आओ श्रमिक कृषक नागरिकों इंकलाब का नारा दो
केन्द्र सरकार श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव करने पर आमादा है। नया श्रम कानून तीन पुराने श्रम कानूनों, इंडस्टिरियल एक्ट 1947, ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 और इंडिस्टियल एक्ट 1946 की जगह लेगा. अब सवाल है कि यदि ये नया श्रम कानून बन गया तो क्या होगा???
(1) कर्मचारियों को नौकरी से निकालना आसान हो जाएगा. (2) यूनियन बनाना मुश्किल हो जाएगा, न्यूनतम 10 फीसदी या 100 कर्मचारी की जरुरत होगी. जहाँ पहले 7 कर्मचारी मिलकर यूनियन बना लेते थे वहां अब 30 कर्मचारियों की जरुरत होगी. (3) एक माह में ओवर टाइम की सीमा 50 से बढ़ाकर 100 घंटे करना गलत है क्योकि इसका भुगतान डबल रेट में ना होकर अब सिंगल रेट में होगा. जब कानून में ही 100 घंटे का प्रवधान हो जाएगा तो मजदूरों को 8 घंटे के जगह 12 घंटे की नियमित ड्यूटी हो जाएगी. (4) फेक्टरी के मालिकों को अब ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे कोर्ट जाने का अधिकार खत्म हो जाएगा. (5) मौजूदा 44 श्रम कानूनों को ख़त्म करके 4 कर दिया जाएगा. (6) यूनियन में बाहरी लोगो पर रोक लगा दी जाएगी. (7) अप्रेंटिश् एक्ट में एक तरफ़ा बदलाव कर 2 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया जाएगा.
केन्द्र सरकार श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव करने पर आमादा है। नया श्रम कानून तीन पुराने श्रम कानूनों, इंडस्टिरियल एक्ट 1947, ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 और इंडिस्टियल एक्ट 1946 की जगह लेगा. अब सवाल है कि यदि ये नया श्रम कानून बन गया तो क्या होगा???
(1) कर्मचारियों को नौकरी से निकालना आसान हो जाएगा. (2) यूनियन बनाना मुश्किल हो जाएगा, न्यूनतम 10 फीसदी या 100 कर्मचारी की जरुरत होगी. जहाँ पहले 7 कर्मचारी मिलकर यूनियन बना लेते थे वहां अब 30 कर्मचारियों की जरुरत होगी. (3) एक माह में ओवर टाइम की सीमा 50 से बढ़ाकर 100 घंटे करना गलत है क्योकि इसका भुगतान डबल रेट में ना होकर अब सिंगल रेट में होगा. जब कानून में ही 100 घंटे का प्रवधान हो जाएगा तो मजदूरों को 8 घंटे के जगह 12 घंटे की नियमित ड्यूटी हो जाएगी. (4) फेक्टरी के मालिकों को अब ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे कोर्ट जाने का अधिकार खत्म हो जाएगा. (5) मौजूदा 44 श्रम कानूनों को ख़त्म करके 4 कर दिया जाएगा. (6) यूनियन में बाहरी लोगो पर रोक लगा दी जाएगी. (7) अप्रेंटिश् एक्ट में एक तरफ़ा बदलाव कर 2 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया जाएगा.
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