Tuesday, 8 August 2017

केरल में सद्भाव के प्रयास किये जाने चाहिए


केरल मे वामपंथी कार्य कर्ताओ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों के मध्य हिंसक प्रतिद्वंदिता अपने चरम पर है । आये दिन वीभत्स तरीके से किसी न किसी की हत्या हो रही है । अच्छी तरह समझना चाहिए कि जिसकी हत्या हुई है , वह एक समान्य राजनैतिक कार्य कर्ता हो सकता है परन्तु जो हत्या कर रहा है , वह किसी भी संगठन का हो , राजनैतिक कार्य कर्ता नहीं है , केवल और केवल अपराधी है । ऐसे लोगों के साथ अपराधियों जैसा ब्यवहार किया जाना चाहिए इसलिए दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व को आपस मे बैठकर राजनैतिक लाभ हानि को भुलाकर इस प्रकार के अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल प्रयास शुरू करना चाहिए । किसी भी प्रकार का अपराधी हो , सम्पूर्ण समाज के लिए घातक होता है परन्तु अपने अपने कारणों से हम एक दूसरे पर दोषारोपण करते है और अपने समर्थक अपराधी को निर्दोष बताकर सरंक्षण देते है । प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने एक दूसरे पर मजदूर आन्दोलन मे अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया । अनतत: दोनों लोग सहमत हुये , हिन्द मजदूर सभा और इंडियन ट्रेड यूनियन काँग्रेस ने अपने अपने स्तरों पर जाँच कराई , अपराधी चिन्हित हुये और दोनों ने बेहिचक अपराधी तत्वो को बाहर का रास्ता दिखा दिया । केरल मे इसी तरह के किसी प्रयास की जरूरत है । किसी न किसी को आगे बढकर बेहिचक हत्या कर रहे राजनैतिक अपराधियों को केरल से बाहर निकालने का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए ।
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5 टिप्पणियाँ
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Ganga Prasad Yadav असम्भव कृप्या आज के परिपेक्ष्य मे यह सम्भव नही है !
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जवाब देंकल 09:13 पूर्वाह्न बजे
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Kaushal Sharma मतलब राष्ट्रीय नेताओं का अपनी स्थानीय इकाईयों पर अंकुश खत्म हो गया है और अब सदभावना की बात करना देशहित मे नहीं है ।
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जवाब देंकल 09:17 पूर्वाह्न बजे
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Prakash Sharma Kaushal Sharmaजी माना कि आपको अपना प्रारम्भिक चिंतन और उसकी धारा सहज नही लग रही या सिर्फ सत्ता के विरोध में ही लिखने का आजकल फैशन बन गया(सस्ती लोकप्रियता का उलाहना दे नही सकता आपको व्यक्तिगत जनता हु)किंतु कभी तो सही लिखा कीजिये हिंसा सोंच समझ कर हो रही है पूरी दुनिया मे आतंकवाद के लिए तीन M की विचारधारा ही जिम्मेदार है
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कल 09:30 पूर्वाह्न बजे
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Kaushal Sharma आदरणीय प्रकाश जी
मेरीप्रारम्भिक चिंतन धारा की सहजता, असहजता या सस्ती लोकप्रियता का सवाल यहाँ नहीं है । मैंने केरल की हिंसा पर टिप्पणी की है और अपनी अक्ल के अनुसार उसके समाधान के लिए दोनों संगठनों के शीर्ष नेतृत्व से पहल करने का निवेदन किया है । मैंने ह
िंसा के लिए किसी पर दोषारोपण नहीं किया है । केरल मे इसके पहले वामपंथियो और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कार्य कर्ताओ के बीच भी हिंसा होती थी इसलिए मैने एक सुझाव दिया है जिसे आप माने या न माने लेकिन मुझे सुझाव देने का अधिकार है और मेरे इस अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए ।
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जवाब देंकल 09:45 पूर्वाह्न बजे
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Prakash Sharma Kaushal Sharmaji क्रिया प्रतिक्रिया के सामान्य वैज्ञानिक सिद्धान्त के प्रकाश में लिखिए माननीय
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जवाब देंकल 09:52 पूर्वाह्न बजे
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Kaushal Sharma क्रिया प्रतिक्रिया का सिद्धान्त , बदले का सिद्धान्त है जो भारतीय संस्कृति की मूल अवधारणा के प्रतिकूल है । कम से कम मै किसी भी एक पक्ष की हिंसा का समर्थन नहीं कर सकता ।
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जवाब देंकल 10:32 पूर्वाह्न बजे
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Prakash Sharma वाह कौशल जी वाह फिर तो राम को जानकी जीको हर मूल्य वापस लाने के बजाय कई सीताये और भेज देनी चाहिए थी उन्हें प्रतिक्रिया नही करनी चाहिए था क्यों क्लीव बनाने में लगे हैं वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को
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जवाब देंकल 01:11 अपराह्न बजे
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Kaushal Sharma मित्र क्षमा करें, भगवान राम माँ सीता में हम सबकी आस्था निहित है । उनका उदाहरण न दे । केरल मे धर्म युद्ध नहीं हो रहा है । विशुद्ध राजनैतिक वरचसव के झगड़े है इसलिए मै चाहता हूँ कि दोनों संगठनों के शीर्ष नेतृत्व को लोकतांत्रिक तरीके से अपने अपने हिंसा समर्थक कार्य कर्ताओ पर अंकुश लगाने का प्रयास करने से हिचकना नही चाहिए ।
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जवाब देंकल 02:08 अपराह्न बजे
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Prakash Sharma धर्म युद्ध ही है आप माने या ना माने राम और कृष्ण सिर्फ आस्था नही है ऐतिहासिक उदाहरण है लेकिन आपकी नजर में तो धर्म अफीम और धर्म शर्स्त्र अफीम का पौधा
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जवाब दें23 घंटे
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Chandra Shekhar Singh आज का कामनियुस्त सत्ता के लालच मे यही सब करता है भला हो जो इंसे अपना जान बचा ले
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जवाब देंकल 03:42 अपराह्न बजे
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Kuldeep Saxena सहिष्णुता से सनी माटी का लेपन कर दोनों को इस देश की सांस्कृतिक धारा में तपने की आवश्यकता है।एक के Role models मार्क्स लेनिन औऱ माउत्से तुंग हैं तो दूसरे के हिटलर मुसोलनी औऱ ट्रम्प।कैसे सपरी।
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7 घंटे
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