Wednesday, 30 May 2018

घर एक मन्दिर है


घर एक मन्दिर है
एलन गंज स्थित टेफको कालोनी के592 श्रमिक परिवारों को उनके " घरों " से जबरन बेदखल करने का निर्णय श्रमिक कालोनियों के सभी निवासियों के लिए खतरे की घंटी है । सबको आवास देने का वायदा करने वाले हुकमरान अपना वायदा भूल गये है । सबको पता है का एलन गंज कालोनी टेफको के श्रमिकों को आवास उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई थी । वर्षो से श्रमिक परिवार उसमे निवास कर रहे है । आम लोगों के लिए उनका " घर " खुद मे एक मन्दिर होता है लेकिन सरकार इसे मानने के लिए तैयार नही है । सरकार को हाईकोर्ट के समक्ष खुद पैरवी करके श्रमिकों के हितों का बचाव करना चाहिए था।
सरकार की जबर्दस्ती देखकर लगता है कि इन कालोनियों की जमीन को वे प्रॉपर्टी डीलर की आँख से देखने लगे है । इन कालोनियों को किसी प्रॉपर्टी डीलर के हाथों बेचने से अच्छा है कि तर्क संगत कीमत तय करके उसके निवासियों को ही उसे बेच दिया जाये ।एक बार सोचिये कहाँ जायेंगे 592 परिवार ? इन कालोनियों मे आज भी गरीब परिवार रहते है ।वे अपना सब कुछ बेचकर भी किसी बिलडर के अपार्टमेंट मे एक घर नही खरीद सकते ।उन्हे कभी इतना वेतन नही मिला जो उनके दिन प्रतिदिन के एकदम जरूरी खर्चो से ज्यादा हो ।दस तारीख के बाद पहली तारीख का इन्तजार करते उनकी जिंदगी बीत गई । कहाँ से फ्लेट खरीदेगे ?
भाई नेहरूजी को देशद्रोही बताते आप सब थकते नही लेकिन अपने कानपुर के जूही मुहल्ले मे श्रमिकों की आवासीय दुर्दशा देखकर उनहोंने ही वहीं मौके पर खडे खडे श्रमिकों के लिए सस्ते और आरामदेह " घर " की योजना बनाई और आवश्यक धन का प्रबन्ध किया था । उस समय कहा गया था कि प्रतिमाह किराये से जब पूरी लागत वसूल हो जायेगी, तब इनका स्वामित्व उसके अधयासी को ट्रांसफर कर दिया जायेगा। 1978 मे जनता पार्टी की सरकार ने इस आशय का एक नया शासनादेश भी जारी किया है । इस शासनादेश को आधार बनाकर सरकार एलन गंज कालोनी के निवासियों को राहत दी जा सकती है
यह कहना एकदम गलत है कि हाई कोर्ट का आदेश होने के कारण सरकार मजबूर है । अपनी संवैधानिक व्यवस्था मे सरकार मजबूर नही होती , सरकार हम सबके आराध्य ब्रह्मा विष्णु महेश का संयुक्त अवतार होती है , सुस्थापित विधि है कि सरकार के नीतिगत निर्णय पर न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकते । सरकार ने अभी कुछ ही दिन पहले नेगोशियेबल इनसट्रूमेनट एक्ट के एक मामले मे सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को विधि बनाकर बदल दिया है । श्रमिकों की कालोनियों के मामले मे नेहरू युग का निर्णय अभी जिन्दा है , जनता पार्टी की मोरारजी भाई सरकार ने इस निर्णय को नये सिरे से पुनर्जीवन दिया है । उसके अनुपालन मे उड़ीसा, बिहार और दिल्ली की सरकारों ने श्रमिक बस्तियों का स्वामित्व एक भी पैसा लिए बिना उसके बाशिन्दों को दे दिया है । अपनी वर्तमान सरकारों को भी उड़ीसा बिहार और दिल्ली की सरकारों का अनुकरण करके एलन गंज स्थित टेफको कालोनी के बाशिंदों को बेघर होने से बचाना ही चाहिए ।यह सच है कि श्रमिक बस्तियाँ नेहरू युग की स्मृतियाँ है परन्तु इन बस्तियों मे सभी जाति धर्म और सभी दलो के समर्थकों को एक "घर " मिला हुआ है । नेहरू युग की स्मृतियों को नष्ट करने के लिए गरीब परिवारों को बेघर मत करो ।
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34 टिप्पणियाँ
