Monday, 28 May 2018

शर्म खुद में शर्मा गई, आँसू सूख गये


शर्म खुद मे शर्मा गई , आॅसू सूख गये
जिला प्रशासन ने जबरन टेफको कालोनी खाली कराके मजदूरों के इस शहर मे एक और वातानुकूलित व्यवसायिक काम्पलैक्स बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है । अब इस शहर को कारखाने , और उसमे काम करने वाले कामगार नहीं, व्यवसायिक काम्पलैक्स चाहिए और इसीलिए आज सैकड़ो श्रमिक परिवार बेघर कर दिये गये
परन्तु किसी सांसद या विधायक ने मौके पर खडे होकर जिला प्रशासन पर कोई लोकतांत्रिक दबाव नही बनाया । हाई कोर्ट के आदेश के बहाने चुप्पी ओढकर अपने बिल मे घुसे रहे । अपने सांसद विधायकों का आचरण देखकर अपने कानपुर मे आज शर्म खुद मे शर्मा गई और ऑखों मे ऑंसू सूख गये । मै आज खुद परेशान हूँ, शर्मिदा हूँ, मेरे कई मित्र जो टेफको कालोनी मे रहने वाले श्रमिक परिवारों की तरह के मजदूर परिवारों मे पैदा हुये है , आवासीय समस्या से जूझते रहे है , वे भी टेफको कालोनी को खाली कराने को जायज बता रहे है । इस कालोनी के लोग वर्ष 2001 से सामूहिक गरीबी और बेकारी से पीडित थे लेकिन रात मे भूखे पेट ही सही, सोने के लिए एक घर तो था , एक बार भी सोचा है , कल रात उन सबने कहाँ बैठकर खाना बनाया होगा ? , कहाँ सोये होंगे ? आज चिलचिलाती धूप मे उनके बच्चे कहाँ सिर छुपा रहे होंगे ?आम लोगों को घर मुहैया कराना संवैधानिक दायित्व है , घर से बेघर करना नही ।
काश आज कानपुर मे हरिहर नाथ शास्त्री जैसा कोई सांसद होता , जो अपने प्रभाव का प्रयोग करके प्रधानमंत्री से मिलता और उनहें जबरन बेघर किये जा रहे श्रमिक परिवारों की ब्यथा से अवगत कराता और उनहें याद दिलाता कि कानपुर मे श्रमिकों को आरामदेह घर दिलाने के लिए कालोनियाॅ बनाने की शुरूआत करके संविधान के नीति निदेशक तत्वो को लागू करने की दिशा मे देश एक कदम आगे बढा था इसलिए कालोनियों से श्रमिकों से बेदखल करने की शुरूआत कानपुर से ही करके नीति निदेशक तत्व के बढे हुये पहिये को पीछे लाने का धतकरम मत करिये । मुझे लगता है कि आज के किसी जनप्रतिनिधि ने प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट ही नही किया है । उन सबने इसकी अनदेखी करने मे ही अपनी भलाई समझी जबकि इस समस्या को प्रधानमंत्री के संज्ञान मे लाना उनका संसदीय दायित्व है।आप सबको पता ही होगा कि हरिहर नाथ शास्त्री प्रधानमंत्री नेहरू को जूही खलवा की एक मजदूर बस्ती मे ले गये थे , वहाँ की दशा देखकर नेहरू जी नाराज हुये और फिर वही खडे खडे श्रमिकों के लिए सस्ते और आरामदेह घर बनाने का नीतिगत निर्णय लिया गया और उस निर्णय के तहत देश मे सबसे पहले शास्त्री नगर कालोनी बनाई गई। अपने क्षेत्र की समस्याओं से सरकार को अवगत कराना ही सांसद विधायक का महत्वपूर्ण कार्य होता है परन्तु वर्तमान सांसद विधायक मंत्रियों के साथ फोटो खिंचाकर फ़ेसबुक मे पोस्ट करके अपने दायित्वों की इतिश्री कर लेते है ।
एक बात और स्पष्ट करना आवश्यक है । कालोनी खाली कराने मे हाई कोर्ट का आदेश महत्वपूर्ण कारक नही है। महत्वपूर्ण कारक है , हमारी व्यवसायिक संवेदनाएं जो मानवीय संवेदनाओं पर हावी है ।नेहरू युग मे कालोनियों का निर्माण मानवीय संवेदनाओं के प्रभावी रहने के कारण कराया गया था , अब व्यवसायिक हितों को ध्यान मे रखकर कालोनियाॅ खाली कराई जा रही है । याद करे , सरोजनी नगर मे मरियमपुर अस्पताल के पीछे चैन फैक्ट्री हुआ करती थी , आज वहाँ कई अपार्टमेन्ट बने हुये है । हम सबको समझना होगा शहर के महत्वपूर्ण स्थानो पर स्थित फैक्ट्रियाॅ बिलडरों को अखर रही है , उनकी कुदृष्टि इन पर पड गई है । इस खेल मे सभी दल के राजनेता सहभागी है इसलिये सबके सब मौन है । टेफको कालोनी खाली हो या ओ ई एफ बन्द कर दी जाये , उनहें कोई मतलब नही , उनहें तो कमाई के लिए महत्वपूर्ण स्थानो पर जमीन चाहिए और उसके लिये हमारे राजनेता कुछ भी करने को तैयार है ।
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30 टिप्पणियाँ
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Adv Shree Prakash Tiwari दुर्भाग्यपूर्ण एवं जनप्रतिनिधियों का आचरण निराशा जनक
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Narendra Kumar Singh गोरख धंधा सबके गठबंधन से चल रहा है सब की आत्मा या मर चुकी है जमीन बिक गया है प्रशासन और शासन से कहने का साहस नहीं है सभी दलों के नेताओं का यही हाल है
