अब कोई बात भी नहीं करता । राष्ट्रवाद की अफीम पिलाकर मूल मुददों को छोड़ दिया गया है । असहमति को देशद्रोह बताया जाने लगा है और गरीबी बेकारी अशिक्षा बीमारी की बात करने वालों को देशद्रोही ।
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Anurag Mishra इससे लगता है कि वर्तमान सरकार भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध गंभीर नही है,केवल भयादोहन कर विपक्ष को दबाये हुए है, जिससे बी जे पी का विकल्प न उभर सके।
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Suresh Sachan राजनीति मतलब स्वार्थ सिद्धि, सिद्धान्त, सेवा सब गायब।
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30 जुलाई को 01:14 अपराह्न बजे
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Narendra Kumar Yadav कौशल जी आपका सोच जातिवादी हैं मेरे कमेंट पर आपकी रचनात्मक या आलोचना तमक टिप्पणी नहीं आयी यही तो जातिवाद हैं।
चुनाव लड रहा ब्राहमण प्रत्याशी सामाजिक रूप से गैर जाति के ब्याकति से नमस्कार और उसी के सामने ढाई इतवार वाले के पैर छू कर दूसरे को अपमानित करता है यही भाव वाचक संज्ञा है।मानसिक प्रताडना इसी को कहते है।
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Kaushal Sharma भइया नरेन्द्र जी
कुछ भी कह लीजिये लेकिन जातिवादी होने का आरोप न लगाइये । टिप्पणी करने से मै चूक गया हूँ, क्षमा करें ।
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