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Prem Kumar Tripathi कौशल जी लगता है सरकारें अब जनकल्याण को दृष्टिगत रखते हुए कार्य नहीं कर रही है। सरका रे व्यापारिक दृष्टिकोण से काम कर रही है। अभी हाल ही में जूही में एक बहुत बड़ी जगह के डी ए ने खाली कराई है केडीए की योजना वहां पर रहने वालों को फ्री में मकान देने तथा अवशेष भूमि को मल्टीस्टोरी में परिवर्तित कर बाहरी लोगों को देने की योजना है अगर सरकार चाहे तो ऐसी योजना बनाकर इस तरह की कालोनियों में में रह रहे लोगों को सर ढकने के लिए जगह दे सकती है अवशेष भूमि पर अपना व्यापारिक उद्देश्य पूरा कर सकती है।
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Asit Kumar Singh मेहनतकश वर्ग के खिलाफ भूमाफियाओं की साज़िश है जिसमे व्यवस्था के सभी अंग शामिल हैं।
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मनीष अवस्थी एडवोकेट दादा हर चीज को बीजेपी कांग्रेस से जोड़ना आवश्यक है क्या?
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Dinesh Yadav पूरे कनपुरिये भाइयोंको और बहनों को मय बाल बच्चोंके इस मसलेपर साथसाथ एकजुटहोकर मदद करना ही चाहिए,तुरंत वरना कल बाकी का नम्बर लगने वालाहै राधेराधे
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Vinod Tripathi प्रशासन ने कांसीराम आवास योजना में मुफ्त में मकान देने के लिए सेटलमेंट कॉलोनी के निवासियों को फॉर्म भर कर मकान देने के लिए कहा था, किन्तु एक भी निवासी ने फॉर्म नहीं भरा ,बल्कि इंकार कर दिया।
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Dinesh Yadav जबहमसबलोगअपनेघरमेंही रहरहेहैंतो काहे फॉर्मजमा करें ,सरकारक्या केवल घण्टा बजानेकेलिए है गायऔर गंगाको गन्दा करके शर्मनाक कुकृत्य है प्रजापालक अब प्रजाके हत्यारे क्योंहोगएहैं राधेराधे
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Vinod Tripathi इस लिए फॉर्म भरे की वो जमीन वहाँ के निवासियों की नहीं है ।
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Dinesh Yadav Vinod Tripathi जब चाहेंतो मार दो जब चाहोतो वोट ले लो अरे सरकार तुमभी पहले पब्लिक ही थे भूलो मत
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Aditya Dwivedi ये जगह वालमार्ट के लिए खाली करायी गयी है। यहाँ वालमार्ट का ऑफिस बनेगा।
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Prakash Sharma सबको आवास देने के वादे का मतलब कही भी कब्जा कर रहो कोई नियम नही कोई कानून नही क्याKaushal Sharmaजी, वो जो पान की दुकान किये था न लखपति है आज की तारीख में
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Kaushal Sharma आदरणीय प्रकाश जी 
एलन गंज कालोनी मे सभी निवासी टेफको श्रमिकों के परिजन है और उनमे कोई अवैधानिक अधयासी नही है ।हो सके तो उनकी मदद कीजिये।
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Prakash Sharma Kaushal Sharma आप मुझे वास्तविकता से परिचित कराए और मार्ग बताये मैं जरूर बताऊंगा, इस समय सरकार के पास जिस प्रकार के आवास तत्काल उपलब्ध है उनकी पेशकश की थी उनलोगों ने मना कर दिया ऐसा पता चला है
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Ambuj Agarwal Prakash Sharma सरकार द्वरा उपलब्ध आवास में जाना न्यायोचित है
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Ashish Mishra Ambuj Agarwal जी और सरकारी जमीन को बिल्डरों के हाथों बेच देना कहा का न्याय है?
