केरल मे वामपंथी कार्य कर्ताओ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों के मध्य हिंसक प्रतिद्वंदिता अपने चरम पर है । आये दिन वीभत्स तरीके से किसी न किसी की हत्या हो रही है । अच्छी तरह समझना चाहिए कि जिसकी हत्या हुई है , वह एक समान्य राजनैतिक कार्य कर्ता हो सकता है परन्तु जो हत्या कर रहा है , वह किसी भी संगठन का हो , राजनैतिक कार्य कर्ता नहीं है , केवल और केवल अपराधी है । ऐसे लोगों के साथ अपराधियों जैसा ब्यवहार किया जाना चाहिए इसलिए दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व को आपस मे बैठकर राजनैतिक लाभ हानि को भुलाकर इस प्रकार के अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल प्रयास शुरू करना चाहिए । किसी भी प्रकार का अपराधी हो , सम्पूर्ण समाज के लिए घातक होता है परन्तु अपने अपने कारणों से हम एक दूसरे पर दोषारोपण करते है और अपने समर्थक अपराधी को निर्दोष बताकर सरंक्षण देते है । प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने एक दूसरे पर मजदूर आन्दोलन मे अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया । अनतत: दोनों लोग सहमत हुये , हिन्द मजदूर सभा और इंडियन ट्रेड यूनियन काँग्रेस ने अपने अपने स्तरों पर जाँच कराई , अपराधी चिन्हित हुये और दोनों ने बेहिचक अपराधी तत्वो को बाहर का रास्ता दिखा दिया । केरल मे इसी तरह के किसी प्रयास की जरूरत है । किसी न किसी को आगे बढकर बेहिचक हत्या कर रहे राजनैतिक अपराधियों को केरल से बाहर निकालने का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए ।
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