Friday, 12 January 2018

मदुरई कानपुर या चेन्नई सब कुछ एक जैसा तो है


मदुरई कानपुर या चेननई सब कुछ एक जैसा तो है
दक्षिण भारत के इन महत्वपूर्ण शहरों और अपने कानपुर के आम लोगों के बीच खान-पान और भाषा के अतिरिक्त सब कुछ एक जैसा तो है । वास्तव मे हम भारतवासियों के रहन सहन जीवन दर्शन मे कोई मौलिक अन्तर नहीं है ।जो विभिन्नता दिखती है , वही हमारी विशेषता है ।सार्वजनिक स्थलों पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् राम , भोले शंकर और अपने बजरंगबली की मूर्तियाँ हमे बताती है कि भारतीय संस्कृति और परम्पराओ के प्रति दक्षिण भारत के भाइयों की प्रतिबद्धता हम उत्तर भारतीयों से कहीं ज्यादा है । माथे पर चन्दन का टीका लगाकर घर से निकलना यहाँ युवतियों के लिए भी आम बात है ।अपने कानपुर की गली मुहल्लो की तरह यहाँ भी सडक किनारे दुकानदार अतिक्रमण करके रोज़ी रोटी कमा रहे है ।सडक पर उसी तरह की भाग दौड़ है । रामेश्वरम् और मदुरई के बीच नारियल , खजूर ,ताड़ और केले के सिवा कुछ नहीं दिखा।स्थानीय स्तर पर ताड़ से बनी मिश्री और गुड का स्वाद अद्वितीय है। यहाँ की मिश्री मीठी होती है लेकिन उसमे शुगर बिलकुल नहीं होती ।गुड का स्वाद भी अपने यहाँ के गुड से अलग है ।रामेश्वरम् मे कुछ भी नहीं उगता।मछली उनका मुख्य भोजन है । हर जगह मछली सुखाई जाती दिखीं। रामेश्वरम् मे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का घर भी तीर्थ स्थल की दर्शनीय हो गया है।
यहाँ घूमते हुए स्कूल स्तर पर त्रिभाषा पढाई का पुराना फार्मूला उपयोगी दिखता है । हम सभी को भाषाई श्रेष्ठता भुला कर एक दूसरे की भाषा सीखनी चाहिये। मुगलों और अंग्रेजों के आने के सदियों पहले से दक्षिण भारत के लोग काशी विश्वनाथ मंदिर और हम उत्तर भारतीय रामेश्वरम् धाम और माँ मीनाक्षी सुनदरेशवर मंदिर आते जाते रहे है । एक दूसरे की भाषा न जानते हुये भी हम एक-दूसरे की भावनाओं को बखूबी समझ लेते थे , उनका हृदय से सम्मन करते थे ।हमारी साझा संस्कृति , सामाजिक आचार विचार, राष्ट्रीय सरोकार एक जैसे है ।इसको अक्षुण्ण बनाये रखना हम सबकी निजी और साझी जिममेदारी है ।हमारे पूर्वज हमे बहुत कुछ दे गये है और उसी कारण " कुछ है जो हस्ती मिटती नहीं हमारी " का हम सगर्व उद्घोष कर पाते है ।हमको भी अपने पूर्वजों द्वारा सौंपी गई श्रेष्ठ विरासत से ज्यादा समृद्ध विरासत अपने बच्चों को सौंपने की तैयारी आज से ही शुरू कर देनी चाहिए।
टिप्पणियाँ
Rekha Sharma सायद इसीलिए हमारे देश मे विभिनता में एकता कहि जाती है हम गर्व से कह सकते हैं ...सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा ।
प्रबंधित करें
Adv Kuldeep Singh यह लेख अनुकरणीय हैं क्योंकि आपने स्वयं देखा समझा है।धन्यवाद सर
प्रबंधित करें
Ajay Sinha एक शोध छूट गया । दक्षिण का टेक्सटाइल उद्योग जिन्दा है । कानपुर का औद्योगिक अंत समझने में मदद मिलती...
प्रबंधित करें
Adv Kuldeep Singh दादा आपके जितने लेख होते हैं सब ज्ञानवर्धक रहते हैं।जानकारी सुलभ तरीके से देते हैं।
प्रबंधित करें
AdvTej Bali Singh Bahut शानदार उल्लेख है , सादर अभिवादन
प्रबंधित करें
Rakesh Bajpai आपने भिन्नता मेंसमानता देखी जलवायु पहनावा खानपान समृद्धि पर भी प्रकाश डालें
प्रबंधित करें
Sanjeev Prakash Upadhyay विश्व हिंदी दिवस पर जोड़ने की पहल हो।
प्रबंधित करें
Rajiv Batia शानदार उल्लेख है , Welcome home.
प्रबंधित करें
Vijay Gupta पांडिचेरी भ्रमण सम्भव हो तो अवश्य कीजिएगा।
प्रबंधित करें
Pradeep Shukla अनेकता मे एकता, हिन्द की विशेषता....
प्रबंधित करें
Narendra Kumar Yadav लेकिन भाषायी भेद तो स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
हमलोग वहां के लोगों को जितना सम्मान प्रदान करते हैं वो हिंदी भाषी लोगो को तवज्जो नहीं देते हैं।
त्योहारों में भी विभिन्नता है।मौसम भी समान नही हैं ।हमारी मात्र भाषा हिंदी है वो हिंदी को अंगीकृत करने 
को तैयार नहीं होते है यही कारण रहा है कि हिंदी आंदोलन फेल हो गया और समपूर्ण देश को एक भाषा मे पिरोया नहीं जा सका और अब तक की सरकारो ने भी इस दिशा में जो सार्थक प्रयास करना चाहिए वो नहीं किया।
प्रबंधित करें
Surya Kant Misra राजनीतिक स्तर पर आंदोलन असफल होते रहते है किंतु संस्कृति में काशी विश्वनाथ एवं रामेश्वर एवं अन्य सर्वदा उत्तर और दक्षिण की सीमा को असीमित करते हैं । 
यह भी सत्य है कि भाषा के कारण भेद भाव का भी शिकार होना पड़ता है , कुछ जगहों पर ।
प्रबंधित करें
S. K Tripathi Very niceबहुत अच्छा
प्रबंधित करें
जवाब दें
अपने आप अनुवाद किया गया
2 दिन
Randhir Sishodiya अनेकता में एकता यही भारतीयता है ।
प्रबंधित करें
Paras Nath Pandey अच्छी जानकारी साझा की शर्मा जी।
प्रबंधित करें

No comments:

Post a Comment