दूसरी बात हर सरकार की नियत हमारे शहर जो एक समय मे इंडिया का मेनचेस्टर था उसकी शान को बढ़ाने वाली शहर की गौरव गाथा मीलों का हश्र आज किसी से छुपा नही है, स्वदेशी हो या टेक्सटाइ
ल, ललाइमली हो या धारीवाल, एल्गिन 1 या 2 हो या म्योर सब के सब आप के सामने उदहारण है...
पूरे देश मे स्टार्ट अप / स्टैंड अप आदि की पहल पर भी बहुत खर्च हुआ है जबकि हमारे शहर में ऐसी मिले मौजूद थी जो हजारो बेरोजगारो को रोजगार दे सकती है और कुछ मिले थी कि श्रेणी में आ गयी है क्योंकि वो आज बिक भी गयी है और उसकी जगह खाली वीरान पड़े मैदान है जो आगे चल कर राजनीतिक महत्वाकांछा को पूरी करके उन हजारो लाखो श्रमिको की उम्मीदों और शहरवासियो की उम्मीदों पर ......😢
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Narendra Kumar Singh इसमें संघर्ष की आवश्यकता है मिलकर संघर्ष करने की जरूरत रूपरेखा बनाई जाए
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Robby Sharma सरकार जमीनो की सबसे बङी माफिया है। अब नई वाली सरकार के बिल्डर दलाल जमीन पर नजरें गङाये होंगे। 50 वकील बङे बङे खङे थे इस मामले मे एक भी मजदूरों की तरफ नही ये सत्ता पक्ष के बिल्डरों के हक का फैसला है और ऐसा फैसला जिसमे जज ने जिलाधिकारी को डराया भी है कि वो विशेष ध्यान दें कि कम्पनी के पुराने कर्मचारियों को तो खाली करने का नोटिस बिल्कुल ही ना दें। मैने आज तक ऐसा फैसला नहीं देखा।
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Manoj Tripathi Government Paiso walo kei sath Hai
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Narendra Kumar Singh क्या पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी ऐसे सरकार हटाएगी
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Rajendra Kumar Verma Sir ji kya police line;tp line me galat tarike se rah rahey log nahi dikh rahey vanha to chori ki bijali aur pani use ho raha hai
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Adv Shree Prakash Tiwari ऐसा प्रतीत होता है कि सरकारें खुद व्यापारी या बिल्डर हो गई है पहले श्रमिकों को बेरोजगार किया अब बेघर करने पर आमादा हैं
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Ganga Prasad Yadav वर्तमान सरकार लोक कल्याण की सरकार है मा•प्रधान सेवक से लेकर मा•योगी जी की सरकार ने कोई बेरोजगारी नहीं फैलाई बल्कि रोजगार परक बनाने के लिए भरपूर प्रयास करते रहने की ओर कृत संकल्प है ?क्या आप सरकारी योजनाओ से भिज्ञ नहीं है? संध कार्यालय में उपलब्ध सहित्य पढ़ने का प्रयास कर चेतना जाग्रत करने का यत्न करे!
