Monday, 17 July 2017

अब आई.ए.एस. भी सत्तारूढ़ दल के


अब आई ए एस भी सत्तारूढ़ दल के
मोदी सरकार की नई पहल , सरकारी वकीलों की तरह अब आई ए एस भी बनाये जाँयेगे । मतलब पढो लिखो नहीं, केवल स्थानीय विधायक या सांसद की चरण वन्दना करते रहो , जिलाधिकारी न सही, यस ड़ी एम बनने का अवसर तो मिल ही जायेगा । इस प्रकार की पहल प्रतिभा और प्रतियोगिता को नष्ट करने का मार्ग प्रशस्त करेगी । सम्पूर्ण देश मे सरकारी वकीलों की नियुक्ति का अधिकार सरकारों को प्राप्त है और उसमे मेरिट की अनदेखी आम बात है ।किसी भी दल की सरकार हो , सबने निरलजजता पूर्वक मनमानी की है और उससे लोकहित कुप्रभावित हुआ है । अपने उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और मायावती ने पूरे प्रदेश में एक साथ सभी सरकारी वकीलों को हटाकर अपनी पार्टी के वफादारो की नियुक्ति करके नये कीर्तिमान स्थापित किये है । इस मनमानी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और विधि आयोग ने भी अपने सुझाव दिये है परन्तु किसी सरकार ने उनका अनुपालन नही किया । योगी सरकार ने भी पिछ्ले दिनों उच्च न्यायालय में 311 सरकारी वकीलों की नियुक्ति की है और उनमें से कई ऐसे है जिन्होने हाई कोर्ट का कभी मुँह नहीं देखा । ऐसे महानुभावों से लोकहित की रक्षा करने की अपेक्षा करना कितना न्याय संगत होगा? केवल भगवान ही जानते है ।जनपद न्यायालय के समक्ष जमानत प्रार्थना पत्रों के निस्तारण के समय अभियुक्त का वकील विवेचनाधिकारी या सरकारी वकील के पास रहने वाली केस डायरी को देखकर बहस करता है । इसके आर्थिक लेन देन की जानकारी सबको है परन्तु चहेतो का भ्रष्टाचार किसी को नहीं दिखता । अब सोचिए सरकारी वकीलों की नियुक्ति मे सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद मेरिट की अनदेखी जारी है तो आई ए एस की नियुक्ति का क्या हाल होगा ? राजनेताओं की नकारा सन्तानें फिर संसद या विधान सभा में नहीं, जिलाधिकारी कार्यालय मे बैठकर हम पर शाशन करेंगी ।
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28 टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
Adv Vikas Yadav यह देश के साथ खिलवाड. है..
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कल 04:39 अपराह्न बजे
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Sanjay Kumar Singh भाई साहब 
अंधो के आगे रोना,
अपना दीदा खोना ।
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कल 04:39 अपराह्न बजे
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Nareshhs Sharma जैसा अब तक होता आया है उससे कु,छ भी अलग की उम्मीद मत कीजिये ,ये राष्ट्रवादियों की सरकार है ,विरोध करेंगे तो राष्ट्रद्रोही -गद्दार कहे जायेंगे I
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कल 04:43 अपराह्न बजे
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Ashwani Tripathi Par updesh kushal bahutere!
Je aachrahin te nar n ghanere! 
Ramayana ki chapai Aaj yuhi yaad aaa gai socha aaap sab ke sath share karun.
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कल 04:51 अपराह्न बजे
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Vinit Shukla What a misfortune of the country !अनुवाद देखें
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कल 04:58 अपराह्न बजे
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Nadeem Rauf Khan Har har modi ghar.......
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कल 05:03 अपराह्न बजे
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Adv Manharan Gopal Awasthi देश बदल रहा है जनाब ,अभी देखिये की क्या होता है।
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कल 05:04 अपराह्न बजे
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Advo Sushil Kumar Pandey मित्र , जो प्रतियोगिता मेपास होकर गये है , उन्होने ही कौन स आदर्श का उच्च मानदण्ड स्थापित कर दिया | और देश से भ्रष्ट्राचार व बेकारी भगा दिया |
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जवाब देंकल 05:18 अपराह्न बजे
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Rekha Sharma ये देश ही नही आम जनता के साथ भी खिलवाड़ है।
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कल 06:08 अपराह्न बजे
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Kushagra Pandey सर आप बिल्कुल सही बोल रहे है
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22 घंटे
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Prabhat K. Tiwari Har sarkar manmani karti h
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20 घंटे
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Arvind Kumar कल से हर शाख़ पे उल्लू बैठेंगे 
सोचो अंजामे हिन्दोस्ताँ क्या होगा
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20 घंटे
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Prabhat K. Tiwari Sabhi sarkari vakeel ek se ni hote. aise bhi hue h Jinhone kabhi case diry kisi ko ni di.