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Atish Singh आज मानवता दुखी है
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Deepak Sootha बहुत हृदय स्पर्शी । आपके छकलते दर्द का एहसास अनेक लोगों को अवश्य होगा,पर जन प्रतिनिधियों को सांप न सूंघे। आम जन को देर न लगेगी उन्हें लतिया के उनकी औकात दिखाने में।
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Lokesh Shukla बहुत ही दुखद ! कितनी निर्मम, संवेदनहीन व स्वार्थपरक हो गई है राजनीति ? ऐसी गर्मी में बेचारे कहां जाएंगे ? हे राम उनकी रक्षा करना !
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Manoj Shukla जो लोग बेघर हुए हैं उन परिवारों से पूछो क्या हाल है उनका
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उषा रत्नाकर शुक्ल जब राजनीति में आचरण हीन लोगों का सपोर्ट किया जाता है,जब पैसे देकर टिकट बेचे और खरीदे जाते है ,तो ऐसे नेताओं से जो वास्तव में नेता नही व्यापारी हैं,तो उनसे उम्मीद कैसी ?अपना टिकट खरीदने हेतु दिये धन का जब तक करोड़ गुना वसूल न कर लें तबतक उनको चैन होगा?जब तक जनता जागरूक थी तब तक चरित्र वाले प्रतिनिधि चुनती थी,अब जब पैसे ले कर वह भी वोट बेचने लगी तो उसे अपेक्षा करनी भी नही चाहिये,जब वह जैसा बोयेगी वैसा ही तो काटेगी, जब सुना तो तकलीफ़ तो बहुत ज़्यादा हुई, दिल दर्द से फट गया,लेकिन क्या कर सकते है,
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Sunil Mishra जन प्रतिनिधि दुर्जन निधि से रोगग्रस्त है, इन्हें न तो शर्म आती है और न ही संवेदनाओं में कोई स्पंदन होता है, क्रंदन भी इनके लिए वोट बैंक है।
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Bajpai Arvind जन प्रतिनिधियों की आत्माएं मर चुकी है।वो जिंदा लाश बनकर केबल गरीब का खून पीना चाहते है।
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Anand Gautam मानवीय. संवेदना Mar चुकी है , सब.व्यवसाएेक हो गये हैँ ..
बात. तो घर. देने Ki थी खाली काराने Ki नही .बहुत. ढुख. की बात. है .....
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Pankaj Mishra · Ajai Shukla और 1 अन्य के मित्र
Sarm aati h, garebo ka ghar chin rha tha tb Y m.p.,m.l.a
Kaise a.c. Room me baithe rahe,sari manwta mar gayi h,
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Anurag Tripathi Bilkul sahi kaha Apne sir ji......
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Robby Sharma हजारों एकङ कारखाने की जमीनो का भूप्रयोग परिवर्तन के डी ए के माध्यम से कराया जा रहा है JK वाले तो जागरण वालों के साथ मिल कर खुद बिल्डर बन गये हैं मेरे अलावा कभी और कोई विरोध ही नहीं करता।
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Sanjay Kumar Singh समझ के बाहर है ये गिद्ध दृष्टि। 
न्यायालय को भी सोचना होगा कि उसका आदेश जनहित में नैसर्गिक न्याय है या तालिबानी फरमान।
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Adv Ajay Singh Bhadauria निर्णय उच्च न्यायालय का है।प्रशासन क्या करे।
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Dinesh Yadav जबआपकिसीको दे नहीं सकतेहैंतो उसका कुछ लेनेका अधिकार किसनेदियाहै so called सरकार शर्मनाकऔर दुखद मानवता शर्मशार हुईहै ,
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Manoj Shukla सारा खेल अरबों रुपए की जमीन का है
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Sandeep Shukla सर् सपा के सरकार में अखिलेश ने सिंघानिया के साथ मिलकर jk रेयॉन बेच डाली,अब कानपुर के कद्दावर कैबिनेट मंत्री ने बीच मे दलाली करके टेफ्को का सौदा देश के एक बड़े बिल्डर से करा दिया,सब कुछ व्यावसायिक है,अब आपको मानना पड़ेगा कि कांग्रेस इन सब दलों से लाख गुना बेहतर थी
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जवाब दें5 घंटेसंपादित
Arunav Mishra · 7 आपसी मित्र
Sandeep अब कांग्रेस में भी वही कॉकस अजय कपूर,प्रमोद तिवारी जैसे दलाल हैं जो पूंजी पतियों के दलाल है
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Narendra Kumar Yadav महाना परिवार क्या है?
