गरीबी बेकारी अशिक्षा बीमारी भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए भारत के लोगों ने प्रधानमंत्री के रूप मे प्रख्यात अर्थ शास्त्री श्री मन मोहन सिंह की विदाई की थी इसलिये हम भारत वासियों को आपकी कापी जाॅचने का अधिकार है परन्तु आप हिन्दू मुस्लिम का बवंडर खड़ा करके अपनी कापी जॅचाये बिना विशेष योग्यता के साथ पास कर देने का दबाव बना रहे है । आप 2014 का घोषणापत्र और विजन डाकयूमेनट लेकर आइये और बताइये कि हमने " जो कहा , सो कर दिया " यदि आपने जमीन पर अपनी घोषणाओं को अमली जामा पहनाया है तो आपको यह कहने की कोई जरूरत नही है कि 2014 के पहले देश मे गरीबी बेकारी अशिक्षा बीमारी भ्रष्टाचार नही था क्या? खुला सच है कि सब कुछ था । हम आप जैसे करोडों लोग इन समस्याओं को लेकर तत्कालीन शासकों को कोसते थे, उनहें भला बुरा कहते थे।
आजादी के बाद दिल्ली की सडकों पर " नेहरू तेरे राज मे, पुलिस डकैती करती है " के नारों के जवाब मे कांग्रेस के कार्य कर्ताओ ने कभी नही कहा कि " अंग्रेजों के जमाने मे डकैती नही पडती थी क्या?" छात्रावास की मेस मे बढी फीस के विरूद्ध शुरू हुआ छात्र आन्दोलन अन्ततः तत्कालीन शासकों के पतन का कारण बना । अब्दुल गफूर की चुनी हुई सरकार को भंग करने की माॅग के लिए हमने जबरदस्त आन्दोलन किये थे । लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व मे ब्यवस्था परिवर्तन की लडाई सारे देश मे लडी गई। आप भूल गये केन्द्र मे मोरारजी देसाई के नेतृत्व मे बनी सरकार इसी आन्दोलन प्रतिफल थी । जनता पार्टी सरकार ब्यवस्था परिवर्तन मे नाकाम सिद्ध हुई। वी पी सिंह के नेतृत्व में फिर भ्रष्टाचार के विरूद्ध एक नई मुहिम शुरू हुई। राजीव गाँधी हट गये , वी पी सिंह प्रधानमंत्री बन गये लेकिन ब्यवस्था परिवर्तन का रास्ता और ज्यादा अवरूद्ध हो गया । ब्यवस्था परिवर्तन की लडाई का शीर्ष नेतृत्व खुद भ्रष्टाचार का लाभार्थी हो गया ।आज देश के सामने छाती ठोंककर कोई राजनेता कह सकता है क्या कि उसने अपने चुनाव मे काले धन का उपयोग नही किया है?
हम आम लोग है , गरीबी बेकारी अशिक्षा बीमारी भ्रष्टाचार से हमारा रोज साबका पडता है । किसी भी सरकारी दफ्तर मे बिना पैसा दिये हमारा काम नही होता । पुलिस के अमानवीय चेहरे मे कोई परिवर्तन नहीं हुआ। कचहरी मे नोट बन्दी के पहले दस रूपया घूस लगती थी , अब बीस रूपये लगने लगी है । 2014 के पहले सरकारी वकील खुलेआम घूस लेकर अभियुक्तों को लाभ पहुँचाते थे , आज भी पहुँचा रहे हैं। सशस्त्र सेनाओं के लिए आपूर्ति मे भ्रष्टाचार कहीं कम नहीं हुआ। सब कुछ जैसा था , वैसा ही आज भी है । केवल चेहरे बदले है , भ्रष्टाचार के तरीके नही । जमीन पर बदलाव दिखना चाहिए और यदि नही दिखेगा तो हमारे जैसे आम लोग आलोचना करेंगे ही एक परीक्षक की तरह कापी जाचेगे और हमे देशद्रोही कहो , पाकिस्तानी कहो या हिन्दू विरोधी, हम नम्बर उतने ही देंगे , जितने कापी बतायेगी ।
आजादी के बाद दिल्ली की सडकों पर " नेहरू तेरे राज मे, पुलिस डकैती करती है " के नारों के जवाब मे कांग्रेस के कार्य कर्ताओ ने कभी नही कहा कि " अंग्रेजों के जमाने मे डकैती नही पडती थी क्या?" छात्रावास की मेस मे बढी फीस के विरूद्ध शुरू हुआ छात्र आन्दोलन अन्ततः तत्कालीन शासकों के पतन का कारण बना । अब्दुल गफूर की चुनी हुई सरकार को भंग करने की माॅग के लिए हमने जबरदस्त आन्दोलन किये थे । लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व मे ब्यवस्था परिवर्तन की लडाई सारे देश मे लडी गई। आप भूल गये केन्द्र मे मोरारजी देसाई के नेतृत्व मे बनी सरकार इसी आन्दोलन प्रतिफल थी । जनता पार्टी सरकार ब्यवस्था परिवर्तन मे नाकाम सिद्ध हुई। वी पी सिंह के नेतृत्व में फिर भ्रष्टाचार के विरूद्ध एक नई मुहिम शुरू हुई। राजीव गाँधी हट गये , वी पी सिंह प्रधानमंत्री बन गये लेकिन ब्यवस्था परिवर्तन का रास्ता और ज्यादा अवरूद्ध हो गया । ब्यवस्था परिवर्तन की लडाई का शीर्ष नेतृत्व खुद भ्रष्टाचार का लाभार्थी हो गया ।आज देश के सामने छाती ठोंककर कोई राजनेता कह सकता है क्या कि उसने अपने चुनाव मे काले धन का उपयोग नही किया है?
हम आम लोग है , गरीबी बेकारी अशिक्षा बीमारी भ्रष्टाचार से हमारा रोज साबका पडता है । किसी भी सरकारी दफ्तर मे बिना पैसा दिये हमारा काम नही होता । पुलिस के अमानवीय चेहरे मे कोई परिवर्तन नहीं हुआ। कचहरी मे नोट बन्दी के पहले दस रूपया घूस लगती थी , अब बीस रूपये लगने लगी है । 2014 के पहले सरकारी वकील खुलेआम घूस लेकर अभियुक्तों को लाभ पहुँचाते थे , आज भी पहुँचा रहे हैं। सशस्त्र सेनाओं के लिए आपूर्ति मे भ्रष्टाचार कहीं कम नहीं हुआ। सब कुछ जैसा था , वैसा ही आज भी है । केवल चेहरे बदले है , भ्रष्टाचार के तरीके नही । जमीन पर बदलाव दिखना चाहिए और यदि नही दिखेगा तो हमारे जैसे आम लोग आलोचना करेंगे ही एक परीक्षक की तरह कापी जाचेगे और हमे देशद्रोही कहो , पाकिस्तानी कहो या हिन्दू विरोधी, हम नम्बर उतने ही देंगे , जितने कापी बतायेगी ।
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