Wednesday, 27 September 2017

जज साहब की गिरफ्तारी अब अचम्भे की बात नही


जज साहब की गिरफ्तारी अबअचम्भे की बात नहीं
ओडिसा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायामूर्ति इशरत मसरूर कुददुसी की गिरफ्तारी से आम वकीलों को कोई अचमभा नहीं हुआ। सबको पता है कि न्याय पालिका मे पैसे लेकर फैसले देने का प्रचलन तेजी से बढा है । एक जमाना था , जब कहा जाता था कि अपने सिस्टम मे दरोगा सबसे ज्यादा मनमानी करता है लेकिन अब जज साहब और दरोगा साहब मे कौन ज्यादा मनमानी करता है , पता करना मुश्किल हो गया है। कहने और लिखने मे दुख होता है लेकिन सच यही है कि अपनी न्याय पालिका मे भ्रष्टाचार के दीमक ने जड़ जमा ली है । मुझे याद नहीं आता कि हाई कोर्ट की विजिलेंस टीम ने कभी किसी जज को भ्रष्टाचारी के रूप मे चिन्हित किया हो जबकिसभी जनपदों मे फैसलों के मैनेज होने की चर्चा आम बात है । जजों को समझना चाहिए कि अविश्वास के इस युग मे आज भी आम आदमी भगवान की तरह उन पर विश्वास करता है। उसके विश्वास को अटूट बनाये रखना उनकी जिम्मेदारी है । याद करें कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय मे एक महिला ने जज साहब को न्यायमूर्ति कहने से इन्कार कर दिया था और खुली अदालत मे उन पर चप्पल फेंककर उनका सरे-आम अपमान किया था। इस प्रकार की दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, आम आदमी आपको भगवान के समतुल्य मानता रहे , इसलिए अपने लालच पर नियंत्रण कीजिए और ऐसा कोई तंत्र विकसित कीजिए जो आपके बीच के भ्रष्टाचारियों को चिन्हित करने मे सक्षम हो ।
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24 टिप्पणियाँ
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Subhash Sharma इस स्थिति में सुधार के लिये न तो पहली सरकार गंभीर थी और न वर्तमान सरकार।लोकपाल तो भाड़ में गया शिकायत पर ही प्रभावशाली कार्रवाई की ही व्यवस्था करा दे।लेकिन लगता नही कुछ होगा।आप खुद भी समझ सकते है क्यो?
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23 सितंबर को 08:03 पूर्वाह्न बजे
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Zafar Ullah Khan आज हमारा ईमान इतना कमजोर और बिकाऊ हो गया है कि बस केवल पैसा हो चाहे जैसा हो कि पद्धति पर कार्य कर रहे है
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23 सितंबर को 08:09 पूर्वाह्न बजे
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Ramesh Srivastava Humara eeman nahi humara tantra itana bhrasht hai ki hume be-imaan hone ki majboori hai
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23 सितंबर को 02:11 अपराह्न बजे
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Anil Kumar Mishra सच कहा आपने आज अदालतों के दामन पर इतने दाग लगे हैं कि सफ़ेद बचा हिस्सा खोजना मुश्किल है ।
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23 सितंबर को 08:09 पूर्वाह्न बजे
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Subhash Sharma ईमान तो तब कमजोर होगा जब होगा।ईमान कहाँ है?आज तो सब जगह ईमान बस अवैध कमाई का है कही अधिक कही कम।
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Subhash Sharma अदालत में जाने के बजाय अब लोग दफ्तरों में रिश्वत देकर काम कराना अधिक पसंद करते है।मजबूरी की बात अलग है।
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23 सितंबर को 08:20 पूर्वाह्न बजे
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Suresh Yadav सही कहा आपने। परन्तु इसके अलावा समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो मन मार कर अन्याय को बर्दाश्त कर लेना न्यायायिक पचड़े में पड़ने और उसी में जिंदगी भर सड़ते रहने से बेहतर समझता है। कोर्ट से तौबा करके उससे दूर रहने में ही ज्यादा सुकून महसूस करता है।
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Lokesh Shukla सही कहा आपने