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Kaushal Sharma ज्ञान न बाॅटो , योगी अखिलेश या मायावती की सरकार की कार्य संस्कृति मे कोई अन्तर नही है । पैसे का लेन देन बदस्तूर जारी है । अखिलेश और मायावती द्वारा नियुक्त सभी सरकारी वकील पैसा लेकर अपराधियों को अनुचित लाभ पहुँचा रहे थे , तो आज योगी सरकार द्वारा नियुक्त सरकारी वकील भी वही सब धतकरम कर रहे है जो सपाई या बसपाई किया करते थे । कचहरी मे सरकारी वकील , तहसील मे लेखपाल , कानून गो , नगर निगम मे सेनेटरी इनसपेकटर, विका श प्राधिकरण मे जे ई बिना पैसा लिए काम नही करते । थाने मे दरोगा कल भी राक्षस था , आज भी राक्षस है । भाषण मत दीजिये, एक विधायक जी ने हमारे एक मित्र के मकान मे विधायकी के प्रभाव मे जबरन कबजा करा दिया है ।केवल चेहरे बदले है , कार्य संस्कृति जस की तस है ।
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Narendra Kumar Yadav गंगा प्रसाद जी कोल्हू के बैल वाला चश्मा हटाके देखो हिम्मत और हैसियत हो तो हमारे साथ चलो तुम्हें दिखाये खनन उधोग सपा ने लगाया था बेशक।लेकिन योगी सरकार में योगी की बिरादरी के लोग उन अहीरो से ज्यादा नहीं बहुत ज्यादा खनन करा रहे हैं दो सौ डमफर रात में चलते हैं खुद कह दोगो कि हां ठीक है ।
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Narendra Kumar Yadav गंगा प्रसाद खुद कहोगे कि ये कैसे हो रहा है।
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Narendra Kumar Yadav इतनी बडी रिशक सब के बूते की बात नहीं है।
हत्या बिठूर से नवाबगंज के बीच होगी नाम सहित एफ,आई, आर, पचास प्रतियो में तैयार हैं।
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Sudhakar Mishra जनता से नहीं है कोई सरोकार
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Anoop Gautam सबको घर देने का वादा करने वाली सरकार कहा है
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Ambuj Agarwal प्रदेश सरकार को सभी एलेन गंज सेटेलमेंट निवासियों को जो आवास BPL ओर प्रधानमंत्री आवास योजना के े तहत आवास उपलब्ध कराने चहिये और अगर सरकार चाहे तो एलेन गंज में ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बहुमंजली आवास योजना में माकान बनाके देने चहिये बाकी ये ऋण वसूली के तहत कार्यवाही हो रही है जो जायज है
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Kaushal Sharma अमबुज भाई 
ॠण मजदूरों या निवासियों ने नही लिया है । सरकार इच्छा शक्ति बना ले तो निवासियों को बेघर होने से बचाया जा सकता है । सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष सही तथ्य प्रस्तुत नही किये । कालोनी मे कोई अवैधानिक अधयासी नही है।
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Dinesh Yadav बहुतज्यादाहै आपका सुझाव अगर अबभी सरकार होशमें नहीं आईतोक्या जाने 2019 अंतरिक्षमेंही बीतेगा इनकी बुलेटट्रेनका राधेराधे भईया जी
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Dinesh Yadav सरकार मजदूरवर्गके परिवारके लोगोंका कर्ज भरके उनकी सुरक्षा करें जैसे किसानोंका करनेकी बात करतेहैं सरकार जी हैं मदद करें केंद्रसरकार और प्रदेशसरकार जी अबतो अखण्ड भारतमें सरकारका जलवा है अगर एलनगंज कॉलोनीनिवासी लोग बेघर हुए तो फिर सरकार घण्टा बजाते हुए रहेगी in 2019 नोट कर लियाजातातो बेहतरहोगा कानपुरसे डरो सरकार क्रांतिकारी शेर शहर है राधेराधे
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Shiv Kumar Dixit वेलफेयर स्टेट की अवधारणा शायद वर्तमान सरकार को अच्छी न लगती हो।
छायाहीन जन समूह प्रतिपल जनधन से सुरक्षा घेरे में रहनेवाले जनप्रतिनिधियों के पैरोंतले की जमीन को हथियाना जानते हैं।
सावधान होना चाहिए।

क्रूरतकी आयु लम्बी नहीं होती।
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Sanjay Verma Nice sir hum sab Adv aap ke sath hi
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Chandra Shekhar Singh व्यापारी सरकार से कुछ उम्मीद नहीं करे
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अपने आप अनुवाद किया गया
4 दिन
Narendra Kumar Yadav कौशल भाई आपके साथ हूं। जहां भी तलब करेंगे हाजिर मिलूंगा।
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Sanjay Jha सरकार की जबरदस्ती या हाई कोर्ट का ऑर्डर
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Kaushal Sharma सरकार की जबर्दस्ती नही , अदूरदर्शी है । कर्ज यहाँ रह रहे लोगों ने नही लिया , फिर उसकी वसूली के लिए इनके घर क्यो खाली करायें जायें? यह सभी तथ्य हाई कोर्ट के सामने सरकार को बताने चाहिए थे हाई कोर्ट के सामने सरकार ने सही ढंग से पैरवी नही की है इसलिये मजदूर परिवारों के सामने बेघर होने का खतरा पैदा हुआ है ।
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Bajpai Arvind सायेद बहुत देर हो गई है
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Deepak Vasant Deshpande क्या हम आज भी मूक दर्शक बने हुए हैं?
