जज साहब की गिरफ्तारी अबअचम्भे की बात नहीं
ओडिसा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायामूर्ति इशरत मसरूर कुददुसी की गिरफ्तारी से आम वकीलों को कोई अचमभा नहीं हुआ। सबको पता है कि न्याय पालिका मे पैसे लेकर फैसले देने का प्रचलन तेजी से बढा है । एक जमाना था , जब कहा जाता था कि अपने सिस्टम मे दरोगा सबसे ज्यादा मनमानी करता है लेकिन अब जज साहब और दरोगा साहब मे कौन ज्यादा मनमानी करता है , पता करना मुश्किल हो गया है। कहने और लिखने मे दुख होता है लेकिन सच यही है कि अपनी न्याय पालिका मे भ्रष्टाचार के दीमक ने जड़ जमा ली है । मुझे याद नहीं आता कि हाई कोर्ट की विजिलेंस टीम ने कभी किसी जज को भ्रष्टाचारी के रूप मे चिन्हित किया हो जबकिसभी जनपदों मे फैसलों के मैनेज होने की चर्चा आम बात है । जजों को समझना चाहिए कि अविश्वास के इस युग मे आज भी आम आदमी भगवान की तरह उन पर विश्वास करता है। उसके विश्वास को अटूट बनाये रखना उनकी जिम्मेदारी है । याद करें कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय मे एक महिला ने जज साहब को न्यायमूर्ति कहने से इन्कार कर दिया था और खुली अदालत मे उन पर चप्पल फेंककर उनका सरे-आम अपमान किया था। इस प्रकार की दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, आम आदमी आपको भगवान के समतुल्य मानता रहे , इसलिए अपने लालच पर नियंत्रण कीजिए और ऐसा कोई तंत्र विकसित कीजिए जो आपके बीच के भ्रष्टाचारियों को चिन्हित करने मे सक्षम हो ।
ओडिसा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायामूर्ति इशरत मसरूर कुददुसी की गिरफ्तारी से आम वकीलों को कोई अचमभा नहीं हुआ। सबको पता है कि न्याय पालिका मे पैसे लेकर फैसले देने का प्रचलन तेजी से बढा है । एक जमाना था , जब कहा जाता था कि अपने सिस्टम मे दरोगा सबसे ज्यादा मनमानी करता है लेकिन अब जज साहब और दरोगा साहब मे कौन ज्यादा मनमानी करता है , पता करना मुश्किल हो गया है। कहने और लिखने मे दुख होता है लेकिन सच यही है कि अपनी न्याय पालिका मे भ्रष्टाचार के दीमक ने जड़ जमा ली है । मुझे याद नहीं आता कि हाई कोर्ट की विजिलेंस टीम ने कभी किसी जज को भ्रष्टाचारी के रूप मे चिन्हित किया हो जबकिसभी जनपदों मे फैसलों के मैनेज होने की चर्चा आम बात है । जजों को समझना चाहिए कि अविश्वास के इस युग मे आज भी आम आदमी भगवान की तरह उन पर विश्वास करता है। उसके विश्वास को अटूट बनाये रखना उनकी जिम्मेदारी है । याद करें कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय मे एक महिला ने जज साहब को न्यायमूर्ति कहने से इन्कार कर दिया था और खुली अदालत मे उन पर चप्पल फेंककर उनका सरे-आम अपमान किया था। इस प्रकार की दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, आम आदमी आपको भगवान के समतुल्य मानता रहे , इसलिए अपने लालच पर नियंत्रण कीजिए और ऐसा कोई तंत्र विकसित कीजिए जो आपके बीच के भ्रष्टाचारियों को चिन्हित करने मे सक्षम हो ।
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