गाँधी व्यक्ति नहीं विचार हैं जो मर ही नहीं सकते
30 जनवरी 1976को मै कक्षा 12 का विद्यार्थी था और इन्दिरा गाँधी की इमरजेन्सी के विरोध मे कानपुर जेल मे निरुद्ध था। मेरे साथ मन वचन और कर्म से समर्पित गाँधी वादी विनय भाई भी निरुद्ध थे ।मैने जेल मे " गाँधी वध क्यों " और " गाँधी वध और मैं " किताबे पढी थी। उन्ही दोनो किताबों के प्रभाव मे 30 जनवरी के दिन मैने विनय भाई के सामने गाँधी की हत्या को सही बताने के समर्थन मे अपने तर्क प्रस्तुत किये । विनय भाई ने नाराज हुये बिना गम्भीरता पूर्वक मेरी पूरी बात ध्यान से सुनी और फिर शाम को उनहोंने मुझे प्यारे लाल जी की किताब " पूर्णाहुति पढने के लिए दी । गाँधी पर मुस्लिम पर स्त होने के आरोप पर " पूर्णाहुति " मे चर्चा की गई है और हमसे पूछा गया है कि यदि आपके बच्चे और पडोसी के बच्चे के बीच झगड़ा हो रहा हो , तो आप पहले किसे डाटेंगे ? 30 जनवरी 1976 से आज तक इस प्रश्न का एक ही उत्तर मुझे मिला कि मै पहले अपने बच्चे का डाटूंगा। गाँधी सनातन हिन्दू थे और उनका हिन्दुओं पर मुसलमानो से ज्यादा अधिकार था इसलिए किसी दूसरे को कुछ कहने के पहले वह अपने लोगों को समझाते थे ।अब समझ मे आता है कि गाँधी पर मुस्लिम पर स्त होने का आरोप शुरूआत से ही शरारत भरा निर्मूल आरोप है ।सत्य अहिंसा के बिना मानवता की कल्पना की जा सकती है ? बिल्कुल नही , इसीलिए चार नोबल शान्ति पुरस्कार से नवाजा गये मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दलाईलामा, आंग सान सू की , अदोलफो पेरेज एसकिवेल ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि उन्हे अपने मुकाम हासिल करनें मे गाँधी से प्रेरणा मिली है। सम्पूर्ण विश्व मे गाँधी के बारे मे जानकारी हासिल करने वालो की संख्या मे अभूतपूर्व इजाफा हो रहा है ।गूगल सर्च में अपने देश के भीतर 50 प्रतिशत और पूरे विश्व मे 62 प्रतिशत युवाओं ने गाँधी के बारे मे जानकारी प्राप्त की है ।गाँधी की आलोचना या उनके विचारों की अवहेलना करके देश मे स्थायी सुख शान्ति नही लायी जा सकती ।
30 जनवरी 1976को मै कक्षा 12 का विद्यार्थी था और इन्दिरा गाँधी की इमरजेन्सी के विरोध मे कानपुर जेल मे निरुद्ध था। मेरे साथ मन वचन और कर्म से समर्पित गाँधी वादी विनय भाई भी निरुद्ध थे ।मैने जेल मे " गाँधी वध क्यों " और " गाँधी वध और मैं " किताबे पढी थी। उन्ही दोनो किताबों के प्रभाव मे 30 जनवरी के दिन मैने विनय भाई के सामने गाँधी की हत्या को सही बताने के समर्थन मे अपने तर्क प्रस्तुत किये । विनय भाई ने नाराज हुये बिना गम्भीरता पूर्वक मेरी पूरी बात ध्यान से सुनी और फिर शाम को उनहोंने मुझे प्यारे लाल जी की किताब " पूर्णाहुति पढने के लिए दी । गाँधी पर मुस्लिम पर स्त होने के आरोप पर " पूर्णाहुति " मे चर्चा की गई है और हमसे पूछा गया है कि यदि आपके बच्चे और पडोसी के बच्चे के बीच झगड़ा हो रहा हो , तो आप पहले किसे डाटेंगे ? 30 जनवरी 1976 से आज तक इस प्रश्न का एक ही उत्तर मुझे मिला कि मै पहले अपने बच्चे का डाटूंगा। गाँधी सनातन हिन्दू थे और उनका हिन्दुओं पर मुसलमानो से ज्यादा अधिकार था इसलिए किसी दूसरे को कुछ कहने के पहले वह अपने लोगों को समझाते थे ।अब समझ मे आता है कि गाँधी पर मुस्लिम पर स्त होने का आरोप शुरूआत से ही शरारत भरा निर्मूल आरोप है ।सत्य अहिंसा के बिना मानवता की कल्पना की जा सकती है ? बिल्कुल नही , इसीलिए चार नोबल शान्ति पुरस्कार से नवाजा गये मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दलाईलामा, आंग सान सू की , अदोलफो पेरेज एसकिवेल ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि उन्हे अपने मुकाम हासिल करनें मे गाँधी से प्रेरणा मिली है। सम्पूर्ण विश्व मे गाँधी के बारे मे जानकारी हासिल करने वालो की संख्या मे अभूतपूर्व इजाफा हो रहा है ।गूगल सर्च में अपने देश के भीतर 50 प्रतिशत और पूरे विश्व मे 62 प्रतिशत युवाओं ने गाँधी के बारे मे जानकारी प्राप्त की है ।गाँधी की आलोचना या उनके विचारों की अवहेलना करके देश मे स्थायी सुख शान्ति नही लायी जा सकती ।
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