Monday, 21 May 2018

”डरो मत हम जिन्दा है“ कहने वाला भी कोई नही बचा


" डरो मत हम जिन्दा हैं"कहने वाला भी कोई नही बचा
माननीय अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दो मे माँ दुर्गा का अवतार श्रीमती इन्दिरा गाँधी के धतकरमो या कहे तानाशाही रवैये के खिलाफ जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व मे सारा देश ब्यवस्था परिवर्तन की लडाई मे एक साथ खड़ा हो गया था और इन्दिरा गाँधी को धूल चाटने के लिए मजबूर होना पड़ा था परन्तु वर्तमान राजनेताओं और दलो के धतकरमो या कहे भ्रष्टाचार युक्त हठधरमिता के विरूद्ध आम जनमानस को जाग्रत करने के लिए अब जयप्रकाश नारायण जैसा सर्वमान्य नेतृत्व देश म नही है ।अब तो हर राजनेता खुद अपने निहित स्वार्थो मे इतना घिर चुका है कि उसकी अपनी आत्मा भी उस पर विश्वास नहीं करती ।
आपातकाल के दौरान " इन्दिरा इज इण्डिया " का उद्घोष सुनकर हम सब लोग कहा करते थे कि कांग्रेसियों के पास रीढ की हड्डी नहीं है लेकिन आज जब प्रधानमंत्री को भगवान् राम का अवतार बताया जाता है तो हमारे कई मित्र गर्व से फूले नही समाते और इसे चाटुकारिता बताने वाले लोगों को तत्काल हिन्दू विरोधी या राष्ट्र द्रोही घोषित करने मे तनिक भी संकोच नही करते।
पुराने धतकरमो की याद दिलाकर अपने वर्तमान धतकरमो को सही ठहराने की एक निर्लजज परम्परा की शुरूआत हो गई है ।
1947 मे आजादी के बाद देश ने अपने नागरिकों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, विकाश का लक्ष्य निर्धारित किया था और नीति निदेशक तत्वो के रूप मे उसे लिपिबद्ध भी कर लिया था परन्तु इनको साकार करने के लिए हमारे प्रयास बैलगाड़ी की गति से आगे नही बढ सके है । अब तो राजनेता इनकी चर्चा से भी बचते है । किसी रणनीति के तहत पूरे राजनैतिक क्षितिज को विचार शून्य और बयकति आधारित बना लिया गया है इसलिये अब सभी दलो मे असहमति के स्वर कुचल दिये गये है और आन्तरिक लोकतंत्र की हत्या कर दी गई है । कर्नाटक घटनाक्रम विचार शून्य राजनीति और राजनैतिक घटियापन का सटीक उदाहरण है । सभी पक्षों ने बेशर्मी का परिचय दिया है । चुनाव प्रचार के दौरान जनता दल एस को भाजपा का एजेंट बताने वाली कांग्रेस आर्थिक सामाजिक प्रश्नों पर विचार किये बिना उसके साथ सरकार बनाने के लिए लालायित है और दूसरी ओर सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या बल न होने के बावजूद सरकार बनाकर भाजपा ने भी संसदीय मर्यादाओं को छिन्न भिन्न करने मे तनिक भी संकोच नही किया। कुल मिलाकर राजनेताओं की विचार शून्यता और राजनैतिक छिछोरेपन से आम आदमी क्षुब्ध है । वास्तव मे कांग्रेस भाजपा या अन्य कोई दल भारत का भविष्य नही है । वर्तमान पीढ़ी भारत का भविष्य है और इसके सामने आज कोई आदर्श नही है । बच्चे और युवा वर्तमान राजनेताओं को अपना आदर्श मानने के लिए तैयार नहीं है इसलिये राजनैतिक नेतृत्व से इतर समाज मे जमीनी स्तर पर सक्रिय मित्रों से मेरा निवेदन है कि वे अपने अपने स्तर पर छोटी छोटी इकाईयों मे लोगों को जाग्रत करें, तभी देश और समाज का कल्याण हो सकेगा ।
पसंदऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
टिप्पणी करें
टिप्पणियाँ
Narendra Kumar Yadav कौशल जी आज देश के हालात अच्छे नहीं हैं दिशा विहीन राजनीति और भटकता युवा तय नही कर पा रहा है कि देश किधर और कहां जा रहा है और इस माहौल में उसका भविष्य कहां है आज जे, पी, आचार्य नरेंद्र देव,डा, लोहिया, और युग पुरूष दीनदयाल उपाध्याय जैसा राजनैतिक दर्शन दिशा निर्देश काभी आभाव है।
प्रबुद्ध वर्ग की जिम्मेदारी है कि सही राजनैतिक दर्शन समाज को दे।
प्रबंधित करें
पसंदऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें1 दिन
Bharat Puri आज के समय में ताक़तवर ही परमज्ञानी है न कोई आदर्श न कोई सिद्धांत जहाँ लगे लगा लो दूसरों की गलतियां ढूढो अपनी छिपाव कुछ बड़ों को और बढ़ाव गरीबों को कुचल कर रख्खो ताक़त में बने रहो
प्रबंधित करें
पसंदऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें1 दिन
दिनेश दुबे क्षमा करें साहब,
(संक्षेप में)
देश में जब राजनीति है ही नही तो राजनेता कैसे होगा ?

हाँ और एकबात प्रबुद्धवर्ग केवल एक शब्द भर रह गया है ।इसकी गलत व्याख्या की जा रही है ।मेरी नजर में अगर इस शब्द को संकीर्ण न करें तो एक अशिक्षित व्यक्ति भी यदि वह किसी भी स्तर का किसी भी समाज का क्यों न हो वशर्तें स्रजनात्मक भाव रखता हो वह प्रबुद्धवर्ग से है ।
प्रबंधित करें
पसंदऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें1 दिनसंपादित
Hindu Lala Thakur *"इस फ़रेबी दुनिया में"*
*"मुझे दुनियादारी नही आती"*


*"झूठ को सच साबित करने की"*
*"मुझे कलाकारी नही आती"*
*"जिसमें सिर्फ मेरा हित हो"*
*"मुझे वो समझदारी नही आती"*

*"शायद मैं इसीलिए पीछे हूं"*
*"मुझे होशियारी नही आती"*

*"बेशक लोग ना समझे मेरी वफादारी"*
*"मगर 'यारो मुझे गद्दारी नही आती"...*
प्रबंधित करें
पसंदऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ
जवाब दें23 घंटे

No comments:

Post a Comment