Agar prosicution se koi private vakeel appear hua to case khud argue kiya h.
Mere father Late shri Vishnu kumar Tewari iske udahran h
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जवाब दें20 घंटे
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Kaushal Sharma मैंने सबके लिए नहीं, वर्तमान दौर की बात की है और उसमे कुछ गलत हो ,तो आप त्रुटि सुधार अवश्य करें ।
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19 घंटे
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Sangeeta Sharma Abhi to us angdai hai
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19 घंटे
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Sangeeta Sharma Ye angdai
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जवाब दें19 घंटे
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Anjani Kumar Mishra येे तो तानाशाही शासन स्थापित करने की ओर बढ़ता हुआ कदम है नौकरशाही पर कब्जा होगा, चुनाव आयोग पर और अंत मे न्याय व्यवस्था पर मोदी सरकार की कोशिश यही है
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18 घंटे
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Ramesh Trivedi Thik batt
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18 घंटे
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Pradeep Bajpai ये केवल एक जाति के लिए जीने वाले सोचे।हम तो शबक शाथ शबक विकास की नीति पर चलने वाले लोग है।
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जवाब दें18 घंटे
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Prakash Sharma स्वतंत्रता के बाद सरकारें बदली, सोच बदली लेकिन ब्यूरोक्रेसी में कोई अन्तर नहीं हुआ। अंग्रेजों के द्वारा स्थापित लोक प्रशासन आजादी के बाद भी भारत को अपना गुलाम ही समझता आ रहा है। सरकारें बदल जाती हैं लेकिन शासन अपने स्वभाव के अनुसार ही कार्य करता है। लो...और देखें
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18 घंटेसंपादित
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Prakash Sharma डर वाजिब है लेकिन एक बार भरोसा तो करना ही पड़ेगा विश्वास रखिये
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17 घंटे
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Rakesh Chandra Bajpai टिप्पणी विचारणीय है, लोक प्रशासन के लिये शैक्षिक योग्यता से अधिक व्यवहारिक ग्यान अधिक महत्वपूर्ण है। नैतिकता और ईमानदारी निश्चत ही आवश्यक घटक है। प्रतियोगिता पास करके आना उनके व्यवहारिक , नैतिक और ईमानदार होने की गारंन्टी नही हो सक्ता। कई बार लोक प्रशा...और देखें
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12 घंटे
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Rakesh Chandra Bajpai जब बच्चा बोलने लगता है, तो हमारी प्रतिभाशाली माताओं की पहली चिंन्ता किसी ब्रंडेड कानवेंट स्कूल में एडमिशन के लिये उसके पहले इंटरव्यू की तैयारी कराने की होती है और उसे पहली पोयम सिखाई जाती है। जानी जानी यस पापा। ईटिंग सुगर। नो पापा। ओपेन योर माउथ। ह ह: हा।
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जवाब दें11 घंटे
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Kaushal Sharma राकेश जी
अपना देश संविधान से शासित होता है और संविधान की मूल अवधारणा मे संशोधन का अधिकार संसद को भी नहीं है ।खुली प्रतियोगिता मे सभी को अवसर मिलते है । अब गरीब परिवारों के बच्चे भी अपनी मेहनत के बल पर आई ए एस बनने लगे है इसलिए कोई भी चोर दरवाजा आम लोगो
...और देखें
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जवाब दें11 घंटे
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Sudhir Kumar Mishra इस विधा का घोर विरोध होना चाहिए
योग्यता पर आरक्षण कतई स्वीकार नहीं होना चाहिए... 😡😡
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8 घंटे
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Sudhir Kumar Mishra शर्मा जी मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ..
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8 घंटे
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Kuldeep Saxena स्थिति चिंतनीय है।समस्त संवैधानिक संस्थानों की मर्यादाओं पर प्रहार जारी है।
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8 घंटे
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Prabhakar Mishra · 6 आपसी मित्र
यदि सरकार इस तरह का कोई निर्णय लेने पर विचार कर रही है तो यह देश की प्रतिभाओ के लिये खराब संकेत है
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6 घंटे
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