पुलिस की निरंकुशता, योगी सरकार भी असहाय
बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय की निहत्थी छात्राओं पर लाठीचार्ज से फिर सिद्ध हुआ कि उत्तर प्रदेश की पुलिस संघटित अपराधियों का सरकारी गिरोह है । खुद योगी महाराज ने गोरखपुर मे तत्कालीन यस यस पी जगमोहन यादव के नेतृत्व मे पुलिसिया उतपीड़न झेला था और उसका विवरण प्रस्तुत करते हुये वे लोकसभा मे अपने आँसू रोक नहीं पाये थे । बाबा रामदेव भी रामलीला मैदान मे अपने और अपने समर्थकों के साथ पुलिसिया अत्याचार की कहानी शायद अभी भूले नहीं होंगे।
बाबा रामदेव के समर्थकों पर लाठीचार्ज के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने " Ramlila Maidan Incident. In RE " मे दणड़ प्रक्रिया संहिता की धारा 144 ,134 के प्रयोग के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये थे और समबन्धित पुलिस अधिकारियों पर भारी अर्थ दणड़ भी अधिरोपित किया था । छात्राओं पर लाठीचार्ज करने के पहले पुलिस ने उनके धरने को अवैधानिक घोषित नहीं किया और न उन्हे तितर बितर होने के लिए समुचित अवसर दिया है और इसके द्वारा पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों की जानबूझकर अवमानना की है । छात्राओं के प्रति पुलिस कर्मियों का ब्यवहार एकदम अमानवीय रहा है इसलिए शहर के यस यस पी और ड़ी एम को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाना चाहिये अन्यथा यह माना जायेगा कि विपक्षी नेता के नाते , वे कुछ भी कहते रहे हो , लेकिन मुख्य मंत्री के नाते अपने पूर्व वरतियों की तरह पुलिस को पब्लिक ओरियेनटेड़ सेवा प्रदाता संस्थान बनाने मे उनकी भी रूचि नहीं है ।
बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय की निहत्थी छात्राओं पर लाठीचार्ज से फिर सिद्ध हुआ कि उत्तर प्रदेश की पुलिस संघटित अपराधियों का सरकारी गिरोह है । खुद योगी महाराज ने गोरखपुर मे तत्कालीन यस यस पी जगमोहन यादव के नेतृत्व मे पुलिसिया उतपीड़न झेला था और उसका विवरण प्रस्तुत करते हुये वे लोकसभा मे अपने आँसू रोक नहीं पाये थे । बाबा रामदेव भी रामलीला मैदान मे अपने और अपने समर्थकों के साथ पुलिसिया अत्याचार की कहानी शायद अभी भूले नहीं होंगे।
बाबा रामदेव के समर्थकों पर लाठीचार्ज के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने " Ramlila Maidan Incident. In RE " मे दणड़ प्रक्रिया संहिता की धारा 144 ,134 के प्रयोग के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये थे और समबन्धित पुलिस अधिकारियों पर भारी अर्थ दणड़ भी अधिरोपित किया था । छात्राओं पर लाठीचार्ज करने के पहले पुलिस ने उनके धरने को अवैधानिक घोषित नहीं किया और न उन्हे तितर बितर होने के लिए समुचित अवसर दिया है और इसके द्वारा पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों की जानबूझकर अवमानना की है । छात्राओं के प्रति पुलिस कर्मियों का ब्यवहार एकदम अमानवीय रहा है इसलिए शहर के यस यस पी और ड़ी एम को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाना चाहिये अन्यथा यह माना जायेगा कि विपक्षी नेता के नाते , वे कुछ भी कहते रहे हो , लेकिन मुख्य मंत्री के नाते अपने पूर्व वरतियों की तरह पुलिस को पब्लिक ओरियेनटेड़ सेवा प्रदाता संस्थान बनाने मे उनकी भी रूचि नहीं है ।
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