Saturday, 2 September 2017

लौट आये 99 फीसदी पुराने नोट मतलब काले धन


लौट आये 99 फीसदी पुराने नोट मतलब काले धन, नकली नोट और आतंकवादियों की अर्थ ब्यवस्था तबाह कर देने के सरकारी दावे फर्जी निकले । भइया मैने तो 9 नवम्बर 2016को " हिन्दुस्तान " अखबार मे प्रकाशित अपने बयान मे बताया था कि नोट बन्दी से देश को न्यूनतम लाभ, अधिकतम नुकसान का सामना करना पड़ेगा ।
12 टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
Ganga Prasad Yadav नही ऐसा नही है नोटबन्दी से सरकार की सोच सही रही ऐ हिन्दुस्थान ही है जहाँ लोकतन्त्र के नाम पर कोई किसी पर बिना सोचे समझे आरोप लगा सकता है सरकार के पास बैकं मे जमा एक एक रू का हिसाब है आमजन मानस निर्णय से खुश है नोटबंदी केबाद ही काश्मीर तथा कथित भू माफिया,सड़कों पर आ गये हो सकता है सरकारी निति के अनुरूप सारी चीजे जाहिर की न हो ? आगे पीछे सरकार दूध का दूध पानी का पानी कर देगी?सरकार की नियत ठीक है जल्द बाजी नही करनी चाहिये किसी निर्णय के निष्कर्ष के लिये ? कोई भी सरकार का उठाया गया कदम जो जनहित में हो वापस न लिया जाना यह दर्शाता है कि सरकारो और इस सरकार मे स्पष्ठ अंतर है परिणाम तुरन्त नही दिखते धौर्य रखिऐ !
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Aditya Tripathi जमीनी हक्कीकत ये है की पैसा मार्केट में दिख ही नहीँ रहाऔर जिसका सीधा असर गरीब पर पड़ रहा है चाचा जी क्योंकि लेन देन काला सफेद हो पर उसके चलने का आखरी माध्यम मजदूर और किसान है।चाहे फ्लैट बनाने हो या किसान की ज़मीन या उसकी उपज हो या करोड़ पति के घर के नौकर हों या उनका अन्य स्टाफ हो ,आखिर में पैसा पहुँचता गरीब के पास है।ऐशो आराम की सभी चीज़े कहीँ न कहीँ गरीब के पास से ही होकर आती हैं ......अब बताईये वो कैसे जिंदा रहे।
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Aditya Tripathi इस सम्पूर्ण प्रक्रिया और संचालन का खर्च भी जोड़ा जाना चाहिये......100% नोट वापस होता तो भी खर्च असफ़ल ही रहता।क्योंकि उतना ही खर्च हो गया जो नहीँ आया वापस
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Pramod Tewari Gitkaar मोदी के 50 दिन पूरे नहीं हुए क्या अभी..इंतज़ार।करिये..गज़ब
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Suresh Yadav नोटबन्दी से टैक्स कलेक्शन में बृद्धि और टैक्स पेयर्स की संख्या में बृद्धि होना निश्चित है। परन्तु इसके लिए देश के अर्थ व्यवस्था को क्या कीमत चुकानी पड़ी है यह बात सरकार को बताना चाहिए।
इसके अलावा सारी तथाकथित उपलब्धियां जुमला और हवाबाजी हैं।
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Ajay Sinha ये लोग या तो सिर्फ झूठ बोल रहे थे या दुनिया के सबसे मूर्ख लोग हैं !
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Jai Shankar Bajpai यह भी गौर करने की जरूरत है कि दावे किए गए थे नकली करेंसी छपनी बंद हो जाएगी ।नयी करेंसी की नकल नही हो पाएगी परन्तु आए दिन बड़ी तादात में बरामद हो रही नकली करेंसी व पकड़े जा रहें अपराधियों से स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था को नुक्सान पहुंचाने का प्रयास बदस्तूर जारी है। इसे रोका न गया तो नोटबंदी से क्या लाभ होगा । भले ही सरकार को राजस्व अधिक मिलने लगे अधिक अधिक लोग टैक्स के दायरे दायरे में आ जाएं ।
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Anurag Mishra जो1%पुराने नोट वापस नहीं आए है वो पूरे देश मे बरामद नोट है,जोकि पुलिस, इनकम टैक्स विभाग, ई डी आदि ने जप्त किये है।या कट फट गल गए हैं।
बाकी काला धन और कहीं नहीं बचा है।
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Suresh Sharma मिश्र जी मतलब जो बरामद हुआ वो काला धन था तो बरसो की लघु बचत जो घरों में महिलाओं, बुजुर्गों ने की थी वो कहा गई
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Suresh Yadav Full credit goes to our PM who has been able to sell flop show of notebandi as a success story. His jumla "Hard work Vs Harvard " was yet another super hit.अनुवाद देखें
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Ramesh Srivastava रिज़र्व बैंक तो गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया का तोता है.............कोई आजाद संस्था थोड़े है...........
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Nareshhs Sharma शर्मा जी ,शायद नोटबंदी का असली मकसद काले को सफ़ेद करना था जो पूरी तरह कामयाब रहा लेकिन मिडल क्लास की घरेलु बचत भी पूरी तरह तबाह हो गयी I जिस एक फीसदी का सिस्टम में न लौटना बताया जा रहा है ,वह आलमारियों में कपड़ों के नीचे ,किताबों में रक्खे ऐसे नोट बचे रह गए थे जो तयशुदा तारिख के बाद मिले जिन्हे सरकार ने लेने से इंकार कर दिया अन्यथा यह एक फीसदी भी सिस्टम में लौट जाना था I सरकार अभी भी यह बताने को तैयार नहीं कि इसमें काला धन कितना था और घरेलू बचत कितनी थी I
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Prakash Sharma सिर्फ लौटे हुए नोटो की संख्या और कीमत का आंकड़ा पढ़ कर सब गलत लिख देना उचित नही वैसे आज कल सरकार और मुखिया के खिलाफ लिखना शौक हो गया है, कितनी ही शेल कम्पनियों के पते खुल रहे है उनके माध्यम से आया पैसा कला ही है लेकिन आपको कुछ भी ठीक दिखेगा नही क्यों कि आप सही देखना ही नही चाहते देखते जाइये आगे आगे
"इब्तताये इश्क़ है रोता है क्या,आगे आगे देखिए होता है" काला नीला पीला सब बाहर होगा
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