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23 सितंबर को 08:23 पूर्वाह्न बजे
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Adv Shree Prakash Tiwari न्यायपालिका की विश्वसनीयता को कायम रखने के लिए न्यायाधीश एवं अधिवक्ता दोनों को ही आत्मावलोकन की आवश्यकता है
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23 सितंबर को 08:23 पूर्वाह्न बजे
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Jitendra Kumar Pandey हर जिले मे एक एडमिनिस्ट्रेटिव जज माननीय उच्चन्यायालय द्वारा नियुक्त किया जाता है ।और देश महा महीम राष्ट्रपति पूर्व ने कहा था कि न्यायालय जुआ घर बनता जा रहा है तथा सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना है न्यायालय मे भ्रष्टाचार फैल रहा है फिर भी प्रशासनिक जज महोदय कोई कार्रवाई नही करती है इसलिए न्यायालय मे भय समाप्त हो गया है ।
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23 सितंबर को 08:45 पूर्वाह्न बजे
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Dinesh Yadav Bimari ka ilaj kaun karega?
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23 सितंबर को 09:16 पूर्वाह्न बजे
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Prakash Mishra Iske jimmedar hum hi hai ye kahne ki shakti bhi hai hum logo me. Hamare leader kya kar rahe hain.
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23 सितंबर को 09:25 पूर्वाह्न बजे
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Mahendra Awdhesh Srivastava दादा, प्रणाम। कोई दो-ढाई साल पहले कानपुर नगर की एक अदालत के कथित न्यायमूर्ति ने मेरे खिलाफ एक मामले में बिना नोटिस-समन महज 40 हज़ार रुपए लेकर स्टे दे दिया था। और, इस काम को अंजाम दिलाया था सिविल के एक नामवर वकील साहब ने। आपकी चिंता वाज़िब है।
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23 सितंबर को 10:31 पूर्वाह्न बजे
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Anurag Mishra शर्मा जी उच्च पदो पर भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिये लोकपाल विधेयक पास पड़ा है, नियुक्ति नही की जा रही है।क्या
वर्तमान सरकार की भ्रष्टाचार से लड़ने की इच्छा शक्ति दिखाई देती है?
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23 सितंबर को 11:07 पूर्वाह्न बजे
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Anand Gautam न्यायपालिका मेँ पारदर्शिता जरुरी है।
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Mohan Tewari दौर कैसा आया क्या क्या बिक गया
आदमी क्या करे जब खुदा बिक गया
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23 सितंबर को 11:52 पूर्वाह्न बजे
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Nadeem Rauf Khan Adhivakta katai doshi ni dukane khuli h to mal kharidne vakil jaega hi
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23 सितंबर को 12:27 अपराह्न बजे
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Subhash Sharma Jitendra Kumar Pandey जी एडमिनिस्ट्रेटिव जज है और कोई कार्रवाई नही,SP है और पुलिस की मनमानी जारी है चाहे तो आप किसी भ्र्ष्टाचार की शिकायत वहाँ करके देख ले,DM है और किसी भी विभाग में बिना रिश्वत के काम नही होता,बैंको से बिना रिश्वत लोन नही मिलता,आधार कार्ड बनवाओ फीस 25/रु है और वसूले जा रहे है 100/-पासपोर्ट के लिए जांच के नाम पर रिश्वत देनी होगी आदि।सभी अधिकारी कहते है कि रिश्वत नही ली जानी चाहिए ।जनता भी यही चाहती है तो फिर चूक कहाँ है।आज यदि किसी कर्मचारी ने रिश्वत न लेकर काम करने का मन बनाया तो सीधा बर्खास्त होगा या रिश्वत लेकर दायित्व का निर्वहन करते हुए ऊपर का हिस्सा नही पहुचाया तो बर्खास्त होगा।ये दोनों ही वर्ग यदि 50 तक सेवा में बने रहे तो फिर इनका नाम जबरन रिटायर होने वाले सम्मानियों में तो आ ही जायेगा।ऐसे में कौन क्या करे?