यह तो पहले ही अनुमान था कि यह पूंजी पतियों की सरकार है इसके पहले की इनके इरादे सफल हो हमे कुशल नेतृत्व व आंदोलन की आवश्यकता है
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Janardan Dwivedi Although I agree with you for sympathic consideration but unoutherised occupants should be evicted.
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जवाब देंअनुवाद देखें3 दिन
Sunil Mishra टेफ्को के कर्मचारियों के अलावा घुसपैठिये भी काबिज है, ये सच है इस बेशकीमती जमीन पर बिल्डरों की निगाहें चौकस है
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Rajiv Batia Unathorised Occupation is a big issue in solving such problems.
Redevelopment with Preferential Sale to Original Allottees and Power of Attorney/Ceritifiable transfer or Through some special Provision based on RERA and Technology based research does have a solution.


Saksham Bhatia
Shiv Baran Yadav
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जवाब देंअनुवाद देखें3 दिन
Ganga Prasad Yadav मै आज कालोनी गया था!मौके पर देखकर बता रहा हू सभी वर्गो का समावेस जरूर था किन्तु वहाँ पर केवल श्रमिको के नाम पर 10,15% श्रमिक परिवार रहते है !परिसर के अंदर एक मैगी प्वाइंट्स के नाम पर शहर के अभिजात्य वर्ग के लिए फुल मौज-मस्ती पूल खेलने से लेकर सभी खेलखेलते थे! प्रकाश जी ने तो केवल एक पान वाले के बारे मे जानकारी दी! कालोनी के नाम पर सभी सुविधाओ से सम्पन्न थी श्रमिक कालोनी प्रशासन ने त्वरित डूडा एवं तहसील कर्मचारियो द्वारा कालोनी आवंटन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी जो लगातार चलती रहेगी!
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Narendra Kumar Yadav गंगा प्रसाद जी जब ग्वाल टोली में मकानों के अर्जन का कार्य शुरू हुआ तो मुझे याद है कि प्रापर्टी अफसर के, प्रताप सिंह हुआ करते थे तुरंत एलाटमेंट पत्र और नगर महापालिका की गाड़ी में सारा सामान लादकर ईदगाह कालोनी ढकना पुरवा बाबूपुरवा आदि में भेज देते थे जो बोना फाइडी परसन है उन्हें कालोनी मिलनी चाहिए।
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Rakesh Chaurasia सबसे बडा़ पक्ष वहाँ रहने वाले लोगों के प्रति सबकी संवेदना का होना, और सबसे बडा़ लक्ष्य सबको ईन्सानियत का इन्साफ कैसे मिले बात कोई गरीब और अमीर की नहीं बात सरकार के जमीर की है और इन्सानियत को इन्साफ मिले इस नजीर और नजरिये की है जिसका ध्यान न कोर्ट ने दिया न सरकार और प्रशासन ने दिया इसकी उच्चकोटि की न्यायिक जाँच होनी चाहिए ये तो जनमानस को रौंदने वाली प्रक्रिया है जो अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं थी क्या लोकशाही ताकतवरों की गुलाम है ? कब तक एक साधारण आदमी के साथ ये खिलवाड़ होता रहेगा कानून-व्यवस्था के नाम पर लोग वास्तविक न्याय के लिए किसका इन्तजार करते है क्यों नही मानवता की रक्षा के लिए पूरी एकजुटता के साथ सड़कों पर निकलते है.जय हिंद
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Narendra Kumar Yadav चौरसिया साहब बहुत अच्छा सुझाव और विचार है आपके मैं फिर कह रहा हूं और कहता ही रहता हूं कि ये काले अंग्रेज, संवेदन शून्य है गोरे इनकी अपेक्षा ज्यादा संवेदनशील थे।
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