Saturday, 2 September 2017

रेल एक्सीडेन्ट, क्वालिटी कन्ट्रोल के आइनें में


रेल एक्सीडेंट, क्वालिटी कन्ट्रोल के आइने मे
आजकल रेल दुर्घटनाये तेजी से बढी है। मानवीय भूल या आतंकी शरारत को भी इसका दोषी बताया जाता है लेकिन मै इसके लिए क्वालिटी कन्ट्रोल की उपेक्षा को दोषी मानता हूँ ।
हम सब जानते है कि माइल्ड़ स्टील की एक निश्चित आयु होती है जो 40 वर्ष के आसपास मानी जाती है ।रेलवे को पटरियाँ सौपने के पहले तीन चरणों मे उसका परीक्षण किया जाता है।पटरियों का परीक्षण ड़ी जी एस एणड़ ड़ी का क्वालिटी कन्ट्रोल विभाग टेन साइल मशीन पर करता था । इस परीक्षण मे पटरी को तीन ऐंगल से मोड़ा जाता था और फिर देखा जाता था कि अन्दर ही अन्दर कितना क्रेक हुई है । इस परीक्षण मे क्रेक पाई गयी पटरी का प्रयोग रेलवे नहीं करती थी। भारत सरकार के सभी विभागों के लिए अपने उत्पादों की गुणवत्ता का परीक्षण सरकारी लैब मे कराना आवश्यक होता था ।इन लैबो मे आई आई टी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के टेक्नोक्रेट नियुक्त किये जाते थे। लागत कम करने के लिए अब प्राइवेट लैब की टेस्टिंग को प्रमाणिक माना जाने लगा है और इसी सबके के कारण सरकारी माल की क्वालिटी घटिया होती जा रही है । प्राइवेट लैब कमाई करने के लिए बनी है , सबको पता है कि देश हित नहीं, पैसा उनकी प्राथमिकता है फिर भी उन्हे बढावा दिया जा रहा है। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि कोई प्रमाणिक सिस्टम ड़ेवलप किये बिना ड़ी जी एस एणड़ ड़ी केप्रमाणिक सिस्टम को नेस्तनाबूत क्यो किया जा रहा है ? दुर्घटनाये रोकनी है तो पटरियों का प्रयोग करने से पहले सदियों पुराने तीन स्तरीय परीक्षण सिस्टम को मजबूती से लागू किया जाये ।
4 टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
Mohan Tewari कौशल भाई,,, रेलवे ही क्यों,, सभी जगह,,,रक्षः उत्पादन से जुड़े ,,,रक्षा संस्थानों में,,,निगरानी,,, क्वालिटी से जुड़े विभागों,, को भी,,,,
प्रबंधित करें
Chandra Shekhar Singh बहुत सुंदर विचारप्रस्तुति है और सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह लोगों के जीवन के साथ जुड़ा हुआ है।
प्रबंधित करें

No comments:

Post a Comment