आदरणीय प्रकाश जी
जिला अदालतों मे दस बीस रूपये देकर अगली तारीख लेने की प्रथा से केवल हम और आप ही नहीं, पूरा भारत पीड़ित है लेकिन अदालतों के पीठासीन अधिकारी जानबूझकर इसकी अनदेखी करते है और इसको रोकना उनकी प्राथमिकता मे नहीं है । अब सवाल उठता है , इसको रोका कैसे जायें? कौन इसकी पहल करेगा ? भाई अपने सिस्टम मे हर स्तर पर चेक एणड़ बैलेनस की ब्यवस्था है लेकिन सुविधा शुल्क ( रिश्वत) लेना और देना एक आम बात हो गईं है इसलिए जमीनी स्तर के इस भ्रष्टाचार की अब चर्चा भी नहीं होती लेकिन इसको रोकना जरूरी तो है ही इसलिए मुझे लगता है कि सरकार को खुद पहल करनी चाहिए । सरकार की इच्छा शक्ति सब पर भारी पड़ती है । प्रदेश की सरकार को कुछ ही दिनों के अन्दर प्रत्येक जिले मे औसतन दस वकीलों को सरकारी वकील नियुक्त करना है । इन वकीलों को हत्या, दहेज हत्या, ड़कैती, बालातकार जैसे गम्भीर अपराधों मे अपराधियों को सजा करानी होती है । आप जानते है कि इन गमभीर अपराधों मे जमानत प्रार्थना पत्रों की सुनवाई के समय केस ड़ायरी के पन्ने अभियुक्तों के पास आ जाते है परन्तु कभी कोई नहीं पूँछता, केस ड़ायरी के पन्ने उन्हें कौन उपलब्ध कराता है ? केस ड़ायरी विवेचक या सरकारी वकील के अलावा और किसी के पास रह ही नहीं सकती इसका सीधा अर्थ है कि इन्हीं दोनों मे से ही कोई इसे बेचता है ।जो सौ दो सौ रूपये की रिश्वत लेकर केस ड़ायरी बेच सकता है , उससे किसी को सजा कराने की अपेक्षा करना अपने साथ अन्याय करना है । इसी प्रकार साक्षियों की पक्षद्रोहिता से भी सरकार और कानून ब्यवस्था को नुकसान पहुँचाया जाता है।इसमे लम्बी बारगेनिंग होती है। आज आप प्रभावी स्थिति मे है , जिम्मेदार लोगों तक आपकी सहज पहुँच है , आप उन्हे जमीनी हकीकत से अवगत करायें और हर जिले मे दस दस लोग खोज कर दें जिनमें अपनी ज्ञात आय पर गुजारा करने का जजबा हो । इतना बड़ा संघटन है , हर जिले मे ऐसे वकील खोजना कोई मुश्किल काम नहीं है । अदालत की कोई एक शाखा अपराधियों के साथ तालमेल बन्द कर दे तो निश्चित मानिये कि पीठासीन अधिकारी सहित सभी शाखाओं पर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा । देखिए अब आपको अवसर मिला है , कम से कम अपने कार्य कर्ताओ को अपराधियों के साथ तालमेल करने से रोकिये । याद कीजिए पिछ्ली सरकार के दौरान बजरंग दल के कार्य कर्ता राजेश से भी सरकारी वकील ने पैसे लिए थे जबकि उसक़ा मुक़दमा कल्याण सिंह की सरकार ने वापस ले रखा था ।भाई इस मुद्दे पर आगे बढकर कुछ पहल कीजिए तभी " भ्रष्टाचार न गुंडाराज अबकी बार मोदी सरकार " का नारा जुमला बनने से बच सकेगा ।
जिला अदालतों मे दस बीस रूपये देकर अगली तारीख लेने की प्रथा से केवल हम और आप ही नहीं, पूरा भारत पीड़ित है लेकिन अदालतों के पीठासीन अधिकारी जानबूझकर इसकी अनदेखी करते है और इसको रोकना उनकी प्राथमिकता मे नहीं है । अब सवाल उठता है , इसको रोका कैसे जायें? कौन इसकी पहल करेगा ? भाई अपने सिस्टम मे हर स्तर पर चेक एणड़ बैलेनस की ब्यवस्था है लेकिन सुविधा शुल्क ( रिश्वत) लेना और देना एक आम बात हो गईं है इसलिए जमीनी स्तर के इस भ्रष्टाचार की अब चर्चा भी नहीं होती लेकिन इसको रोकना जरूरी तो है ही इसलिए मुझे लगता है कि सरकार को खुद पहल करनी चाहिए । सरकार की इच्छा शक्ति सब पर भारी पड़ती है । प्रदेश की सरकार को कुछ ही दिनों के अन्दर प्रत्येक जिले मे औसतन दस वकीलों को सरकारी वकील नियुक्त करना है । इन वकीलों को हत्या, दहेज हत्या, ड़कैती, बालातकार जैसे गम्भीर अपराधों मे अपराधियों को सजा करानी होती है । आप जानते है कि इन गमभीर अपराधों मे जमानत प्रार्थना पत्रों की सुनवाई के समय केस ड़ायरी के पन्ने अभियुक्तों के पास आ जाते है परन्तु कभी कोई नहीं पूँछता, केस ड़ायरी के पन्ने उन्हें कौन उपलब्ध कराता है ? केस ड़ायरी विवेचक या सरकारी वकील के अलावा और किसी के पास रह ही नहीं सकती इसका सीधा अर्थ है कि इन्हीं दोनों मे से ही कोई इसे बेचता है ।जो सौ दो सौ रूपये की रिश्वत लेकर केस ड़ायरी बेच सकता है , उससे किसी को सजा कराने की अपेक्षा करना अपने साथ अन्याय करना है । इसी प्रकार साक्षियों की पक्षद्रोहिता से भी सरकार और कानून ब्यवस्था को नुकसान पहुँचाया जाता है।इसमे लम्बी बारगेनिंग होती है। आज आप प्रभावी स्थिति मे है , जिम्मेदार लोगों तक आपकी सहज पहुँच है , आप उन्हे जमीनी हकीकत से अवगत करायें और हर जिले मे दस दस लोग खोज कर दें जिनमें अपनी ज्ञात आय पर गुजारा करने का जजबा हो । इतना बड़ा संघटन है , हर जिले मे ऐसे वकील खोजना कोई मुश्किल काम नहीं है । अदालत की कोई एक शाखा अपराधियों के साथ तालमेल बन्द कर दे तो निश्चित मानिये कि पीठासीन अधिकारी सहित सभी शाखाओं पर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा । देखिए अब आपको अवसर मिला है , कम से कम अपने कार्य कर्ताओ को अपराधियों के साथ तालमेल करने से रोकिये । याद कीजिए पिछ्ली सरकार के दौरान बजरंग दल के कार्य कर्ता राजेश से भी सरकारी वकील ने पैसे लिए थे जबकि उसक़ा मुक़दमा कल्याण सिंह की सरकार ने वापस ले रखा था ।भाई इस मुद्दे पर आगे बढकर कुछ पहल कीजिए तभी " भ्रष्टाचार न गुंडाराज अबकी बार मोदी सरकार " का नारा जुमला बनने से बच सकेगा ।
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