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Dinesh Yadav ये कलकी घटना कानपुरके इतिहासको कलंकित करनेकी पराकष्ठा है ,
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Arunav Mishra · 7 आपसी मित्र
अब कांग्रेस में भी वही कॉकस अजय कपूर,प्रमोद तिवारी जैसे दलाल हैं जो पूंजी पतियों के दलाल है
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Anoop Gautam यह जमीन अब बिल्डर को देगी सरकार
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Sandeep Shukla दे चुकी,रजिस्ट्री हो चुकी
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Deepak Vasant Deshpande काश आप जैसी गंभीरता यंहा के दोनों कैबिनेट मंत्रियों व अन्य विधायकों ने दिखाई होती, व सत्ता के लिए भूखे अन्य दलों ने दिखाई होती सपा व बसपा तो अपने भव्य आशियाने बचाने मे लगे है कांग्रेस को तो कोई चिंता ही नही है
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जवाब दें4 घंटे
Dinesh Yadav एक साधारण सभासद 5 सालमें करोड़पति कैसेहोजाताहै ,फिर येतो सरकार जी हैं इनकी भावनाओंमें मनुष्यता नहीं होतीहै राधेराधे
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जवाब दें3 घंटे
Vinod Tripathi हाइकोर्ट के आदेश को आढ़ बना कर ,कानपुर प्रसासन ने कल cwanpore के इतिहास में इस शहर का सबसे बढ़ा कांड कर डाला है।माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन कराना सर्वोच्च प्राथिमकता होना चाहिये है।किंतु इसी के साथ प्रसासन का काम मानवीय दृष्टिकोड़ के साथ जनता का हित करना है।शासन को व जनप्रतिनिधियो को आदरणीय हाइकोर्ट में बेघर हुए लोगो का पक्ष रखना चाहिए था।एवं हटाने की स्थिति में इनको 15,20 दिन निःशुल्क सेल्टर हाउस या धर्मशालाओ में व्य्वस्था करनी चाहिए थी।क्या शासन ने ये सोचा है कि ये परिवार कहाँ गए होंगे ?,।इस शहर में सेवा वाले स्वंसेवी संगठनों का कोई अता पता ही नहीं लग रहा है।
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जवाब दें2 घंटे
Mohan Tiwari · Dilip Shukla और 3 अन्य लोगों के मित्र
कोई गरीब बच्चा अब स्कूल और किताब नहीं देखेगा
हुक़्म ऐ आका है कोई मुफ़लिस अब ख़्वाब नहीं देखेगा
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जवाब दें2 घंटे
Rakesh Bajpai इस घटना ने यह साबित कर दिया रहनुमाई एक धोखा है।जनता बड़े विश्वास से चुनती है। यह विश्वास करकेकि जन दर्दमे येसहायक होंगे।
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जवाब दें2 घंटे
Prakash Mishra Sahi kaha bade bhai kisi pakch- vipakch k Neta na ruke vahan Vajah har jabaan par ki ab ye vote milna nahi to koi yahan apna voter hi kitna tha? etc.etc. matlab aaj aap ki hasti vote bank ke taur par hai Garib is sarkar par bojh hai.
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जवाब दें55 मिनट
Shashikant Pandey जो मजदूरों के घरों को तिकड़म ताल करके अवैध रुप से बर्षो से कब्जा करके बैठे थे उनके बारे मे क्या बिचार है--?
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जवाब दें52 मिनट
Dinesh Yadav सीधेसीधे उनको मारदियाजातातो बात ही खत्म ,वाहवाह पांडेय भाई जी अरेभाई एक भी गरीब इस गर्मीमें बेघर नहीं होनाचाहियेथा ,मानवताके लिहाजसे ,ये भरे पेट वालोंकीबात है भईया ,येक्या जाने गरीबी और गरीबोंकी समस्याको राधेराधे
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Prakash Mishra Vo nikale jaate to Prashasan se sympathy hoti : nischit roop se Nyayapalika ne bhi vichar kar Judgement pass kiya hoga
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जवाब दें45 मिनट

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