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23 सितंबर को 12:51 अपराह्न बजे
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Jitendra Kumar Pandey यह न्याय का मंदिर है और आम आदमी का थोड़ा विश्वास बना हुआ है इसलिए अन्य विभाग से तुलना न किया जाए
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23 सितंबर को 01:00 अपराह्न बजे
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Prem Kumar Tripathi शर्मा जी लोकतंत्र के चारो खम्बे दरक रहे है यह कहना अनुचित न होगा कि लोकतंत्र को ही गम्भीर खतरा पैदा हो गया है ।इस आपाधापी मे सबसे ज्यादा गरीब आदमी परेशान व हताश है ।
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23 सितंबर को 01:09 अपराह्न बजे
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Mahesh Sharma कुद्दुसी ओडिशा हाईकोर्ट में कार्यवाहक चीफ जस्टिस थे। छापा यहां भी मारा गया था। पर उनके पते पर जस्टिस सीआर दास थे। यानी शायद कुद्दुसी ने पता ही नहीं बदला। फिर क्या हड़ताल नोटिस एफआईआर क्या क्या नही झेला -सीबीआई ने।
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23 सितंबर को 01:40 अपराह्न बजे
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Randhir Sishodiya जिन जजो के परिवार क्लवों में पचासों हजार उड़ायेंगे तो यह रकम काली कमाई के बिना कहाँ से आयेगी ।सर्वहारा वर्ग तैयार होकर सब कुछ पलट कर रख देगा । पीड़ित आम जन को न्याय मिलना मुश्किल हो गया है । शर्मा जी आपने आईना दिखाने की हिम्मत दिखाई शुक्रिया ।
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Prakash Mishra Battein karne ko bahut hai per hum Jimmedar Nagrik bhi hai kya kia ? Ab tak saalon se kuch nahi.
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23 सितंबर को 06:33 अपराह्न बजे
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Adv Ajay Singh Bhadauria Corruption is about 27% in judiciary .Source
भ्रष्टाचार में 27 % लगभग 27 % है । स्रोत
अपने आप अनुवाद किया गया
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जवाब दें23 सितंबर को 09:26 अपराह्न बजे
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Indrapal Singh Chauhan कौशल जी कलयुग का काल चक्र चल रहा है।आज समाज मे तमाम तरह की विसंगतियाँ भ्रांतियाँ तमाम तरह के उठा पटक चल रहे है।जैसा समाज होगा वैसा ही वर्तमान का दर्पण बनेगा।वैसे यह बात उलट लगेगी पर सच यही है।क्योंकि सही यह लगता है कि जैसे होंगे वैसे ही दर्पण में दिखोगे।
समाज से ही सभी शासित होते है।पर समाज ही अपने को शासित करने के लिए तमाम तरह के नियम कानूनो को सृजित करता है।समाज से ही लोग आगे आकर हमे शासित करते है।यह शासित करने वाले कैसे समाज से आये है।यह निर्भर करता उस समाज पर जिससे वह आये है।दोषी कौन है।यह कह पाना आसान नही है।
रही जजो जनरलों राजनेताओ की यह अन्य प्रशासनिक अधिकारियों या अन्य कि यह निर्भर करता है कि वह किस मिट्टी का बना है।
हर काल मे न्यायाधीशों पर पक्षपात के आरोप लगे है।यह कोई नई बात नही है।आदि काल से चल आ रहा।
पर वक्त आ गया है कि बार एवं बेंच को मिलकर इस विषम घड़ी में सयंत रहकर इससे कैसे निज़ात मिले पर गम्भीर चिन्तन की जरूरत है।हम पर ही जनता का विश्वाश बचा है।
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24 सितंबर को 12:43 पूर्वाह्न बजे
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