Monday, 1 January 2018

रोजगार फिर नही बना बुनियादी अधिकार


रोजगार फिर नहीं बना बुनियादी अधिकार
रोजगार को बुनियादी अधिकार बनाने वाला बिल कल राज्य सभा मे खारिज हो गया । इस बिल पर राज्य सभा के केवल 39 सदस्यो ने मतदान मे भाग लिया ।अन्य माननीयों ने रोजगार के मुद्दे को मतदान के काबिल ही नहीं माना जबकि संविधान के अनुच्छेद 39 के तहत
" पुरूष और स्त्री सभी नागरिकों को समान रूप से जीविका के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराना " राज्य का दायित्व है । यह सच है कि इस अधिकार को न्यायालय के माध्यम से लागू नहीं कराया जा सकता परन्तु संसद मे माननीयों को इस मुद्दे पर समग्र नीति बनाने और उसके समयबद्ध क्रियान्वयन की रणनीति बनाने से किसने रोका है ? राज्य सभा उच्च सदन कहा जाता है । इसके सदस्यों से संविधान भी अपेक्षा करता है कि वे तात्कालिक राजनैतिक नफा नुकसान से ऊपर उठकर देश के ब्यापक हितों के लिए काम करेंगे। हमे आजाद हुए 70 साल हो गये है और आज भी हमारी सरकारें संविधान के नीति निदेशक तत्वों को अपनी कल्याणकारी योजनाओं के लिए प्रेरणास्रोत नहीं मानतीं हैं जबकि नीति निदेशक तत्व हमारे संविधान की आत्मा है और यही राज्य का लक्ष्य है ।सभी दल " हर हाथ को काम , हर खेत को पानी" देने का नारा लगाते हुए वोट मांगने आते हैं परन्तु कल " हर हाथ को काम " के मुद्दे पर मतदान मे केवल 39 सांसदों का भाग लेना दर्शाता है कि जन मानस के ब्यापक हितों के मुद्दों पर भी सदन मे चर्चा करना हमारे जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता मे नहीं है और इसीलिए जीत जाने के बाद सदन मे इन मुद्दों पर पूरे पाँच साल मे एक बार भी अपना मुँह नहीं खोलते और व्हिप के डर से सदन मे बैठे बैठे औंघाया करते हैं।
टिप्पणियाँ
Narendra Kumar Yadav प्रत्येक सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने राज्य के प्रत्येक नागरिक के लिए रोजगार के अवसर प्राप्त कराये लेकिन हमारे देश में बेरोजगारी बढी है कुटीर उद्योग समाप्त से हो गये है।नौजवान रोजगार के लिए परेशान घूमते घूमते अपराध जगत की ओर अग्रसर होने लगता है। 
हर हाथ को काम और हर खेत को पानी दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है।
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Chandra Shekhar Singh उद्योग की बाते करने से राजनीतिक दलों को बड़ा इंटरेस्ट रहता हैं
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Lokesh Shukla सब लफ्फाज हैं और हम विवश हैं ?
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Jitendra Kumar Pandey हर राजनीतिक दलों कस चुनाव में घोषणा पत्र जारी होता है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद अपना पेट भरने में लग जाते हैं।
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Chandra Shekhar Singh नेता जी के झूठ बोलने पर बार जनता वोट देती है यही तो ताज़ुब है
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